RAGHUVEER TIWARI "YOGI"
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RAGHUVEER TIWARI "YOGI"
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TEACHER, COUNCILLOR, POET, ARTIST, SOCIAL WORKER
रामायण के रचयिता आदि कवि, संपूर्ण प्रकृति और ब्रह्मांड के कण-कण में व्यापक श्री रामचन्द्र को अपनी सृजनात्मक कृति से अवतरित कर हम सबको अनुगृहित करने वाले महामना महर्षि वाल्मीकि जयंती की आप सभी को सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!🪷🙏🪷 *रघुवीर तिवारी "योगी* #बाल्मीकि #📖 कविता और कोट्स✒️
📖 कविता और कोट्स✒️ - रत्नाकर का जो जीवन सारा। पापयुक्त और था अंधियारा। | धन के पीछे भटके दिन रात। महर्षि वाल्मीकि॰ पाप में होगा कोई साथ।| क्या इसी प्रश्न ने बदला था वो मन। तो जगमग हो उठा जीवन धन।। धन के पीछे दिन थे रैन भटके। तो हुआ प्रायश्चित उन्हें उलट के।। उस दिन से॰ ज्यों बदली तकदीर। फिर छलक उठा ये ज्ञान का नीर।। खिलाए। डूबे ध्यान में, भक्ति पुष्प ' सत्य के अभिनव दीप जलाए।। परम फिर कलम उठा ली अपने हाथ। राम कथा का शुभ लिखा प्रभात। | मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लीला। लिखा चरित सकल गुण शीला। | शब्द बन गए मंत्र, मधुर ज्यों वीणा| भक्ति की ज्योति नीति की मीणा।| हर युग को भक्ति की राह दिखाई। जीवन का सार ज्यों दिया SHISII नव ज्ञान ज्योति से हुआ उजियार। हुई वाल्मीकि जी की जय जयकार। | रचयिता रामायण के, बाल्मीकि हैं धन्य। "योगी" राम कृपा से, जग में है आनंद।। तिवारी "्योगी" रघुवीर Your uotein Yogi  | रत्नाकर का जो जीवन सारा। पापयुक्त और था अंधियारा। | धन के पीछे भटके दिन रात। महर्षि वाल्मीकि॰ पाप में होगा कोई साथ।| क्या इसी प्रश्न ने बदला था वो मन। तो जगमग हो उठा जीवन धन।। धन के पीछे दिन थे रैन भटके। तो हुआ प्रायश्चित उन्हें उलट के।। उस दिन से॰ ज्यों बदली तकदीर। फिर छलक उठा ये ज्ञान का नीर।। खिलाए। डूबे ध्यान में, भक्ति पुष्प ' सत्य के अभिनव दीप जलाए।। परम फिर कलम उठा ली अपने हाथ। राम कथा का शुभ लिखा प्रभात। | मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लीला। लिखा चरित सकल गुण शीला। | शब्द बन गए मंत्र, मधुर ज्यों वीणा| भक्ति की ज्योति नीति की मीणा।| हर युग को भक्ति की राह दिखाई। जीवन का सार ज्यों दिया SHISII नव ज्ञान ज्योति से हुआ उजियार। हुई वाल्मीकि जी की जय जयकार। | रचयिता रामायण के, बाल्मीकि हैं धन्य। "योगी" राम कृपा से, जग में है आनंद।। तिवारी "्योगी" रघुवीर Your uotein Yogi  | - ShareChat
संघर्षों से नाता जोड़ लिया हमने।। #मुक्तक #💞Heart touching शायरी✍️
💞Heart touching शायरी✍️ - मुस्कान बाँटने के खातिर, दिल खुद का ही तोड़ दिया हमने। ये दर्द छुपा ` कर इस दिल में, अब रोना ही छोड़ दिया हमने। फर्क नहीं इस पतझड़ में अब आंधी आए या जल बरसे, "योगी " जीवन में संघर्षों से, अब नाता जोड़ लिया हमने। | रघुवीर तिवारी " योगी " ae Your uote.ir मुस्कान बाँटने के खातिर, दिल खुद का ही तोड़ दिया हमने। ये दर्द छुपा ` कर इस दिल में, अब रोना ही छोड़ दिया हमने। फर्क नहीं इस पतझड़ में अब आंधी आए या जल बरसे, "योगी " जीवन में संघर्षों से, अब नाता जोड़ लिया हमने। | रघुवीर तिवारी " योगी " ae Your uote.ir - ShareChat
