रूस — विशाल भू-क्षेत्र जो 11 टाइमज़ोन में फैला है और दुनिया का सबसे बड़ा देश है (≈17.1 मिलियन km²), पर 2025 की ताज़ा घटनाओं ने दिखाया कि आकार के साथ साथ राजनीति और तकनीक भी अब उसकी वैश्विक पहचान बनाम अलगाव तय कर रहे हैं; हाल के दिनों में रूस ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल हमला चलाया जिससे नागरिक और बुनियादी ढांचा प्रभावित हुआ, और यूक्रेन ने वैश्विक स्तर पर “cut off Russia's energy revenues” की माँग उठाई — यह सैन्य-रणनीति और आर्थिक लक्ष्यों का स्पष्ट संकेत है। अभी इसी माह रूस को ICAO की अहम काउंसिल में वापसी नहीं मिली — यह एक राजनयिक नाखुशी और हवाई-नियमों व नैतिक मानदंडों के भरोसे पर असर का प्रतीक है, जो बताता है कि तकनीकी संस्थाएँ भी राजनीतिक दबाव में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। 2025 के भीतर चुनाव, कमाचटका तट के भूकंप और क्षेत्रीय कूटनीतिक संकट (जैसे अजरबैजान–रूस तनातनी) ने यह दिखाया कि स्थानीय घटनाएँ तेजी से ग्लोबल नीतियों और ऊर्जा-आपूर्ति चेन को प्रभावित कर सकती हैं — इसलिए किसी भी “फैक्ट” को समझने के लिए भू-आकृति से लेकर ऊर्जा-निर्भरता और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नियमों तक का वैज्ञानिक/तर्कसंगत विश्लेषण ज़रूरी है। “इतिहास बताता है कि भू-गोलोइकॉनोमिक्स और तकनीक किसी भी शक्ति की ताकत और कमजोरियों को साथ में आकार देते हैं” — सोचिए: अगर ऊर्जा-मार्ग रोक दिए जाएँ तो अर्थव्यवस्था और सैन्य क्षमताएँ कैसे बदलेंगी? 🔥🛰️🇷🇺🌍 #रूस #Russia #UkraineWar #ग्लोबलपॉलिटिक्स #ऊर्जा #अंतरराष्ट्रीयनीति आप अगली post किस पर बनी देखना चाहते हैं comment करें
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