शिवलिंग
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digital निर्माता
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शिवलिंग — रहस्य, प्रतीक और विज्ञान का संगम 🔱✨: हिन्दू परम्परा में लिंगम को शिव की निराकार चेतना का चिह्न माना गया है जो यौनिकता तक सीमित नहीं बल्कि पुरुष-प्रकृति (पुरुष/प्रकृति) के एकीकरण और समस्त सृष्टि के चिह्न को दर्शाता है; उपनिषदों में यह 'लक्षण/चिह्न' के रूप में मिलता है, न कि केवल भौतिक आकृति के रूप में। कुछ विद्वानों ने इसे शारीरिक रूप से समझने की कोशिश की है पर पारंपरिक और तान्त्रिक व्याख्याएँ इसे ब्रह्म-रहस्य और सर्जन-प्रलय के प्रतीक के रूप में देखती हैं — इसीलिए तर्क जरूरी है: इतिहास, धर्मशास्त्र और कला के साथ विज्ञान भी जोड़कर देखें। वैज्ञानिक दृष्टि से अलग-अलग शिवलिंग अलग तरह से बनते हैं — मानव-निर्मित नक्काशीय लिंग, मुखलिंग जैसी प्रकार-शैलियाँ और कुछ स्वयम्भू प्राकृतिक रूप से भी बनते हैं (जैसे अमरनाथ के बर्फ़ीले शिवलिंग जहाँ टपकते पानी का जमना आकृति बनाता है), इसलिए श्रद्धा को प्रकृति और भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के साथ जोड़कर समझना चाहिए; जो कल्पनाएँ सत्य के स्थान पर फैली हों, उन्हें पहचान कर त्याग देना भी धर्म का हिस्सा है। एक छोटे से प्रेरक वाक्य के रूप में: 'निशानी से मिलो, पर सत्य को निशानी से ऊपर पहचानों' — श्रद्धा और तर्क दोनों साथ रखें 🙏🔬. #शिवलिंग #Lingam #शिव🔱 #Svayambhu #Amarnath #धर्म #Science {{353949447}} {{38620885}} {{606749094}} {{1830340846}} {{1903209025}} #शिवलिंग #शिवलिंग दर्शन #बम - बम भोले #viral #---
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sn vyas
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शिवलिंग के सामने 3 बार ताली बजने का रहस्य, रावन ने क्यों बजाई थी ताली? #शिवलिंग दर्शन #शिवलिंग सावन महीने में मंदिरों में पूजन के दौरान कुछ लोग शिव जी के सामने तीन बार ताली बजाते हैं। यह भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। पहली ताली उपस्थिति दूसरी मनोकामना और तीसरी क्षमा याचना दर्शाती है। मान्यता है कि इससे ब्रह्मा विष्णु और महेश का आह्वान होता है आइये जानते है क्यों। सावन के पवित्र महीने में कई लोग मंदिरों में अभिषेक करने जा रहे हैं। ऐसे में अक्सर देखा होगा कि कुछ लोग पूजा के बाद शिव जी के सामने तीन बार ताली बजाते हैं। यह एक आध्यात्मिक और धार्मिक अभ्यास है, जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा, भक्ति और समर्पण को दर्शाता है और इससे शिव जी कृपा प्राप्त होती है। शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाना धार्मिक परंपरा है, जिसका गहरा महत्व है। हर ताली का एक अलग महत्व है हर ताली किसी खास बात का प्रतीक है पहली ताली भक्त की भगवान शिव के प्रति उपस्थिति यानि हाजरी लगाती है। दूसरी ताली मनोकामना पूर्ति और समृद्धि की प्रार्थना का प्रतीक कही जाती है और तीसरी ताली क्षमा याचना और भगवान के चरणों में स्थान पाने की इच्छा को शिव जी समक्ष प्रस्तुत करती है। *त्रिदेवों का आह्वान होता है?* तीन ताली को बजाने के पीछे यह मान्यता भी है कि इससे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आह्वान किया जाता है। तीनों भगवान् को इसके जरिये नमन किया जाता है। यह शिवजी के त्रिगुणात्मक स्वरूप यानी सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण की उपासना का प्रतीक भी हैं। ऐसा करने से इससे साधक को जल्द ही शिव कृपा का अधिकारी बन जाता है। *यह बताती हैं पौराणिक कथाएं?* कुछ मान्यताओं के अनुसार, रावण और भगवान राम दोनों ने भी शिव पूजन के बाद तीन बार ताली बजाई थी, जिससे उन्हें सफलता और आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। कहते हैं कि रावण ने शिवजी की पूजा करने के बाद तीन बार ताली बजाई थी जिसके बाद रावण को सोने की लंका मिली थी और शक्ति का प्रसार हुआ था और तब से वह परम शिव भक्त कहलाया था। वहीं, माता सीता का पता लगाने के बाद जब भगवान श्रीराम को लंका तक जाने के लिए सेतु निर्माण की जरूरत थी। तब उन्होंने रामेश्वरम में भगवान शिव का पूजन किया फिर भोलेनाथ के सामने तीन बार ताली बजाई थी। इसके बाद सेतु का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था। और प्रभु श्रीराम युद्ध विजयी हुए थे *अन्य मान्यताएं* कुछ लोग मानते हैं कि तीन बार ताली बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दरअसल, ताली बजाने से कंपन पैदा होता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुष्टि मिलती है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि तीन बार तालियां बजाने से हाथ के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर दबाव पड़ता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त संचार बढ़ता है और स्वास्थ्य लाभ होता है। हालांकि यह एक वैज्ञानिक कारन भी हो सकता है लेकिन भगवान् के समक्ष ताली का बजना एक धार्मिक कारन माना जाता है। 🚩☘️🚩
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