आज छोटी दीपावली है..!!
आज के दिन को यम द्वितीया,
रूप चौदस, काली चौदस और
नरक चतुर्दशी भी कहते हैं....!!
आज नरक चतुर्दशी है जिसे मृतयुलोक अर्थात पृथ्वी पर छोटी दीवाली भी कहा जाता हैं, मेरी समझ से यह पांच-दिवसीय दीप पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह दिन एक स्त्री के अदम्य साहस और शौर्य को समर्पित है..!!
इस उत्सव की पृष्ठभूमि में एक बहुत
ही खूबसूरत पौराणिक कथा है....!!
कथा के अनुसार नगर प्राग्ज्योतिषपुर के एक शक्तिशाली असुर सम्राट नरकासुर ने देवराज इन्द्र को पराजित करने के बाद देवताओं तथा ऋषियों की सोलह हजार से ज्यादा कन्याओं का अपहरण कर लिया था, देवताओं की भीड़ उसके आगे असहाय थी क्योंकि नरकासुर को अजेय होने का वरदान प्राप्त था तथा इसी कारण से कोई भी देवता या मनुष्य उसकी हत्या नहीं कर सकता था..!!
कोई स्त्री ही उसे मार सकती थी, उससे त्रस्त और भयभीत देवताओं ने अंततः कृष्ण से सहायता की याचना की, कोई रास्ता नहीं देखकर कृष्ण स्वयं भी चिंता में डूबे हुए थे, नरकासुर की कैद में हजारों स्त्रियों की पीड़ा सुन और पति की चिंता देखकर कृष्ण की एक पत्नी सत्यभामा सामने आईं, वे कृष्ण के रनिवास की एकमात्र योद्धा थीं जिनके पास कई कई युद्धों का अनुभव था और तब उन्होंने नरकासुर से युद्ध की चुनौती स्वीकार की तथा कृष्ण उनके सारथि बने..!!
कृष्ण की प्रेरणा और अपने युद्ध कौशल के बल पर उन्होंने नरकासुर को पराजित करके मार डाला, उसका अंत हो जाने के बाद सभी सोलह हजार बंदी कन्याओं को मुक्त करा लिया गया फिर वीरांगना सत्यभामा जब कृष्ण के साथ द्वारका लौटीं तो पूरे नगर में दीये जलाकर उनके शौर्य और स्त्रियों की मुक्ति का उत्सव मनाया गया..!!
इस उत्सव की परंपरा आज तक जारी है मगर इसका वास्तविक अर्थ और संदेश हम भूल चुके हैं, विजय का उल्लास मनाने के साथ-साथ आज का दिन हमारे लिए खुद से यह सवाल पूछने का अवसर भी है कि क्या उस घटना के हजारों साल बाद भी हम पुरुष अपने भीतर मौजूद वासना और पुरूषोचित अहंकार जैसे नरकासुरों की कैद से स्त्रियों को मुक्ति दिला पाए हैं..??
आप सबको स्त्री शक्ति के उत्सव
नरक चतुर्दशी की ढेरों बधाईयां..!!
#⚓नरक चतुर्दशी⚓ #⚓यम द्वितीया⚓ #⚓हमारी परंपराएं⚓ #⚓रूप चौदस⚓ #⚓छोटी दीपावली⚓