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अयोध्या का नवजीवन✨ — राम नगरी सिर्फ आस्था का केन्द्र नहीं, इतिहास और विज्ञान का भी जीवंत पाठ है: प्राचीन "साकेत" के पुरातात्विक साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि यह स्थल पाँचवीं/छठी सदी ई.पू. से शहरी विकास में था, और नए राम मंदिर के उद्घाटन के बाद पहले 12 दिनों में करीब 2,400,000 लोग आए — यानी औसतन 200,000 प्रतिदिन (यदि दर्शन दिन भर के 12 घंटे हों तो ≈16,667 प्रति घंटा), जो दर्शाता है कि तीर्थ-प्रबंधन, स्वच्छता, यातायात और जल संसाधन के लिए वैज्ञानिक आधारित कैपेसिटी प्लानिंग अनिवार्य है; वहीं शहर के ~₹85,000 करोड़ (≈$10B) के री-डेवलपमेंट से आर्थिक उठान संभावित है पर पर्यावरणीय प्रभाव (सरयू का जल-विन्यास, प्रदूषण) व सामाजिक-न्याय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता — इसलिए दीपोत्सव 2025 में 26 लाख दीयों का रिकॉर्ड प्रयास और सरयू वॉटर-टैक्सी जैसी योजनाएँ उत्साहजनक हैं पर इन्हें सस्टेनेबिलिटी, सुरक्षा और वैज्ञानिक परीक्षण के साथ लागू करना जरूरी है। जहाँ इतिहास और आस्था मिलते हैं, वहाँ जिम्मेदारी और विज्ञान साथ चलना चाहिए। 🔱🕯️🏛️ #रामनगर #अयोध्या #RamMandir #Saryu #Deepotsav.
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