मंदिर दर्शन
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sn vyas
676 views 18 days ago
💧🔔💧🔔💧🔔💧 *🙏सादर वन्दे🙏* *🚩धर्म यात्रा 🚩* *🎄महालक्ष्मी मन्दिर , कोल्हापूर 🎄* *👌मन्दिर के चमत्कार👌* हमनें हनुमानजी के जन्म स्थान हम्पी एवं किष्किंधा , पम्पा सरोवर की यात्रा पूर्ण करली है , अब हम कर्नाटक राज्य से गोवा पणजी या महाराष्ट्र की ओर प्रस्थान करते हैं , यदि आप गोवा के समुद्री किनारे की यात्रा करना चाहते हैं तो हम्पी से पणजी करीब 350 किलोमीटर दूर है ; गोवा की यात्रा करके आप महाराष्ट्र में स्थित कोल्हापुर महारानी महालक्ष्मी मन्दिर के दर्शन करने भी जा सकते है जो कि पणजी से करीब 206 किमी दूर है , यदि आप गोवा नहीं जाना चाहते हैं तो आप हम्पी से सीधे ही कोल्हापुर जा सकते है हम्पी से कोल्हापुर 371 किमी दूर है ; गोवा की यात्रा को छोड़ने पर आपको करीब 200 किमी की यात्रा कम करना पड़ेगी तथा कम से कम 2 -- 3 दिन भी कम लगते हैं ; तो हम आज की धर्मयात्रा मे गोवा छोड़ कर सीधे हम्पी से कोल्हापुर की यात्रा पर जाते है । महाराष्ट् में साढ़े-तीन शक्तिपीठ है ---- कोल्हापुर की महालक्ष्मी , अम्बा बाई , तुलजापुर की आराध्य देवी तुलजा भवानी , माहुरगढ़ की रेणुका माता और सप्तश्रुंग गढ़ पर राज करने वाली सप्तश्रुंगी माता है । भारत में यूं तो कई ऐसे मन्दिर हैं , जिनको लेकर कई तरह की कहानियाँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं । लेकिन आज हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के एक ऐसे मन्दिर के बारे में जिससे एक अजीबो-गरीब रहस्य जुड़ा हुआ है । इस महालक्ष्मी मन्दिर को लेकर कहा जाता है कि इस मन्दिर में स्थित खंभों से एक ऐसा रहस्य जुड़ा है जिसे सुलझाने में विज्ञान भी नाकाम साबित हुआ है । महालक्ष्मी मन्दिर के चारों दिशाओं में एक-एक दरवाजा मौजूद है और इस मन्दिर के नक्काशियों वाले खंभे काफी मशहूर हैं लेकिन इन्हें आज तक कोई भी गिन नहीं पाया है । बताया जाता है कि महालक्ष्मी का यह मन्दिर 1800 साल पुराना है और इस मन्दिर में आदि गुरु शंकराचार्य ने देवी महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी , करीब 27 हज़ार वर्गफुट में फैला यह मन्दिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है । इस मन्दिर को लेकर ऐतिहासिक मान्यता यह है कि यहाँ देवी सती के तीनों नेत्र गिरे थे , इस मन्दिर में साल के एक खास समय में सूर्य की किरणें मुख्य मन्दिर में मौजूद देवी की मूर्ति पर सीधे पड़ती है । इस मन्दिर में माता लक्ष्मी की चारभुजाओं वाली तीन फुट ऊँची मूर्ति स्थापित है , ऐसा माना जाता है कि तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रुठकर माता लक्ष्मी कोल्हापुर में आईं थी ।कहा जाता है कि माता के इस मन्दिर के भीतर अरबों का खज़ाना छुपा हुआ है । करीब 3 साल पहले जब इस खज़ाने को खोला गया तो उसमें हजारों साल पुराने सोने , चांदी और हीरों के ऐसे आभूषण मिलें , जिनकी बाज़ार में कीमत अरबों रुपयों में आँकी गई हैं ।अरबों के इस खज़ाने की सुरक्षा के लिहाज से इसका बीमा भी करवाया गया है ।करीब 1800 साल पुराने इस महालक्ष्मी मन्दिर के साथ कई सारी ऐतिहासिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं , बात चाहे इसमें छुपे खज़ाने की हो या फिर इस मन्दिर में मौजूद खंभों के रहस्य की , यहाँ की हर बात इस मन्दिर को खास बनाती हैं और मन्दिर के इन रहस्यों को करीब से जानने के लिए भी लोग यहाँ खींचे चले आते हैं ।यहाँ दीपावली की रात महाआरती में जो भी सच्चे मन से अपनी मुराद माता से मांगता है उसे देवी महालक्ष्मी अवश्य पूरा करती है। *आप भी धर्मयात्रा🚩 हेतु जुड़ सकते हैं। *धर्मयात्रा में दी गई ये जानकारियाँ , मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि , धर्मयात्रा किसी भी तरह की मान्यता , जानकारी की पुष्टि नहीं करता है ।* *🙏 शिव 🙏9993339605* । 💧🔔💧🔔💧🔔💧 #मंदिर दर्शन #महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर दर्शन
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sn vyas
639 views 22 days ago
