जय लक्ष्मी माता की आराधना — हर घर में समृद्धि और शांति का प्रतीक, जो ऋग्वेद के श्री सूक्त में सबसे पहले उभरती है और इसलिए उसकी पूजा का ऐतिहासिक और वैदिक आधार बहुत पुराना है; यह मानना कि दिवाली/लक्ष्मी पूजा के दौरान घर की सफाई और रोशनी लगना केवल परंपरा नहीं बल्कि समुदाय-आर्थिक व्यवहारिक रणनीति है (स्वच्छता + रोशनी = सकारात्मक आवास संकेत → "आमुख" बनना जहाँ लोग निवेश/व्यापार के लिए आकर्षित होते हैं) — यही कारण है कि पूजन का विज्ञान और संस्कृति दोनों जुड़े होते हैं। “एक माँ की तरह, वह देती है — सम्मान से लो, लापरवाही से खो न देना” ✨🙏 — ये पंक्ति विश्वास को जगाती है और साथ ही याद दिलाती है कि नैतिकता, परिश्रम और योजना ही स्थायी समृद्धि बनाती हैं। (अष्टलक्ष्मी की अवधारणा धन के आठ स्रोतों — आध्यात्मिक, भौतिक, कृषि, शौर्य आदि — आर्थिक जीवन के बहुआयामी मॉडल से मेल खाती है)। #जयलक्ष्मी #Mahalakshmi #दीपावली #LakshmiPuja #Prosperity 🙏🌺💰
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