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क्या आपने कभी सोचा है — महिषासुर सिर्फ़ एक 'बैल-राक्षस' नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और मनोविज्ञान का आइना है? 🐃🔥 महिषासुर को देवी दुर्गा ने हराया और यही युद्ध Navaratri/दुर्गापूजा में 'अच्छाई पर बुराई की जीत' के रूप में मनाया जाता है; रोचक तथ्य: Mysuru (Mahishooru) का नाम भी इस कथा से जुड़ा माना जाता है। प्रेरक पंक्ति: "महिषासुर का अंत तभी होगा, जब अपना अहंकार मिटेगा" — जो आज भी आत्मविनाश के प्रतीक के रूप में समझी जा रही है। तर्क-विज्ञान: मिथक और इतिहास का तुलनात्मक अध्ययन दिखाता है कि किस तरह विजयी सांस्कृतिकNarrative किसी समूह को 'राक्षस' या 'विलेन' करार दे देते हैं; असुर-समुदाय महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं, यह दर्शाता है कि पर्व-कल्पनाएँ केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामुदायिक और राजनीतिक स्मृति भी हैं। साहित्यिक संदर्भ में देवी की स्तुति को समर्पित Mahishasura Mardini Stotra जैसी रचनाएँ देवी की शक्ति और समाज में नैतिकता की जीत को जगा देती हैं। वर्तमान संकेत: Mysuru में Dasara के दौरान महिषासुर प्रतिमा के पास सभा पर पाबंदी जैसी हालिया खबरें यह दिखाती हैं कि यह पुरानी कथा आज भी संवेदनशील और विवादित है — इतिहास को सम्मान दें, पर किसी समुदाय की भावनाओं को अपमानित करना गलत है। आप इसे पौराणिक प्रतीक, इतिहासीय नायक या मनोवैज्ञानिक 'Ego' के रूप में कैसे पढ़ते हैं — सोचिए और शेयर कीजिए! 🔁 #महिषासुर #Durga #Navaratri #Mahishasura #मायसूर 🐃🔱📜🧠
@महिषासुर @महिषासुर @जोक्स का महिषासुर @मुंबईची महिषासुरमर्दिनी 🙏 @राममिलन महिमापुर #महिषासुर #महिषासुर मर्दिनी स्रोत 🙏# मेरी आवाज़ #महिषासुर मर्दिनी स्रोत 🙏# मेरी आवाज़ #मां महिषासुर मर्दिनी👅🪔 #महिषासुर वध
🌌 "जब ब्रह्मांड अपनी लय में नाचता है, तब शिव नटराज रूप में ऊर्जा का रहस्य प्रकट करते हैं 🔥 — उनका नृत्य सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, वैज्ञानिक रूप से भी परमाणु कणों के निरंतर स्पंदन का प्रतीक है! 🌀 CERN में स्थापित नटराज की प्रतिमा इस बात का प्रमाण है कि सृजन और विनाश केवल विरोध नहीं, बल्कि एक ही ऊर्जा की दो अवस्थाएँ हैं 💫। 'शिव वह हैं जहाँ विज्ञान और चेतना एक हो जाते हैं' — यही कारण है कि शिवलिंग कोई मूर्ति नहीं, बल्कि कॉस्मिक एनर्जी का प्रतीकात्मक निरूपण है 🕉️✨ #महादेव #शिव #Nataraja #EnergyOfTheUniverse #ScienceMeetsSpirituality #HinduWisdom #ShivShakti #CosmicDance 💫🔥🕉️"
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क्या आप जानते हैं? 🔥 दुर्गा सिर्फ 'माँ' नहीं — पुरातत्व और शास्त्र दोनों इस “शक्ति” की गहरी जड़ दिखाते हैं: कैलिबंगन के सिलेंड्रिकल सील में मिली दुर्गा-समान आकृति और प्राचीन वेदीय/देवी-सुक्त प्रमाण यह संकेत देते हैं कि नारी-शक्ति की पूजा हजारों साल पुरानी है; देवी-महात्म्य में वर्णित महिषासुर वध केवल मिथक नहीं बल्कि नैतिक, दार्शनिक और समाजशास्त्रीय रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत और दबे हुए के उद्धार का प्रतीक है, इसलिए वैज्ञानिक नजरिए से archaeology + textual criticism यह बताते हैं कि यह परंपरा विकासशील और सिंक्रेटिक रही — अर्थ: देवी का संदेश आत्म-शक्ति और न्याय है, पर commercialisation, अंधविश्वास या हिंसा-सहयोगी प्रथाएँ गलत और असंगत हैं; एक संक्षिप्त प्रेरक श्लोक: "या देवी सर्वभूतेषु..." (She who dwells in all beings) — यह याद दिलाता है कि शक्ति भीतर खोजो, सिर्फ बाहरी पूजाविधान नहीं; और Kolkata की Durga Puja का UNESCO में शामिल होना इस पूजा के सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर प्रमाणित करता है। ✨🐅📜🙏 #दुर्गा #शक्ति #Navaratri #DurgaPuja #Devi #MahishasuraMardini