⛳ ⛳ ⛳ ⛳ ⛳ ⛳ ⛳ *🙏सादर वन्दे🙏* *🚩धर्मयात्रा🚩* *🌱हनुमानजी का जन्म स्थान , हम्पी , किष्किंधा ,पम्पा सरोवर , शबरी गुफा और मतंगवन 🌱* *हम्पी* *पौराणिक मत के अनुसार हम्पी वही जगह है , जहाँ भगवान हनुमानजी का जन्म हुआ था।* हनुमानजी की जन्मस्थली हम्पी में भगवान राम का भी भव्य मन्दिर है।हम्पी में घाटियों और टीलों के बीच लगभग 500 से भी अधिक स्मारक चिन्ह हैं। इनमें मन्दिर , महल , तहख़ाने , खंडहर , पुराने बाज़ार , शाही मंडप , गढ़ , चबूतरे , राजकोष ऐसी असंख्य इमारतें हैं। हम्पी जाने का सही समय है नवंबर से फरवरी तक। यहाँ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जा सकती है। हम्पी के पास ही तुंगभ्रदा नदी बहती है। जहाँ ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर , हनुमानजी की जन्मस्थली आंजनाद्रि पर्वत , बाली की गुफा और ऋषम्यूक पर्वत भी स्थित है। हम्पी से करीब तीन कि.मी. की दूरी पर अंजनी ( हनुमानजी की माताजी ) के नाम से एक आन्जनेय पर्वत है और इससे कुछ ही दूरी पर ऋष्यमूक पर्वत स्थित है , जिसे घेरकर तुंगभद्रा नदी बहती है । यहाँ कन्नड़ भाषा बोली जाती है। *हम्पी कैसे जाएँ :---* सड़क मार्ग से जाने पर हुबली से हास्‍पेट 150 कि.मी.एवं हास्‍पेट से हम्‍पी 13 कि.मी.दूर है । कुर्नूल से आने पर , कुर्नूल से बेल्लारी 150 कि.मी एवं बेल्लारी से हम्‍पी 61 कि.मी.है ।हम्पी से आप इन स्थानों की यात्रा पर जा सकते हैं । *किष्किंधा* हास्पेट से 13 कि.मी.दूर हम्पी है , और हम्पी में विजय विठ्ठल मन्दिर के दर्शन करने के बाद , तुंगभद्रा नदी को पार करने पर , ग्राम अनेगुंदी ( किष्किंधा ) है। पम्पा सरोवर एवं हंपी के निकट बसा ग्राम अनेगुंदी ही किष्किंधा है। *वर्तमान समय में कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में ही किष्किंधा नगरी है।* बेल्लारी जिले के हम्पी नामक नगर में एक हनुमान मन्दिर स्थापित है। इस मन्दिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन “ किष्किंधा नगरी ” है जो कि हम्पी से चार कि.मी. की दूरी पर स्थित है । रामायण काल में " किष्किन्धा " वानर राज बालि का राज्य था। किष्किन्धा संभवत: " ऋष्यमूक " की भाँति ही पर्वत था।रामायण के अनुसार किष्किंधा में बालि और तदुपरान्त सुग्रीव ने राज्य किया था। तदुपरान्त माल्यवान तथा प्रस्त्रवणगिरि पर जो किष्किंधा में विरूपाक्ष के मन्दिर से 6 कि.मी. दूर है , इसी स्थान पर श्रीराम ने वर्षा के चार मास व्यतीत किए थे ।ऋष्यमूक पर्वत तथा तुंगभद्रा के घेरे को “चक्रतीर्थ” कहते हैं। किष्किंधा से प्रायः डेढ़ कि.मी .पश्चिम में पंपासर नामक ताल है , जिसके तट पर राम और लक्ष्मण कुछ समय के लिए ठहरे थे। पास ही स्थित सुरोवन नामक स्थान को शबरी का आश्रम माना जाता है। *पम्पा सरोवर* पम्पा सरोवर । सरोवर का अर्थ झील हैं। हम यहाँ पंपा सरोवर की संक्षिप्त जानकारी आज दे रहे हैं । पंपा सरोवर , बंगलुरु के पास हॉस्पेट से तैरह कि.मी.दूर हम्पी के पास है। पंपा सरोवर का महत्व कैलाश मानसरोवर जैसा है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में पंपा सरोवर स्थित है। शोधानुसार माना जाता है कि रामायण में वर्णित विशाल पंपा सरोवर यही है । *शबरी की गुफा* पंपा सरोवर के पास पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मन्दिर दिखाई पड़ते हैं। यहीं पर एक पर्वत है , जहाँ एक गुफा है जिसे शबरी की गुफा कहा जाता है। *मतंगवन* हास्पेट से हम्‍पी जाकर जब आप तुंगभद्रा नदी पार करते हैं तो हनुमनहल्‍ली गाँव की ओर जाते हुए आपको शबरी की गुफा , पंपा सरोवर और वह स्‍थान जहाँ , शबरी राम को बेर खिला रही थी , मिलते है । इसी के पास शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ' मतंगवन ' था। *आप भी धर्मयात्रा🚩 हेतु जुड़ सकते हैं :* *धर्मयात्रा में दी गई ये जानकारियाँ , मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि , धर्मयात्रा किसी भी तरह की मान्यता , जानकारी की पुष्टि नहीं करता है ।* *🙏शिव🙏9993339605* 🥀🌴🥀🌴🥀🌴🥀 #मंदिर दर्शन
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