✨ प्रेरणादायक कहानी : सुरेखा यादव जी ✨
महाराष्ट्र के सतारा जिले की एक साधारण सी बेटी ने इतिहास रच दिया।यह कहानी है भारत की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव जी की।
साल 1988 में जब सुरेखा जी ने भारतीय रेलवे में बतौर असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) अपनी सेवाएँ शुरू कीं, तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन एक महिला इंजन की कमान संभालेगी। कल्याण स्थित ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 1989 में उन्होंने पहली बार डीज़ल इंजन चलाया और इसी क्षण से भारत ने अपनी पहली महिला लोको पायलट को पाया।
मुंबई की लोकल से लेकर राजधानी, शताब्दी और यहाँ तक कि वंदे भारत एक्सप्रेस तक चलाकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि ट्रेन चलाना केवल पुरुषों का कार्य नहीं है।
1991 में उन्होंने इतिहास का दूसरा अध्याय लिखा, जब उन्होंने ऐसी ट्रेन चलाई जिसका पूरा चालक दल महिलाओं का था—मुंबई से पुणे तक यह यात्रा महिलाओं की ताक़त का प्रतीक बनी।वह न सिर्फ डीज़ल इंजन बल्कि विद्युत इंजन चलाने वाली भी पहली महिला बनीं।
उनकी प्रेरक गाथा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई। BBC,CNN और Reuters जैसे मीडिया संस्थानों ने उनकी कहानी को दुनिया तक पहुँचाया।
सुरेखा जी की जीवन यात्रा इतनी प्रभावशाली रही कि CBSE की 12वीं की अंग्रेज़ी किताब में भी उनकी कहानी शामिल की गई। उन्हें अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले।
लंबे करियर में उन्होंने मुख्य रूप से मध्य रेलवे में काम किया और कई पदों पर पदोन्नति प्राप्त की। 30 सितम्बर 2025 को वह सेवा निवृत्त होगी,लेकिन तब तक उनका नाम भारतीय रेलवे के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जा चुका है।
उनकी सफलता ने महिलाओं के लिए रेलवे में नए दरवाज़े खोले। आज कई महिलाएँ लोको पायलट के रूप में काम कर रही हैं और उनकी प्रेरणा स्त्रोत बनी हैं।
सुरेखा यादव जी केवल लोको पायलट नहीं,बल्कि महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल हैं।उन्होंने साबित किया कि हिम्मत और लगन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। 🚆🌟🚅🚄🚝🚆🚉🚊🏅🇮🇳🙏
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