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नासदीय सूक्त — ऋग्वेद की वह चिंतनशील पंक्ति जो “नासदासीन्नो सदासीद...” कहकर सीधे पूछती है: “तब न अस्तित्व था, न अनस्तित्व; मृत्यु भी नहीं थी, न अविनाशी” 🌌📜 — अर्थ: तब कुछ भी स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं था और फिर भी कुछ ऐसा 'श्वास' जैसा था; यह सिर्फ एक धार्मिक श्लोक नहीं बल्कि प्राचीन स्तर पर उठाई गई वैज्ञानिक-जिज्ञासा है जो ब्रह्मांड के आरम्भ के “कब, कैसे और किसके द्वारा” जैसे सवालों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है; आधुनिक संदर्भ में इसे इस तरह देखें कि विज्ञान आज बिग बैंग सिद्धांत और Cosmic Microwave Background जैसी प्रेक्षण योग्य खोजों से ब्रह्मांड के आरम्भ का मॉडल देता है पर नासदीय सूक्त जैसा संदेह बताता है कि “क्यों” और “किसने” के अंतिम उत्तर फिलहाल दार्शनिक रहते हैं — अर्थात धर्म और विज्ञान अलग-алग तरीकों से सत्य की पड़ताल करते हैं: जहाँ कोई धार्मिक दावा तार्किक या ऐतिहासिक रूप से गलत हो उसे स्पष्ट करना चाहिए और जहाँ प्रमाण हैं उन्हें अपनाना चाहिए; यह सूक्त (ऋग्वेद 10.129) अपनी शंकात्मक शैली के कारण आधुनिक विद्वानों और कार्ल सैगन जैसे चिंतकों द्वारा उद्धृत भी हुआ है — सोचिए, क्या उत्पत्ति का अंतिम उत्तर केवल धर्म में है, केवल विज्ञान में है, या दोनों मिलकर ही सही राह दिखा सकते हैं? बताइए अपनी राय नीचे कमेंट में! 🔭✨🙏 #नासदीय #ऋग्वेद10_129 #Rigveda #ब्रह्मांड #AncientQuestions #ScienceAndDharma
@के के बिश्नोई @बी के नाग @नेकी के काम @💞प्यार सिर्फ लड़कियों के लिए है मेरा💞 @Mojib Ansari #ऋग्वेद के मंत्र अर्थ सहित #viral #--- #बम - बम भोले #🚀SC बूस्ट के साथ Views को सुपरचार्ज करें
पार्वती — पर्वत की शक्ति और महादेवी का कोमल परंतु सशक्त रूप: क्या आप जानते हैं कि पार्वती सिर्फ पतिव्रता नहीं बल्कि हिन्दू धर्म में शाक्ति का एक प्रमुख स्वरूप हैं, उनके नाम का संबंध पर्वत से (Parvati = पर्वतवती) उन्हें प्रकृति, उर्वरता और संतुलन का प्रतीक बनाता है; "Parvati is another form of Shakti, the wife of Shiva and the gentle aspect of Maha Devi or Durga" जैसी पंक्ति उनके बहुआयामी स्वरूप को संक्षेप में दर्शाती है। तर्क/साइंस के नजरिए से देखें तो अर्धनारीश्वर की प्रतिमाएँ (Ardhanarishvara) लिंग-आधारित द्वैत को पार करके जैविक व सामाजिक दोनों ऊर्जा के संतुलन का प्रतीक हैं — यह कला-इतिहास और पुरातात्विक साक्ष्यों से भी समर्थित है, इसलिए धर्म में सही यह है कि पार्वती को केवल घरेलू भूमिका में सीमित न किया जाए; गलत है उनके शक्ति रूपों (दुर्गा, काली, भवानी) को उपेक्षित या कमतर समझना, क्योंकि ये रूप समाज, संरक्षण और न्याय के वैज्ञानिक-सांस्कृतिक अर्थों को भी व्यक्त करते हैं। 🔥🌺🕉️👑 #पार्वती #Parvati #शक्ति #Mahadevi #Ardhanarishvara #Navaratri.
