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महर्षि वाल्मीकि भारतीय इतिहास और साहित्य में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्हें आदिकवि (प्रथम कवि) के रूप में जाना जाता है। उनके बारे में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं: रामायण के रचयिता: महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण महाकाव्य की रचना की थी। यह हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और पूजनीय ग्रंथों में से एक है, जिसमें भगवान श्री राम के जीवन चरित्र का वर्णन है। आदिकवि: संस्कृत साहित्य में उन्हें आदिकवि की उपाधि प्राप्त है, क्योंकि माना जाता है कि उन्होंने ही संस्कृत के प्रथम श्लोक की रचना की थी। डाकू रत्नाकर से महर्षि: प्रचलित कथाओं के अनुसार, महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था और वे डाकू थे। देवर्षि नारद से मिलने के बाद, उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने कठोर तपस्या की। वाल्मीकि नाम का अर्थ: कहा जाता है कि उनकी तपस्या के दौरान, उनके शरीर के चारों ओर दीमकों ने अपनी बांबी (दीमक का टीला) बना ली थी। संस्कृत में बांबी को वाल्मीक कहते हैं, और इसी कारण उन्हें वाल्मीकि के नाम से जाना जाने लगा। राम-सीता से संबंध: वनवास के दौरान माता सीता ने अपना अंतिम समय महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में व्यतीत किया था। भगवान राम के दोनों पुत्रों लव और कुश का जन्म वहीं हुआ था और महर्षि वाल्मीकि ही उनके गुरु थे। क्या आप उनके जीवन के किसी खास पहलू या रामायण के बारे में और जानना चाहेंगे? #महर्षि वाल्मीकि जी #महर्षि वाल्मीकि जी #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #aaj ki taaja khabar
महर्षि वाल्मीकि जी - ०७ अक्टूबर महान युग परिवर्तक, संत आदिकवि व महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन Mili  IllIll (ItII  ०७ अक्टूबर महान युग परिवर्तक, संत आदिकवि व महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन Mili  IllIll (ItII - ShareChat

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