🚩 आप सबई जनन को दशहरे की राम राम 🙏 विजयादशमी का यह पर्व आपके जीवन से अंधकार और दुखों का अंत करके, खुशियों और प्रकाश की नई शुरुआत करे। बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व आपके दिल को नई उम्मीद, हौंसले और सकारात्मक ऊर्जा से भर दे। आपके घर-परिवार में सदैव प्रेम, शांति और सफलता का विजयध्वज फहराता रहे। आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं ! 💐🙏💐 #🏹दशहरा Status⌛ #🏹शस्त्र पूजा और मुहूर्त📚 #🙏जय माता दी📿 #विजयादशमी #
🏹दशहरा Status⌛ - ।रवण ढहन।। "इतने वर्षों से जला रहे, फिर भी रावण जिंदा है। रावण के न मर पाने सेये मानवता शर्मिंदा है।। पहले तो केवल एक ही था, आज मग२ जाने कितने। छुपे हुए मानव तन में, ये वहशी और दरिंदा हैं।। न जाने कब जाग उठे, किसके भीतर का रावण। काम क्रोध मद लोभ बैर बन, बसा हुआ है अंतर्मन।। का,जो फिर भी न संहार करेंगे। इन मन में बैठे दनुजों तो मनुज देह देने वाले, देव हमें धिक्कार करेंगे।। तब '्योशी' धरती से रावण, मिटा नहीं पाओगे। सालों साल दशहरे पर, कितना भी उसे जलाओगे।।" ২৪্ুনী২ নিনাথী সীর্গী ue Yogi uote.in Youri ।रवण ढहन।। "इतने वर्षों से जला रहे, फिर भी रावण जिंदा है। रावण के न मर पाने सेये मानवता शर्मिंदा है।। पहले तो केवल एक ही था, आज मग२ जाने कितने। छुपे हुए मानव तन में, ये वहशी और दरिंदा हैं।। न जाने कब जाग उठे, किसके भीतर का रावण। काम क्रोध मद लोभ बैर बन, बसा हुआ है अंतर्मन।। का,जो फिर भी न संहार करेंगे। इन मन में बैठे दनुजों तो मनुज देह देने वाले, देव हमें धिक्कार करेंगे।। तब '्योशी' धरती से रावण, मिटा नहीं पाओगे। सालों साल दशहरे पर, कितना भी उसे जलाओगे।।" ২৪্ুনী২ নিনাথী সীর্গী ue Yogi uote.in Youri - ShareChat
#जय_माँ_कलेही माँ दुर्गा की कृपा सदा आप पर बनी रहे। सुख, शांति, स्वास्थ्य और सफलता आपके जीवन में आये। दुर्गा नवमी के इस पावन अवसर पर, आप सभी को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं! 💐🙏 #दुर्गा_नवमी #जय #dur #🙏जय माता दी📿 #🙏नवरात्रि Status🙏 #🙏 माँ वैष्णो देवी
जय - नवरात्र पर घर घर विराजी , मां की पावन मूर्ति। "योगी" श्रद्धा भक्ति की, ज्योति जगे हर सूरती। दुख शोक सारा नाश होगा, आनंद की होगी लहर, शक्ति की आराधना से, आशाओं की हो पूर्ति।। रघुवीर तिवारी "योगी" ٥ YOGI uote.in Your नवरात्र पर घर घर विराजी , मां की पावन मूर्ति। "योगी" श्रद्धा भक्ति की, ज्योति जगे हर सूरती। दुख शोक सारा नाश होगा, आनंद की होगी लहर, शक्ति की आराधना से, आशाओं की हो पूर्ति।। रघुवीर तिवारी "योगी" ٥ YOGI uote.in Your - ShareChat
🚩 💐जय माँ कलेही💐 🚩 "माँ दुर्गा की असीम कृपा से आपका जीवन सुख, समृद्धि और शक्ति से आलोकित हो। आप सभी को सपरिवार पावन दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं..!" 💐🙏💐 #नवरात्रि #अष्टमी
नवरात्रि - uotein Your "देश यह खुशहाल हो, यह है हमाशी प्राथना। "योशी॰ मन निर्मल बने, शुध्द हो हर भावना। ज्ञान का दे दान ढख तमस का मां नाश कर, पर कर रहे, मां आपसे यह याचना।।९ ٤٠٨٤٠ रघुवीर तिवारी " योशी॰ uotein Your "देश यह खुशहाल हो, यह है हमाशी प्राथना। "योशी॰ मन निर्मल बने, शुध्द हो हर भावना। ज्ञान का दे दान ढख तमस का मां नाश कर, पर कर रहे, मां आपसे यह याचना।।९ ٤٠٨٤٠ रघुवीर तिवारी " योशी॰ - ShareChat
