पूज्य गुरुदेव कहते हैं कि -
शास्त्रकारों,मनीषियों ने जिस ज्ञान और शिक्षा के संचय और प्रचार की आवश्यकता पर बल दिया है वह यह स्कूली शिक्षा-दीक्षा नहीं है । इसे तो सांसारिक जीवन को साधन संपन्न बनाने की दृष्टि से प्राप्त करना ही चाहिए । इससे लौकिक आवश्यकताओं की ही एक अंश तक पूर्ति हो सकती है । पर अपनी आत्मा का कल्याण,आत्मसंतोष प्राप्त करने एवं दूसरों को अज्ञान अंधकार से छुड़ाकर सदाचार और शांति के मार्ग पर ले चलने की शक्ति जिस ज्ञान में है, वह लौकिक नहीं आध्यात्मिक ज्ञान है ।
आत्मा की अमरता का , परमात्मा की न्यायशीलता और मानव जीवन के कर्तव्यों की जिससे जानकारी प्राप्त होती है और जिससे सुविचारों के ज्ञान और दुष्कर्मों के प्रति घृणा एवं सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती हो , वही ज्ञान है । यह शिक्षा ऋषियों ने धर्मग्रन्थों के अक्षय भंडार-घरों में पर्याप्त मात्रा में भरकर अपने उत्तराधिकार के रूप में हमारे लिए छोडी है ।
विशेष - इस धर्म -ज्ञान का अत्यधिक प्रचार -प्रसार करना प्रत्येक ज्ञानी का कर्त्तव्य है ।
शुभकामनाएँ 🙏🌷
🦚🦚हरिॐतस्मैश्रीगुरवेनमः🦚🦚
🦚🦚भजमन श्रीराधेकृष्णगोविन्दंगोपाल🦚🦚
🦚🦚हरिबोल🦚🦚
🦚🦚मुकुंदंमाधव गोविन्दं बोल🦚🦚
🦚🦚मेरो द्वारिकाधीष गोविन्दंमाधव🦚🦚
🦚🦚श्रीराधेगोपाल🦚🦚
🦚🦚जय जय राधारमण हरिबोल🦚🦚
🦚🦚श्रीराधावल्लभ हरिशरणम्🦚🦚
🦚🦚श्रीहरिवंश🦚🦚
🦚🦚हरिओम्🦚🦚
#Shree Shivay Namstubhyam 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🙏🙏🦚🦚
#🌺🌺🙏🏻जय जय राधा रमण हरि बोल 🌺🌺🙏🏻जय जय राधा रमण हरि बोल🙏🏻🙏🙏🦚🦚
#💐मेरे द्वारिका धीष 🙏🏻गोविन्द माधव💐🙏🙏🦚🦚
#श्री विष्णु हरि नारायण🕉️🙏🙏🙏🙏🙏🦚🦚
#श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव। 🙏🙏🙏🙏🙏 ॐ श्रीं कृष्णाय: नमः 🙏🙏🙏🦚🦚