aaj ki taaja khabar
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Irfan shaikh
8K views 8 days ago
चंदबरदाई (Chand Bardai) हिंदी साहित्य के आदिकालीन कवि और महाकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका परिचय संक्षेप में यहाँ दिया गया है: प्रमुख परिचय महाकाव्य: उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना 'पृथ्वीराज रासो' है, जिसे हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य माना जाता है। संबंध: वह अजमेर-दिल्ली के सुविख्यात हिंदू नरेश पृथ्वीराज चौहान (पृथ्वीराज तृतीय) के राजकवि, मित्र और सहयोगी थे। भाषा: उन्होंने पिंगल भाषा (जो ब्रजभाषा का पर्याय थी) में रचनाएँ कीं, इसलिए उन्हें ब्रजभाषा हिंदी का प्रथम महाकवि भी कहा जाता है। जीवन: ऐसा माना जाता है कि चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान का जन्म और निधन एक ही दिन हुआ था, और उनका जीवन पृथ्वीराज चौहान के साथ राजधानी और युद्ध क्षेत्र, हर जगह बीता। पृथ्वीराज रासो: यह ग्रंथ महाराज पृथ्वीराज चौहान के वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का वर्णन करता है। इसमें उनके जीवन के अंतिम क्षणों का भी वर्णन है, जिसमें उन्होंने चंदबरदाई की मदद से बंदी होने के बाद मोहम्मद गोरी को मारा था, हालाँकि इस घटना की ऐतिहासिक सत्यता पर विद्वानों में मतभेद है। चंदबरदाई का पूरा जीवन अपने मित्र और शासक पृथ्वीराज चौहान को समर्पित रहा, और उन्होंने अपनी रचना 'पृथ्वीराज रासो' के माध्यम से उनकी कीर्ति को अमर कर दिया। क्या आप चंदबरदाई या 'पृथ्वीराज रासो' के बारे में और कुछ जानना चाहेंगे? #चंदबरदाई जी #🗞️30 सितंबर के अपडेट 🔴 #aaj ki taaja khabar #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️
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Irfan shaikh
581 views 1 days ago
महर्षि वाल्मीकि भारतीय इतिहास और साहित्य में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्हें आदिकवि (प्रथम कवि) के रूप में जाना जाता है। उनके बारे में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं: रामायण के रचयिता: महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण महाकाव्य की रचना की थी। यह हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और पूजनीय ग्रंथों में से एक है, जिसमें भगवान श्री राम के जीवन चरित्र का वर्णन है। आदिकवि: संस्कृत साहित्य में उन्हें आदिकवि की उपाधि प्राप्त है, क्योंकि माना जाता है कि उन्होंने ही संस्कृत के प्रथम श्लोक की रचना की थी। डाकू रत्नाकर से महर्षि: प्रचलित कथाओं के अनुसार, महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था और वे डाकू थे। देवर्षि नारद से मिलने के बाद, उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने कठोर तपस्या की। वाल्मीकि नाम का अर्थ: कहा जाता है कि उनकी तपस्या के दौरान, उनके शरीर के चारों ओर दीमकों ने अपनी बांबी (दीमक का टीला) बना ली थी। संस्कृत में बांबी को वाल्मीक कहते हैं, और इसी कारण उन्हें वाल्मीकि के नाम से जाना जाने लगा। राम-सीता से संबंध: वनवास के दौरान माता सीता ने अपना अंतिम समय महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में व्यतीत किया था। भगवान राम के दोनों पुत्रों लव और कुश का जन्म वहीं हुआ था और महर्षि वाल्मीकि ही उनके गुरु थे। क्या आप उनके जीवन के किसी खास पहलू या रामायण के बारे में और जानना चाहेंगे? #महर्षि वाल्मीकि जी #महर्षि वाल्मीकि जी #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #aaj ki taaja khabar
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Irfan shaikh
16K views 10 days ago
अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस (International Daughter's Day) हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को मनाया जाता है। यह बेटियों को समर्पित एक खास दिन है, जो माता-पिता और बेटियों के बीच के अनूठे बंधन को महत्व देता है और बेटियों को समान अधिकार और सम्मान देने के लिए जागरूकता बढ़ाता है। अगला अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस: 2025 में: यह 28 सितंबर 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा। ध्यान दें: कुछ देशों में इसे अलग तारीख पर भी मनाया जाता है, और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर को होता है। #अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस #🗞️28 सितंबर के अपडेट 🔴 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #aaj ki taaja khabar
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Irfan shaikh
593 views 1 days ago
दुर्गा भाभी (दुर्गावती देवी) भारत की स्वतंत्रता संग्राम की एक निडर क्रांतिकारी थीं। वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की सक्रिय सदस्य थीं और सशस्त्र क्रांति में भाग लेने वाली कुछ महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। उनके बारे में मुख्य बातें: असली नाम: दुर्गावती देवी। प्रसिद्धि का कारण: उनके पति, भगवती चरण वोहरा, HSRA के सदस्य थे, इसलिए संगठन के अन्य सदस्य उन्हें 'भाभी' कहकर पुकारते थे, और वह दुर्गा भाभी के नाम से मशहूर हो गईं। महत्वपूर्ण भूमिकाएँ: वह भगत सिंह को जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या के बाद लाहौर से भेष बदलकर, उनकी पत्नी बनकर, सकुशल कलकत्ता भागने में मदद करने के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती हैं। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद और अन्य क्रांतिकारियों को हथियार, धन और गुप्त सूचनाएं पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1930 में पंजाब के पूर्व गवर्नर लॉर्ड हेली की हत्या का प्रयास भी किया था। वह जेल में बंद क्रांतिकारियों के परिवारों का भी समर्थन करती थीं। उपनाम: उन्हें 'द अग्नि ऑफ इंडिया' (The Agni of India) भी कहा जाता था। स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने राजनीतिक जीवन से दूरी बना ली और गाजियाबाद में एक सामान्य नागरिक की तरह जीवन बिताया, जहाँ उन्होंने गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला। उनका निधन 15 अक्टूबर 1999 को 92 वर्ष की आयु में हुआ। #दुर्गा भाभी जी #aaj ki taaja khabar #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️
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