@संयुक्त विकास पार्टी
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कौमोदकी — विष्णु की वह प्रखर गदा जो शब्दशः 'मन को मोहित करने वाली' मानी जाती है; शिल्प-प्रमाणों के अनुसार इसकी मूर्तियाँ करीब 200 ई.पू. से मिलती हैं, यानी यह सिर्फ पौराणिक कल्पना नहीं बल्कि प्राचीन कला-इतिहास का जीवित संकेत है। महाभारत और पुराणों में इसे वरुण द्वारा कृष्ण/विष्णु को दी गई शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है और कभी-कभी यह गदादेवी के रूप में भी मानवीकृत होती है — परंतु धर्मग्रंथों का कथानक और पुरातात्त्विक साक्ष्य अलग-अलग तरह का प्रमाण देते हैं, इसलिए दोनों को अलग-अलग समझकर जोड़ना चाहिए। वैष्णव दर्शन में कौमोदकी को बौद्धिक शक्ति, ज्ञान-शक्ति और समय/काल का प्रतीक कहा गया है; तर्कसहित देखें तो मूसल-आकार के भारी सिर वाली यह गदा कम दूरी पर अधिक जड़ता (momentum) उत्पन्न कर मजबूरन विनाशकारी प्रभाव देती है — यानी इसका प्रतीकात्मक 'शक्ति/समय' अर्थ व्यवहारिक भौतिकी से भी संगत है। गरुड़पुराण की पुकार "Take up thy club Kaumodaki, O lotus-navelled deity" यही संदेश देती है कि धर्म, नियम और समय मिलकर न्याय सुनिश्चित करते हैं — इतिहास, शिल्प और विज्ञान जब एक साथ पढ़ें तो प्रतीक और भी स्पष्ट हो जाते हैं। जानना चाहेंगे और दुर्लभ मूर्तियाँ, शिल्पिक परिवर्तन और उनका तात्त्विक विश्लेषण? पढ़िए, सोचिए और शेयर कीजिए! 🕉️🗿📜⏳ #कौमोदकी #विष्णु #Gada #Iconography #IndianHistory #Mythology
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रुकिए — थोड़ी सी आवाज़, एक नाम और पूरा मूड बदल सकता है: "हरि हरि साहब" की साधना केवल शब्द नहीं, साँसों की लय है जो दिल को हल्का करती है और ध्यान की राह खोलती है; मेरा छोटा सा वाक्य: हरि का नाम आवाज़ नहीं — उसकी लय ही दिल को शांति देती है। तर्क/साइंस की बात करें तो आधुनिक रिसर्च बताती है कि मंत्र-चयन/किरतन कुछ मिनटों में पैरासिम्पेथेटिक सक्रियता बढ़ाकर HRV सुधारता है और स्ट्रेस-सेंटर (जैसे एमिग्डाला) की गतिविधि घटाता है, इसलिए भजन से मानसिक शांति और सामूहिक जुड़ाव का वास्तविक तर्कसंगत आधार मौजूद है — पर ध्यान रहे, भजन सहायक साधना है, किसी गंभीर बीमारियों का चमत्कारी इलाज नहीं; चिकित्सा को छोड़कर सिर्फ़ भजन पर निर्भर होना गलत और असुरक्षित होगा। सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में 'हरि' नाम हिन्दू और सिख परंपराओं में गूंजता है और आज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हरि-भजन (जैसे 'मंगल भवन अमंगल हारी' की रील्स) फिर ट्रेंड कर रहे हैं — इसलिए श्रद्धा के साथ तर्क और विज्ञान को जोड़कर ही साधना को अपनाएं। 🎶🙏✨ #हरिहरिसाहब #भजन #किरतन #MantraScience #शांति #हरिनाम