"प्रतिफल पुण्य का, ये सृष्टि का वरदान हैं।" #Happy_Daughters_Day🌝♥️😘
Happy_Daughters_Day🌝♥️😘 - "बेटियां आंगन की तुलसी और घर की शान है। घर में है रौनक इन्हीं से, खुशियों काये गान है। जन्म से पहले ही इनको, कोख में मारो नहीं। योगी प्रतिफल पुण्य का, ये सृष्टि का वरदान है।।" तिवारी "योगी" रघुवीर পনন, লিলা पन्ना ( मःप्र ) 7 7000483272 e Vogi uotein Your "बेटियां आंगन की तुलसी और घर की शान है। घर में है रौनक इन्हीं से, खुशियों काये गान है। जन्म से पहले ही इनको, कोख में मारो नहीं। योगी प्रतिफल पुण्य का, ये सृष्टि का वरदान है।।" तिवारी "योगी" रघुवीर পনন, লিলা पन्ना ( मःप्र ) 7 7000483272 e Vogi uotein Your - ShareChat
जीवन अस्थायी और अप्रत्याशित है, इसे समझ पाना बेहद कठिन है। मन कुछ दिनों से विचलित था, इस रचना के माध्यम से मन के विचारों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है। आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है। 💐🙏 #हिंदी साहित्य #कविता #जीवन
हिंदी साहित्य - जीवन का कुछ भी पता नहीं, न जाने कब क्या हो जाए।। कभी छांव, बिना रुके, बढ़ते ये पांव। कभी धूप तो कभी सफर आसान लगे , कभी ये बोझिल हो जाए।। अनजाने ही इन राहों में, कौन मोड़ कब आ जाए। हंसता मुस्काता मधुवन , जाने कब पतझड़ हो जाए।। जब याद हमें तड़पाती है, आँखें बरबस भर आती हैं। कभी हंसी कभी रुदन, जो रहा जाग कब सो जाए।। धारा वायु जल अनल गगन, ये पंचभूत से बना बदन। कब पंच तत्व के यौगिक का, खुद में ही विसर्जन हो जाए।। कारवां न रुकता है कभी, यहां आते जाते हैं सभी। "योगी" साथी जो यहां अभी , कौन कहां कब खो जाए।। [ जीवन का कुछ भी पता नहीं, न जाने कब क्या हो जाए।। रघुवीर तिवारी "योगी" 0 YOGI Your uotein जीवन का कुछ भी पता नहीं, न जाने कब क्या हो जाए।। कभी छांव, बिना रुके, बढ़ते ये पांव। कभी धूप तो कभी सफर आसान लगे , कभी ये बोझिल हो जाए।। अनजाने ही इन राहों में, कौन मोड़ कब आ जाए। हंसता मुस्काता मधुवन , जाने कब पतझड़ हो जाए।। जब याद हमें तड़पाती है, आँखें बरबस भर आती हैं। कभी हंसी कभी रुदन, जो रहा जाग कब सो जाए।। धारा वायु जल अनल गगन, ये पंचभूत से बना बदन। कब पंच तत्व के यौगिक का, खुद में ही विसर्जन हो जाए।। कारवां न रुकता है कभी, यहां आते जाते हैं सभी। "योगी" साथी जो यहां अभी , कौन कहां कब खो जाए।। [ जीवन का कुछ भी पता नहीं, न जाने कब क्या हो जाए।। रघुवीर तिवारी "योगी" 0 YOGI Your uotein - ShareChat
क्या कहूं, किसे कहूं ! #कविता #हिंदी साहित्य
कविता - "क्या कहूं, किससे कहूं.. ! वक्त बहता जा रहा है। अश्रु सूखा जा रहा है। इस भावना के ज्वार में। @ನ[ @ಾ೯್ ! अब नाव मैं, पतवार मैं। 0 किखाख क्हू॰॰॰ तन्हाइयों से क्यों डरूं..। l द्वार सारे बंद हो जब। हर तरफ धुंध हो जब। नजर आता न रास्ता है। मंजिल से भी न वास्ता है। क्यों दीप बन खुद न जलूं..।। ये टुकड़ों में टूटी सांस है। किसी से न कोई आस है। अब मौन है। यह अधर भी सोचो हमराह पथ में कौन है। '्योगी' क्यों न यह मंथन करूँ... ।। क्या कहूं ,   किससे कहूं.. ! रघुवीर तिवारी '्योगी' Yogi "क्या कहूं, किससे कहूं.. ! वक्त बहता जा रहा है। अश्रु सूखा जा रहा है। इस भावना के ज्वार में। @ನ[ @ಾ೯್ ! अब नाव मैं, पतवार मैं। 