तपस्या का अर्थ
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माँ — शक्ति, स्नेह और इतिहास का नया ट्रेंड! 🌺👩‍👧‍👦 क्या आप जानते हैं कि माँ-देवी के प्रतीक प्राचीनतम सभ्यताओं में पाए जाते हैं और हिन्दू परम्परा में उन्हें Annapurna, Durga, Parvati, Kali जैसे विविध रूपों में जाना जाता है; अभी हाल की खोज में 2,700 साल पुराने एक फ़्रीजियन मंदिर के अवशेषों ने “मदर-देवी” पूजा से जुड़ने का नया सबूत दिया है, तो वहीं पॉप-कल्चर में 2025 की फ़िल्म 'Maa' ने माँ के मिथकीय-हॉरर रूप को फिर से ट्रेंड करवा दिया है 🎬✨; भाषाशास्त्रीय रूप से 'माँ' शब्द का जड़ों-तक इतिहास है जो संस्कृत और Proto-Indo-European तक जाता है, यानी माँ का आदर भाषा, संस्कृति और समय में गहराई से बसा हुआ है। “माँ — वह शक्ति जो बिना शोर के जीवन की जटिलताओं को संभाल लेती है।” — तार्किक/वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो माता-शिशु बंधन में oxytocin और Attachment Theory जैसे न्यूरो-बायोलॉजिकल व विकासात्मक प्रमाण स्पष्ट हैं, इसलिए माँ के प्रतीक को केवल भावनात्मक नहीं बल्कि सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और जैविक परिप्रेक्ष्यों से भी समझना जरूरी है; धर्म में माँ को सम्मान देना सही है, पर माँ/देवी के नाम पर डर, शोषण या अंधविश्वास फैलाना बिल्कुल गलत है। #माँ #Mother #मातृत्व #देवी #MotherGoddess #ScienceAndSoul 💫🙏 @जय माँ भारती 🚩🚩🚩 @जय दशा माँ🚩🚩🚩 @ माय सन रेहान @न्यू मां ऑनलाइन शॉपिंग @रु पेश कु मार #माँ #जय मां वैष्णो देवी #माता वैष्णो देवी #माँ पार्वती जी की तपस्या #तपस्या का अर्थ
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शिवलिंग — एक चौंकाने वाला चिह्न जो दर्शन, इतिहास और विज्ञान को जोड़ता है! 🔥🕉️ संस्कृत 'लिङ्ग' का मूल अर्थ 'चिन्ह/सांकेतिक' है; यह शिव का अनिकोनिक प्रतीक है जो पुरुष और प्रकृति/शक्ति (लिंग-योनि) के मिलन से सृष्टि-चक्र और ब्रह्म की अनंतता को व्यक्त करता है। लिंग पुराण स्वयं कहता है, "Shiva is signless, without color, taste, smell, that is beyond word or touch, without quality, motionless and changeless" — यानी शिव का असली स्वरूप चिह्नहीन है; यह हमें प्रतीकों के पार देखने का न्योता देता है। पुरातत्वीय दृष्टि से गुडिमल्लम लिंगम जैसे प्राचीन उदाहरण (लगभग 3rd century BCE) और हड़प्पा-कालीन पत्थराकृतियाँ मिलना रोचक है, पर वैज्ञानिक-ऐतिहासिक विश्लेषण बताता है कि हड़प्पा के अवशेषों का वही धार्मिक अर्थ सीधे सिद्ध नहीं होता — इसलिए शिवलिंग को केवल शारीरिक प्रतीक मान लेना तर्कसंगत नहीं; यह दार्शनिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ में समझने योग्य है। 19वीं सदी के कुछ ओरिएंटेलिस्टों द्वारा की गई यौनिक व्याख्याएँ इसलिए सीमित और भ्रामक रहीं; पारंपरिक शास्त्रों में यह ब्रह्म के 'चिह्न' के रूप में देखा गया है और विज्ञान-तर्क हमें संकेतों का संदर्भ समझने का आग्रह करते हैं। 🌿🔍 #शिवलिंग 🔱 #लिंगम #Shiva 🕉️ #Gudimallam 🪨 #History 📜 #Science 🔬 #धर्म ✨ @Lingam @lingam @lingam @masku Lingam @muthiah lingam #lingam #तपस्या का अर्थ #माँ पार्वती जी की तपस्या #माता वैष्णो देवी #जय मां वैष्णो देवी