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क्या आप जानते हैं — 'भोलेनाथ' शाब्दिक रूप से 'भोला (innocent) + नाथ (lord)' है, यानी शिव का वह नाम जो उनकी सरलता और करुणा को दर्शाता है; यही उपनाम भस्मासुर की कथा से भी जुड़ा मिलता है, जहाँ भोलेपन की शक्ति और चाल दोनों का रोचक मिलन दिखता है। शिव को त्रिमूर्ति में संहारकर्ता और योगी-आदिगुरु दोनों रूपों में समझा जाता है, और शिवलिंग को दार्शनिक रूप से निराकार ब्रह्म का चिन्ह माना गया है — ये बातें पुराणों और शास्त्रों में विस्तृत हैं। तर्क/साइंस की नज़र से देखें तो भोलेपन जैसी सरल पूजा और मंत्र-ाभ्यास मन और समाज दोनों में भरोसा, ध्यान और सामुदायिक बंधन बनाते हैं; इसलिए धर्म का असली उद्देश्य आत्मशुद्धि और सहअस्तित्व है — और जो रिवाज़ अंधविश्वास या लोगों में विभाजन बढ़ाएँ, उन्हें स्पष्ट रूप से गलत कहना चाहिए। 🌺🕉️✨ कोट: "भोलेपन में छिपी शक्ति — जिसने भीतर की सच्चाई देख ली, महादेव उसको अपनी छाया दे देते हैं।" 🔥🙏 #भोलेनाथ #Mahadev #OmNamahShivaya #Bholenath #ShivaFacts
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🔥 पंचजन्य — शंख की वो गूँज जो इतिहास, धर्म और विज्ञान को एक साथ बाँधती है; पौराणिक आख्यानों में इसे विष्णु/कृष्ण का शंख बताया गया है जिसे दैत्य पंचजन्य (Panchajana) से प्राप्त किया गया और महाभारत में कृष्ण ने इसे युद्ध के संकेत के रूप में फूँका, जिससे सत्य और धर्म की पुकार सुनाई दी, यही कारण है कि पौराणिक और धार्मिक संदर्भों में इसकी महिमा बनी हुई है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो शंख अपनी घुमावदार गुहा और मुख के आकार की वजह से एक प्राकृतिक रेज़ोनेटर की तरह काम करता है — हवा और होंठों की कंपन मिलकर low-frequency, दूर तक पहुंचने वाला टोन बनाते हैं, जो प्राचीन संचार और मनोवैज्ञानिक प्रभाव (morale signaling) के लिए बेहद कारगर था; अतः इसका धार्मिक उपयोग केवल आस्था नहीं बल्कि तार्किक कारणों पर भी टिकता है। प्रतीकात्मक अर्थ में पंचजन्य पाँच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करता है और 'सृष्टि-ध्वनि' से जुड़ा हुआ माना जाता है; परंतु भौतिक प्रमाण सीमित होने के कारण इसे केवल मिथक मानने या केवल भौतिक वस्तु समझने दोनों से बचकर—सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से परखा जाना चाहिए। "शंख की गूँज — धर्म की पुकार" 🐚✨ #पंचजन्य #Shankh #Panchajanya #Krishna #धर्म #ध्वनि.
@पंचगव्य अयुर्वेद @गौमहिमा पंचगव्य @पंचनाय अंजन @पंचगव्य और आयुर्वेद @Harishankar chauhan #पंचजन्य #भीष्म पितामह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं #❤️जीवन की सीख #👍 संदीप माहेश्वरी के विचार #🚀SC बूस्ट के साथ Views को सुपरचार्ज करें