Ramsurat Kumar
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हक्का (सत) कबीर दयालु तू — Supreme God Kabir
गुरुग्रंथ साहिब जी के पवित्र वचनों में सत्य का स्पष्ट प्रकाश मिलता है।
पृष्ठ 721, महला 1 में प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी परम सत्य की साक्षी देते हुए कहते हैं—
> “हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक।”
भावार्थ:
हे कबीर परमेश्वर जी,
आप ही सच्चे (हक्का) और दयालु (करीम) हो।
आप निर्दोष (बेएब) और पालनहार (परवरदीगार) हो।
श्री गुरु नानक देव जी कहते हैं—
हे प्रभु! आपका नाम लेने से मेरा उद्धार हो गया।
मैं तो आपके सेवकों के चरणों की धूल मात्र हूँ।
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भाव का गूढ़ अर्थ
यह वाणी इस सत्य को प्रकट करती है कि कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा हैं—
जो निराकार, निर्दोष, दयालु और समस्त सृष्टि के पालनकर्ता हैं।
गुरु नानक देव जी स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि
परमेश्वर कबीर के चरणों की शरण में जाने से ही वास्तविक मुक्ति संभव है।
यह वाणी किसी साधारण संत की नहीं,
बल्कि उस सतपुरुष की महिमा का प्रमाण है
जो जन्म-मरण से परे है और
जिसकी भक्ति से आत्मा का वास्तविक कल्याण होता है।
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निष्कर्ष
गुरुग्रंथ साहिब की यह अमूल्य वाणी
स्पष्ट रूप से सिद्ध करती है कि—
कबीर साहेब ही हक्का (सच्चे) परमेश्वर हैं
वही दयालु, निर्दोष और पूर्ण मोक्षदाता हैं
गुरु नानक देव जी स्वयं उनके सेवक भाव को स्वीकार करते हैं
आज आवश्यकता है कि हम भी
संत कबीर साहेब के सत्य ज्ञान को समझें,
सच्ची भक्ति करें और
अपने जीवन को सफल बनाएं।
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अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना टीवी रात 7:30 बजे
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