गांधी जयंती—2 अक्टूबर पर देश और विश्व महात्मा गांधी को याद करते हैं; यह दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश है और संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में इसे International Day of Non-Violence के रूप में मान्यता दी है। आश्चर्यजनक बात: गांधी का 'सत्याग्रह' सिर्फ विरोध का तरीका नहीं था बल्कि एक ऐसा civil-resistance मॉडल था जिसने Martin Luther King Jr. और Nelson Mandela जैसे नेताओं तक को प्रेरित किया। तर्क/साइंस की जुड़ाव वाली बात: आधुनिक शोध दिखाते हैं कि nonviolent अभियानों की सफलता दर हिंसात्मक अभियानों से अधिक रही है और ये जीतें ज्यादा टिकाऊ लोकतांत्रिक नतीजे देती हैं—इसलिए सत्याग्रह केवल नैतिक नहीं, रणनीतिक रूप से भी असरदार था। एक छोटा पर जोरदार कोट और क्लैरिफिकेशन: अक्सर कहा जाता है “Be the change you wish to see in the world” जिसे गांधी के नाम पर लगाया जाता है, पर शोध बताते हैं यह exact शब्दों में गांधी का नहीं है; उन्होंने मूल रूप से लिखा था “If we could change ourselves, the tendencies in the world would also change…” — मतलब असल संदेश आत्म-परिवर्तन और जवाबदेही है, सिर्फ viral caption नहीं। और साफ़-सी बात: गांधी के नाम पर हिंसा, नफरत या shortcut-राजनीति को सही ठहराना गलत है—धर्म/नीति में जो सच्चा और नैतिक है उसे अपनाएँ और जो गलत है उसे गलती कहें।🙏🕊️✨ #गांधीजयंती #अहिंसा #Satyagraha #BeTheChange #RajGhat 📢
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