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#🥳 हैप्पी बर्थडे जहीर खान 💐 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 #🌞 Good Morning🌞 #🙏शुभ मंगलवार🌸 #🎂हैप्पी बर्थडे अभिजीत सावंत🥳
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🥳 हैप्पी बर्थडे जहीर खान 💐 - Hapy Outhday ZIHEED KHAN ~3da Hapy Outhday ZIHEED KHAN ~3da - ShareChat
#🎂हैप्पी बर्थडे अभिजीत सावंत🥳 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰
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#🎂हैप्पी बर्थडे अभिजीत सावंत🥳 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰
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#🎂हैप्पी बर्थडे अभिजीत सावंत🥳 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰
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#❤️शुभकामना सन्देश #🙏शुभ मंगलवार🌸 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 #🌸मीराबाई जयंती📿 #🌞 Good Morning🌞
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00:20
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आश्विन पूर्णिमा का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है. इसी दिन शरद पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाता है और साथ ही महर्षि वाल्मीकि की जयंती भी मनाई जाती है. महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित महाकाव्य ‘रामायण’ की रचना की थी. उनकी रचित रामायण को ‘वाल्मीकि रामायण’ कहा जाता है. ग्रंथों में उनके जीवन और ज्ञान से जुड़ी कई प्रेरणादायक बातें मिलती हैं. आइए जानते हैं, 2025 में कब मनाई जाएगी यह पावन जयंती। #वाल्मीकि_जयंती_2025_कब_मनाई_जाएगी? ***************************************** हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 12:24 से आरंभ होगी और अगले दिन यानी 7 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह 9:17 बजे समाप्त होगी. इस बार पूर्णिमा का योग दो दिनों तक रहेगा. क्योंकि 6 अक्टूबर की रात को पूर्णिमा रहेगी, इसलिए व्रत इसी दिन रखा जाएगा. वहीं, महर्षि वाल्मीकि जयंती का उत्सव अगले दिन यानी 7 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। #कौन_थे_महर्षि_वाल्मीकि? ************************ महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी कई रोचक कथाएं प्रसिद्ध हैं. कहा जाता है कि उनका असली नाम रत्नाकर था और पहले वे एक डाकू के रूप में जीवन बिताते थे. एक दिन उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई. नारद जी ने उनसे पूछा कि “जो पाप तुम कर रहे हो, क्या तुम्हारा परिवार उसके फल को भुगतेगा?” जब रत्नाकर ने यह बात अपने परिवार से पूछी, तो किसी ने भी इसकी जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. यह सुनकर रत्नाकर का हृदय बदल गया और उन्होंने पाप कर्मों को छोड़कर तपस्या का मार्ग अपनाया. कठोर तप के बाद उन्हें ब्रह्मदेव के दर्शन हुए. ब्रह्मदेव ने उन्हें भगवान श्रीराम के जीवन पर ग्रंथ लिखने का आदेश दिया. इसी के बाद उन्होंने रामायण की रचना की और संसार के पहले कवि के रूप में जाने गए। #महर्षि_ने_मां_सीता_को_अपने_आश्रम_में_दी_थी_शरण: जब भगवान श्रीराम ने माता सीता को वन भेजा, तब महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें अपने आश्रम में शरण दी. यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ और महर्षि वाल्मीकि ने ही दोनों को शिक्षा और युद्ध कला सिखाई। #ऐसे_मनाएं_वाल्मीकि_जयंती: *************************** #सुबह_जल्दी_उठें: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। #पूजा_स्थल_की_तैयारी_करें: घर के मंदिर या पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई करें और वहां महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। #रामायण_का_पाठ_करें: दिन की शुरुआत भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी रामायण या रामचरितमानस के पाठ से करें। #जुलूस_का_आयोजन: कई जगहों पर वाल्मीकि जी की झांकियां और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें भक्त बड़ी श्रद्धा से शामिल होते हैं। #दान_और_सेवा: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। #सांस्कृतिक_आयोजन: जगह-जगह भजन-कीर्तन, नाट्य कार्यक्रम और कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में वाल्मीकि जी के आदर्श फैल सकें। #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 #🙏राम राम जी #🙏शुभ मंगलवार🌸 #🌸वाल्मिकी जयंती📿 #❤️शुभकामना सन्देश
📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 - ShareChat
मीरा बाई जयंती को मीरा बाई के जन्मोत्सव के रूप में हिंदू चंद्र माह अश्विन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मीरा बाई के जीवन से जुड़ी कई बातें आज भी रहस्य मानी जाती हैं। मीरा बाई 16वीं शताब्दी की हिंदू रहस्यवादी कवि और भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी मृत्यु भी भगवान की मूर्ति में हुई। मीरा बाई ने जीवन भर भगवान कृष्ण की पूजा की थी। मीराबाई राजस्थान के जोधपुर के मेड़वा राजकुल की राजकुमारी थीं। मीराबाई मेड़ता महाराज के छोटे भाई रतन सिंह की इकलौती संतान थीं। जब मीरा केवल दो वर्ष की थीं, तब उनकी माता का देहांत हो गया। इसलिए उनके दादा राव दूदा उन्हें मेड़ता ले आए और अपनी देखरेख में उनका पालन-पोषण किया। मीराबाई का जन्म 1498 में शरद पूर्णिमा के दिन राजस्थान के कुडकी में हुआ था। #मीरा_बाई_जयंती_2025_तिथि: शरद पूर्णिमा को मीराबाई की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में मीरा बाई जयंती मंगलवार, 7 अक्टूबर को पड़ेगी । #पूर्णिमा_तिथि_प्रारम्भ: - 06 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे #पूर्णिमा_तिथि_समाप्त: - 07 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:16 बजे #मीरा_बाई_जयंती_पूजा_विधि: ₹स्थान शुद्ध करें: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। #आसन बिछाएँ: पूजा स्थल पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएँ। #मूर्तियाँ स्थापित करें: भगवान कृष्ण और मीराबाई की मूर्तियों या तस्वीरों को आसन पर स्थापित करें। #दीप प्रज्वलित करें: एक दीपक जलाएँ। #फूल और धूप अर्पित करें: कृष्ण और मीराबाई को ताज़े फूल और धूप अर्पित करें। #भजन-कीर्तन करें: मीराबाई के गीत और भजनों का पाठ करें, विशेष रूप से 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो'। #प्रसाद अर्पित करें: भगवान को प्रसाद चढ़ाएँ। #आरती करें: भगवान कृष्ण की आरती करें। #प्रार्थना करें: सच्चे प्रेम और भक्ति के साथ मीराबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर अपनी प्रार्थनाएँ अर्पित करें। #मीराबाई_जयंती_का_महत्व: भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में मीराबाई जयंती को एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मीराबाई जयंती का संबंध धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी है। मीराबाई जयंती पर श्रीकृष्ण मंदिर की खास तरह से सजावट की जाती है। साथ ही इनके जन्मदिन के अवसर पर सुंदर संगीत और नृत्य के साथ कृष्ण भक्ति की जाती है। मीराबाई के जीवन से धार्मिक सहिष्णुता और एकता का संदेश मिलता है।