रीतिवाद का रहस्य — परंपरा और विज्ञान का मिलन 🔥🙏: जानिए कि रीति केवल सांस्कृतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि यह जैविक-व्यवहारिक पैटर्न भी हो सकती है — हाथियों के शोक व्यवहार और कुछ पक्षियों में भी रीति-समान क्रियाएँ मिली हैं, जो दर्शाता है कि 'रीति' का आधार केवल मान्यताओं तक सीमित नहीं है। समाजशास्त्र में Émile Durkheim ने बताया कि रीति सामूहिक उत्साह (collective effervescence) पैदा कर सामाजिक एकता और पहचान बनाती है — इसलिए रीति का वैज्ञानिक विश्लेषण उसे सामाजिक बंधन के रूप में समझने में मदद करता है। मनोविज्ञान की दृष्टि से दोहराव और संरचना चिंता को कम करके मानसिक स्थिरता देते हैं; इसी कारण कुछ अनुष्ठानिक व्यवहार اضطراب-नियंत्रण से जुड़ी रणनीतियों के समान दिखते हैं, पर जब यह व्यवहार OCD जैसे पैटर्न में बदलें तो चिकित्सीय हस्तक्षेप जरूरी है। भारतीय रीति-रिवाजों में होम/हवन और प्रदक्षिणा जैसे कर्मों का प्रतीकात्मक व व्यवहारिक अर्थ है — जैसे प्रदक्षिणा का घुमाव मानसिक एकाग्रता और ब्रह्माण्डीय ताल के साथ जुड़ता है, जिसे पारंपरिक सूत्रों व समकालीन व्याख्याओं से समझा जा सकता है। चेतावनी भी जरूरी है: रीति तभी सही जब वह मानवाधिकार, गरिमा और तर्क का सम्मान करे; जहाँ रीति formalism या अंधविश्वास और भेदभाव को जन्म दें, वहाँ सुधार और आलोचना आवश्यक है — इतिहास और धर्म-समाज-विवादों में ऐसे मामले मिलते हैं। “रीति हमें जोड़ती है; उसका मकसद इंसानियत होना चाहिए।” ✨ #रीतिवाद #Rituals #संस्कार #विज्ञान #CollectiveEffervescence 🙏🧠🔥
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