aaj ki taaja khabar
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Irfan shaikh
702 views 3 days ago
बाबा गुरबख्श सिंह जी बाबा गुरबख्श सिंह जी (Baba Gurbaksh Singh Ji) सिख इतिहास के एक महान योद्धा और शहीद (Great Warrior and Martyr) थे। उनकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं: जन्म और प्रारंभिक जीवन: उनका जन्म 10 अप्रैल 1688 को अमृतसर के पास गाँव लील में हुआ था। वह गुरु गोबिंद सिंह जी के समकालीन थे और 11 वर्ष की आयु में भाई मणी सिंह जी की प्रेरणा से उन्होंने अमृतपान किया था। शिक्षा और सैन्य सेवा: उन्होंने बाबा दीप सिंह जी और भाई मणी सिंह जी के साथ समय बिताया, और वह एक कुशल विद्वान और योद्धा बने। शहादत: वह मुख्य रूप से दिसंबर 1764 में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर की रक्षा के लिए अपनी शहादत के लिए जाने जाते हैं। अहमद शाह अब्दाली ने जब हिंदुस्तान पर सातवाँ आक्रमण किया और अमृतसर पर हमला किया, तो बाबा गुरबख्श सिंह जी ने लगभग 30 सिखों के एक जत्थे का नेतृत्व किया। उन्होंने अब्दाली की विशाल सेना (लगभग 30,000) के खिलाफ़ बहादुरी से लोहा लिया और श्री हरमंदिर साहिब की रक्षा करते हुए अंतिम सांस तक लड़ते रहे, जहाँ उन्होंने शहीदी प्राप्त की। यादगार: उनकी शहादत की याद में गुरुद्वारा श्री शहीद गंज बाबा गुरबख्श सिंह श्री हरमंदिर साहिब परिसर में, श्री अकाल तख्त के पीछे स्थित है। चरित्र: वह नीले बाणे (पारंपरिक सिख पोशाक) में रहते थे, अमृतवेले जागते थे, और अपने शरीर और दस्तार (पगड़ी) को सरबलोह (शुद्ध लोहा) के शस्त्रों और कवच से सजाते थे। वह अत्यंत निडर, धार्मिक और सम्माननीय संत-सिपाही के रूप में जाने जाते हैं। वह सिखों के इतिहास में एक महान शहीद और संत-सिपाही (Saint-Soldier) के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्होंने धर्म और पवित्र स्थल की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। क्या आप उनके जीवन के किसी खास पहलू या उनकी शहादत के बारे में और जानना चाहेंगे? #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🆕 ताजा अपडेट #hindi khabar #🗞breaking news🗞
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Irfan shaikh
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अरुंधति रॉय जी सुज़ेना अरुंधति रॉय (Susanna Arundhati Roy) एक अंग्रेजी लेखिका और समाजसेवी हैं। उनके बारे में कुछ मुख्य बातें: जन्म: 24 नवंबर, 1961, शिलांग, मेघालय। प्रसिद्ध कार्य: उनका पहला उपन्यास "द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स" (The God of Small Things) है, जिसके लिए उन्हें 1997 में बुकर पुरस्कार मिला था। अन्य कार्य: उन्होंने कुछ फ़िल्मों में भी काम किया है और पटकथाएँ भी लिखी हैं। सामाजिक सक्रियता: लेखन के अलावा, वह नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित भारत के कई जन-आंदोलनों में भी सक्रिय रही हैं और अमरीकी साम्राज्यवाद, परमाणु हथियारों की होड़, और मानवाधिकारों जैसे कई स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार खुलकर व्यक्त करती रही हैं। क्या आप उनके किसी खास काम, उनकी सामाजिक गतिविधियों, या उनके जीवन के बारे में और जानना चाहेंगे? #🆕 ताजा अपडेट #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #hindi khabar
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Irfan shaikh
639 views 13 days ago
लाचित दिवस निश्चित रूप से, लाचित दिवस असम (भारत) में हर साल 24 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन अहोम साम्राज्य के महान सेनापति लाचित बोड़फुकन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 🌟 लाचित दिवस के मुख्य बिंदु: तिथि: 24 नवंबर किसकी याद में: वीर सेनापति लाचित बोड़फुकन (अहोम सेना के जनरल)। महत्व: यह दिन लाचित बोड़फुकन की वीरता, देशभक्ति और सैन्य पराक्रम को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है। उन्होंने 1671 में सराईघाट की लड़ाई में राम सिंह प्रथम के नेतृत्व वाली विशाल मुगल सेना को पराजित किया था। यह जीत असमिया इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने मुगलों को कामरूप (गुवाहाटी) पर दोबारा कब्जा करने से रोका था। पुरस्कार: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोरफुकन गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है, जिसे 'लाचित मेडल' भी कहा जाता है। क्या आप लाचित बोड़फुकन के बारे में या सराईघाट की लड़ाई के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे? #hindi khabar #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #aaj ki taaja khabar #🆕 ताजा अपडेट
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