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क्या आपने कभी सोचा है कि वह बिना रूप की सच्चाई — निर्गुण ब्रह्म या Formless Reality — न केवल धर्मग्रंथों की अमर वाणी है बल्कि आधुनिक विचारों से भी जुड़ने की कोशिश कर रही है? 🔭🕉️ उपनिषदों के महावाक्यों जैसे 'अहं ब्रह्मास्मि' और 'प्रज्ञानं ब्रह्म' यह कहकर चित्त हिला देते हैं कि चेतना ही परम वास्तविकता है; Advaita में ब्रह्म को रूप-रहित, अपरिवर्तनीय और समस्त जगत का आधार माना गया है और यह कहना विज्ञान-संगत भी हो सकता है अगर हम यह समझें कि चेतना को ही मूल सत्यता मानने से अनुभव और रिसर्च का नया फ्रेम बनता है। "अहं ब्रह्मास्मि"। 🧠 वैज्ञानिक विश्लेषण से देखें तो quantum experiments में observer effect से पता चलता है कि मापने की क्रिया सिस्टम को प्रभावित करती है, पर यह गलत होगा यदि हम क्वांटम मापन को सीधे तौर पर mystical या supernatural सिद्धांतों का प्रमाण मान लें — 'consciousness causes collapse' जैसी व्याख्याओं को भौतिकशास्त्र में व्यापक समर्थन नहीं मिला। इसलिए धर्म में सही: आत्मा/चेतना की केंद्रीयता को गंभीरता से लेना; गलत: क्वांटम को प्रमाण बनाकर आध्यात्मिक दावों को बिना तर्क के सच मान लेना। सोचिए — जो देखता है क्या वही असली है? ✨🙏 #निर्गुण #Brahman #Advaita #AhamBrahmasmi #Consciousness. @Reality world @reality gaming @Reality Ishu @Reality in Shadows @reality of life #formless Reality #जय मां वैष्णो देवी #माता वैष्णो देवी #माँ पार्वती जी की तपस्या #तपस्या का अर्थ
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रीतिवाद का रहस्य — परंपरा और विज्ञान का मिलन 🔥🙏: जानिए कि रीति केवल सांस्कृतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि यह जैविक-व्यवहारिक पैटर्न भी हो सकती है — हाथियों के शोक व्यवहार और कुछ पक्षियों में भी रीति-समान क्रियाएँ मिली हैं, जो दर्शाता है कि 'रीति' का आधार केवल मान्यताओं तक सीमित नहीं है। समाजशास्त्र में Émile Durkheim ने बताया कि रीति सामूहिक उत्साह (collective effervescence) पैदा कर सामाजिक एकता और पहचान बनाती है — इसलिए रीति का वैज्ञानिक विश्लेषण उसे सामाजिक बंधन के रूप में समझने में मदद करता है। मनोविज्ञान की दृष्टि से दोहराव और संरचना चिंता को कम करके मानसिक स्थिरता देते हैं; इसी कारण कुछ अनुष्ठानिक व्यवहार اضطراب-नियंत्रण से जुड़ी रणनीतियों के समान दिखते हैं, पर जब यह व्यवहार OCD जैसे पैटर्न में बदलें तो चिकित्सीय हस्तक्षेप जरूरी है। भारतीय रीति-रिवाजों में होम/हवन और प्रदक्षिणा जैसे कर्मों का प्रतीकात्मक व व्यवहारिक अर्थ है — जैसे प्रदक्षिणा का घुमाव मानसिक एकाग्रता और ब्रह्माण्डीय ताल के साथ जुड़ता है, जिसे पारंपरिक सूत्रों व समकालीन व्याख्याओं से समझा जा सकता है। चेतावनी भी जरूरी है: रीति तभी सही जब वह मानवाधिकार, गरिमा और तर्क का सम्मान करे; जहाँ रीति formalism या अंधविश्वास और भेदभाव को जन्म दें, वहाँ सुधार और आलोचना आवश्यक है — इतिहास और धर्म-समाज-विवादों में ऐसे मामले मिलते हैं। “रीति हमें जोड़ती है; उसका मकसद इंसानियत होना चाहिए।” ✨ #रीतिवाद #Rituals #संस्कार #विज्ञान #CollectiveEffervescence 🙏🧠🔥 @रीतिका @रीतिका @रीतिका,दूबे @रीतिका जीवतकर @-रीतिका शर्मा #रीतिवाद #तपस्या का अर्थ #माँ पार्वती जी की तपस्या #माता वैष्णो देवी #जय मां वैष्णो देवी
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