jaimahakalijandewali
847 views • 21 days ago
8 वें नवरात्रि पर मां महागौरी देवी के दुर्लभ एवं पावन कमलचरणों के दर्शन कीजिए।
नवरात्रि के आठवे दिन मां दुर्गा के आठवे स्वरूप माता महागौरी की पूजा का विधान है। इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा गया है।
नवरात्रि के आठवे दिन मां दुर्गा के आठवे स्वरूप माता महागौरी की पूजा का विधान है। इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा गया है। इनके गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। साथ ही इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है। माता महागौरी के समस्त वस्त्र और आभूषण श्वेत हैं। वृषभ पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, जिसमें ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में वह त्रिशूल लिए हैं। वहीं ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर मुद्रा है। माता ही मुद्रा अत्यंत शांत है। मां महागौरी की उपासना करने से धन-धन्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
माता महागौरी में पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसलिए इनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया, जिसके बाद उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ही ये महागौरी कहलाईं।
माता महागौरी अमोघ फलदायिनी हैं। जो लोग इनकी पूजा करते हैं उनके तमाम कल्मष धुल जाते हैं। साथ ही लोगों के पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। माता रानी की कृपा से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। महागौरी की पूजा-अर्चना, उपासना, आराधना भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी साबित होती है।
पूजा से लाभ
माता महागौरी का ध्यान-स्मरण करने से मनुष्य को आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ये भक्तों के कष्ट दूर कर देती हैं एवं इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। माता महागौरी मनुष्य की वृतियों को सत की ओर प्रेरित करके असत का विनाश करती हैं। भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप मानी जाती हैं, इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है। ये धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
#celebration #jaimatadi #Mahakali #bhakti #spiritualwisdom
13 likes
15 shares