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भोले का कांवड़ — सावन में गंगाजल कंधों पर लेकर 'बोल बम' बोलते हुए करोड़ों श्रद्धालु निकलते हैं; ऐतिहासिक रूप से इसकी लिखित पहचान 1700s तक मिलती है और 1960s के बाद बेहतर रोड-connectivity व सामाजिक-राजनीतिक कारणों से यह बड़ा जन-उत्सव बन गया है, इसलिए अब यह सिर्फ भक्ति नहीं बल्कि बड़ी logistics, सुरक्षा और crowd-management चुनौती भी बन चुकी है। वैज्ञानिक तर्क से देखने पर लंबी पैदल यात्रा और भारी कांवड़ ढोने से हाइड्रेशन, थकान और तापीय तनाव जैसे physiological risks बढ़ते हैं — इसलिए रास्तों पर स्वास्थ्य-कैंप, पेयजल-पॉइंट और मेडिकल सपोर्ट अनिवार्य होने चाहिए; धर्म में सही है निस्वार्थ भक्ति, स्वच्छता और परस्पर सहायता, और गलत है भीड़ में असुरक्षित व्यवहार, प्लास्टिक-प्रदूषण या शराब/नशीले पदार्थों की उपस्थिति — इन्हें रोकना हमारा दायित्व होना चाहिए। एक प्रेरक पंक्ति: "गंगा का एक घोट — आत्मा का एक स्नान।" हुक: "कांवड़ उठाइए, अपनी श्रद्धा और सहनशक्ति की परीक्षा दीजिए।" 🕉️🪣🚶♂️🌊🙏🔱 #कांवड़ #KanwarYatra #बोल_बम #Ganga #श्रावण #जल_संरक्षण
@नागनाथ कावडे @कांगड़ा-बड़ोह न्यूज़ @कांगड़ा-पालमपुर न्यूज़ @कांगड़ा-जयसिंहपुर न्यूज़ @कांगड़ा-ज्वालामुखी न्यूज़ #कांवड़ यात्रा पर राज्य सरकार सख्त 🙂🔥 #कांवड़ यात्रा 2023 #कांवड़ मार्ग निकट खतौली #सावन की कांवड़ यात्रा🕉️ हर हर महादेव 🙏🚩🚩🚩 #प्रसिद तिरंगा कांवड़ यात्रा
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