मीरा बाई जयंती 2025 तिथि #मीरा_बाई_की_कहानी: मीराबाई के जीवन से जुड़े कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं। केवल कुछ ऐसी कहानियाँ सुनने और देखने को मिलती हैं जिनमें विद्वानों ने साहित्य और अन्य स्रोतों से मीराबाई के जीवन पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। इन दस्तावेज़ों के अनुसार, मीरा का जन्म वर्ष 1498 में राजस्थान के मेड़ता में एक राजघराने में हुआ था। #मीरा_बाई_का_प्रारंभिक_जीवन: उनके पिता रतन सिंह राठौड़ एक छोटी सी राजपूत रियासत के शासक थे। वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं और बचपन में ही उनकी माँ का देहांत हो गया था। उन्हें संगीत, धर्म, राजनीति और प्रशासन जैसे विषयों की शिक्षा दी गई। मीरा का पालन-पोषण उनके दादा के संरक्षण में हुआ, जो भगवान विष्णु के घोर उपासक और योद्धा होने के साथ-साथ भक्त हृदय भी थे। उनके यहाँ साधु-संतों का आना-जाना लगा रहता था। इस प्रकार मीरा बचपन से ही साधु-संतों और धार्मिक लोगों के संपर्क में आती रहीं। #मीरा_बाई_का_विवाह: मीरा का विवाह 1516 में राणा सांगा के पुत्र और मेवाड़ के राजकुमार भोज राज से हुआ था। उनके पति भोज राज 1518 में दिल्ली सल्तनत के शासकों के साथ हुए संघर्ष में घायल हो गए थे, जिसके कारण 1521 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके पति की मृत्यु के कुछ ही वर्षों के भीतर, उनके पिता और ससुर भी मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के साथ हुए युद्ध में मारे गए। कहा जाता है कि उस समय की प्रचलित प्रथा के अनुसार पति की मृत्यु के बाद मीरा को पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुईं और धीरे-धीरे संसार से विरक्त होकर साध्वी बन गईं। वह अपना समय साधु-संतों की संगत में कीर्तन करते हुए बिताने लगीं। #❤️शुभकामना सन्देश #🌞 Good Morning🌞 #🌸वाल्मिकी जयंती📿 #📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 #🌸मीराबाई जयंती📿
❤️शुभकामना सन्देश - ~000 FOLLOWUS N 07 OCT मीराबाई जयंती और कृष्ण ' मीराबाई भक्ति संप्रदाय की प्रसिद्ध कवयित्री भक्त थीं , जिन्होंने अपने जीवन को पूर्ण रूप से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया। उनके भजन और पद आज भी लोगों के हृदय में आध्यात्मिक जागृति और प्रेम की भावना जगाते हैं। मीराबाई ने सामाजिक बंधनों और पारंपरिक नियमों की परवाह किए बिना अपनी भक्ति का मार्ग अपनाया, जिससे उनकी भक्ति और संघर्ष का संदेश आज भी प्रेरणादायक है। उनकी जयंती पर भक्तजन उनके भजनों का पाठ करते हैं कीर्तन करते हैं और कृष्ण भक्ति के महत्व को समझते हैं। यह दिन प्रेम , समर्पण और आध्यात्मिक स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। SUBSCRIBE US ON YOUTUBE SS VASTU & TIPS wwWyoutube com/ssvastutips ~000 FOLLOWUS N 07 OCT मीराबाई जयंती और कृष्ण ' मीराबाई भक्ति संप्रदाय की प्रसिद्ध कवयित्री भक्त थीं , जिन्होंने अपने जीवन को पूर्ण रूप से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया। उनके भजन और पद आज भी लोगों के हृदय में आध्यात्मिक जागृति और प्रेम की भावना जगाते हैं। मीराबाई ने सामाजिक बंधनों और पारंपरिक नियमों की परवाह किए बिना अपनी भक्ति का मार्ग अपनाया, जिससे उनकी भक्ति और संघर्ष का संदेश आज भी प्रेरणादायक है। उनकी जयंती पर भक्तजन उनके भजनों का पाठ करते हैं कीर्तन करते हैं और कृष्ण भक्ति के महत्व को समझते हैं। यह दिन प्रेम , समर्पण और आध्यात्मिक स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। SUBSCRIBE US ON YOUTUBE SS VASTU & TIPS wwWyoutube com/ssvastutips - ShareChat
#🌸मीराबाई जयंती📿
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#📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 #🧵विश्व कपास दिवस🥻
📢7 अक्टूबर के अपडेट 📰 - G Section 7 October Day World Cotton G Section 7 October Day World Cotton - ShareChat