0 किखाख क्हू॰॰॰ तन्हाइयों से क्यों डरूं..। l द्वार सारे बंद हो जब। हर तरफ धुंध हो जब। नजर आता न रास्ता है। मंजिल से भी न वास्ता है। क्यों दीप बन खुद न जलूं..।। ये टुकड़ों में टूटी सांस है। किसी से न कोई आस है। अब मौन है। यह अधर भी सोचो हमराह पथ में कौन है। '्योगी' क्यों न यह मंथन करूँ... ।। क्या कहूं ,   किससे कहूं.. ! रघुवीर तिवारी '्योगी' Yogi - ShareChat
*"सभी गर्व से बोलें पताका विश्व में फहरे।* *हर हिदुस्तानी का यही अरमान है हिंदी।।"* आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...! 🪷 🙏🏻 *रघुवीर तिवारी "योगी"* #हिन्दी #हिन्दी दिवस
हिन्दी - "हमारी राष्ट्रभाषा, देश का अभिमान है हिंदी। हिन्दी सम्मान है हिंदी। 3k मूल्य, संवेदना , भाव का, देश के भाल की बिंदी। अलंकार भारत 'योगी   देशभक्तों की निज पहचान है हिंदी।। एकता, सद्भावना का प्राण है हिंदी। देश   की मां भारती का यह अमित   गुणगान है हिंदी। 3k & বাস ম 7/447 तक बुढ़ापे ef , 'योगी साथ जो हर पल, हमारी जान है हिंदी।। { विज्ञान है हिंदी। समृद्ध व्याकरण भाषा का संगत की खान है हिंदी। बृहद भंडार शब्दों , गुणों. ये पताका विश्व में फहरे। सभी   गर्व से बोलें है हिंदी।। हिंदुस्तानी का . यही ೯ अरमान गीत नौ रस छंद काव्य और तान है हिंदी। JTUTQT और रसखान है हिंदी 1 সুহ মীহা পন . Jerf मां भारती के चरणो में ,नमन वंदन समर्पण है। हम पुत्र हिंदी के , हमें वरदान है हिंदी।।" அள Yourl uotein तिवारी " योगी" रघुवीर "हमारी राष्ट्रभाषा, देश का अभिमान है हिंदी। हिन्दी सम्मान है हिंदी। 3k मूल्य, संवेदना , भाव का, देश के भाल की बिंदी। अलंकार भारत 'योगी   देशभक्तों की निज पहचान है हिंदी।। एकता, सद्भावना का प्राण है हिंदी। देश   की मां भारती का यह अमित   गुणगान है हिंदी। 3k & বাস ম 7/447 तक बुढ़ापे ef , 'योगी साथ जो हर पल, हमारी जान है हिंदी।। { विज्ञान है हिंदी। समृद्ध व्याकरण भाषा का संगत की खान है हिंदी। बृहद भंडार शब्दों , गुणों. ये पताका विश्व में फहरे। सभी   गर्व से बोलें है हिंदी।। हिंदुस्तानी का . यही ೯ अरमान गीत नौ रस छंद काव्य और तान है हिंदी। JTUTQT और रसखान है हिंदी 1 সুহ মীহা পন . Jerf मां भारती के चरणो में ,नमन वंदन समर्पण है। हम पुत्र हिंदी के , हमें वरदान है हिंदी।।" அள Yourl uotein तिवारी " योगी" रघुवीर - ShareChat
अपने खून - पसीने से देश के विकास को गति देने वाले श्रमिकों को समर्पित मेरे शब्द सुमन... ✍️ #मजदूर विकास संघ #श्रमिक #मज़दूर
मजदूर विकास संघ - शिखर हैं सम्मुख अभावों के, पर अविरल पथ पर बढ़ता हूं| मुझसे ही कोठी बंगले, पर गहन तिमिर से लड़ता हूं। जगमग 'योगी' खून पसीने से लिखता , विकास की नई इबारत को। मैं श्रमिक न देखूं अपने छाले , मैं यह देश निरंतर गढ़ता हूं Il  रघुवीर तिवारी "योगी " 0 YOGI ~  in uote Youn शिखर हैं सम्मुख अभावों के, पर अविरल पथ पर बढ़ता हूं| मुझसे ही कोठी बंगले, पर गहन तिमिर से लड़ता हूं। जगमग 'योगी' खून पसीने से लिखता , विकास की नई इबारत को। मैं श्रमिक न देखूं अपने छाले , मैं यह देश निरंतर गढ़ता हूं Il  रघुवीर तिवारी "योगी " 0 YOGI ~  in uote Youn - ShareChat