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#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana #Eek Tu Hi Guru Ji
satnam waheguru ji - # खामोशी लेगी बदला मेरा जनता मैं सब कुछ हूं की किसके मन में मेरे fg क्या है बस देखना चाहता हूं कि वह किस हद तक अपनेपन का नाटक कर 1890 trerstodk सकता है..!! ऐसे इंसान बुरा वक़्त आने पर साथ देने की बजाय सदा मेरी कमियों ऐसे धटिया इंसान को ही गिनाने लगेगा.. को कभी भी करीब आने ही नही देना चाहिए भले ही वक़्त अच्छा हो या बुरा उसको करीब लाने की बजाय पहचानने से ही इनकार कर कर देना चाहिए..!! ऐसे चतुर लोग सदा रिश्तों में खटास ही पैदा करते हैं जिनका काम ठगना और झूठ प्रेम का नाटक करना होता है. !! ऐसे बंदर की तरह उछल कूद करने वाले इंसान का नाटक कुछ पल देखने के बाद ताली बजाकर साइड से निकल जाना चाहिए॰ # खामोशी लेगी बदला मेरा जनता मैं सब कुछ हूं की किसके मन में मेरे fg क्या है बस देखना चाहता हूं कि वह किस हद तक अपनेपन का नाटक कर 1890 trerstodk सकता है..!! ऐसे इंसान बुरा वक़्त आने पर साथ देने की बजाय सदा मेरी कमियों ऐसे धटिया इंसान को ही गिनाने लगेगा.. को कभी भी करीब आने ही नही देना चाहिए भले ही वक़्त अच्छा हो या बुरा उसको करीब लाने की बजाय पहचानने से ही इनकार कर कर देना चाहिए..!! ऐसे चतुर लोग सदा रिश्तों में खटास ही पैदा करते हैं जिनका काम ठगना और झूठ प्रेम का नाटक करना होता है. !! ऐसे बंदर की तरह उछल कूद करने वाले इंसान का नाटक कुछ पल देखने के बाद ताली बजाकर साइड से निकल जाना चाहिए॰ - ShareChat
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satnam waheguru ji - बिनु गुरकौडू न रगीऐै गुरि मिलिऐ रंगु ] गुरकै भै भाइ जौँ रते सिफती सॅचि SI3II HIGI] अर्थः गुरु के बिना किसी भी जीव पर मै तेरा परमात्मा के नाम का रंग नहीं चढ़ता।जब पूर्ण गुरु मिलते हैं, तभी यह रंग चढ़ता है। जिस प्रकार एक कोरे कपड़ को रंगने के भिखारी g सही प्रक्रिया की आवश्यकता 8 होती' जिओ मन को प्रभु प्रेम में रंगने के उसी प्रकार हमारे गुरु की आवश्यकता होती है। मनुष्य 15 का मन माया के विकारों काम , क्रोध , लोभ পঙ্াভা बिना गुरु आदि के कारण मैला हो चुका है। ' নাল के ज्ञान और मार्गदर्शन के, इंसान चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, उसका मन पवित्र नहीं होता और न ही उस पर भक्ति का बाबा गहरा रंग चढ़ता है।जब इंसान गुरु की शरण Gft में आता है, तो गुरु उसे नाम का ज्ञान देते हैं, जिससे उसका जीवन बदल जाता है और वह प्रभु प्रेम में रंग जाता है। बिनु गुरकौडू न रगीऐै गुरि मिलिऐ रंगु ] गुरकै भै भाइ जौँ रते सिफती सॅचि SI3II HIGI] अर्थः गुरु के बिना किसी भी जीव पर मै तेरा परमात्मा के नाम का रंग नहीं चढ़ता।जब पूर्ण गुरु मिलते हैं, तभी यह रंग चढ़ता है। जिस प्रकार एक कोरे कपड़ को रंगने के भिखारी g सही प्रक्रिया की आवश्यकता 8 होती' जिओ मन को प्रभु प्रेम में रंगने के उसी प्रकार हमारे गुरु की आवश्यकता होती है। मनुष्य 15 का मन माया के विकारों काम , क्रोध , लोभ পঙ্াভা बिना गुरु आदि के कारण मैला हो चुका है। ' নাল के ज्ञान और मार्गदर्शन के, इंसान चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, उसका मन पवित्र नहीं होता और न ही उस पर भक्ति का बाबा गहरा रंग चढ़ता है।जब इंसान गुरु की शरण Gft में आता है, तो गुरु उसे नाम का ज्ञान देते हैं, जिससे उसका जीवन बदल जाता है और वह प्रभु प्रेम में रंग जाता है। - ShareChat
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satnam waheguru ji - पांच तत को तनु रचिओ जानहु चतुर सुजाना जिह ते उपजिओ नानका लीन ताहि भै मानुत अर्थः बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे মীতা समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। परमात्मा का ही अंश है। जीवन हमारी आत्मा लगे का उद्देश्य इसी सत्य को पहचानना है। हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारा अंतिम गंतव्य वही परमात्मा है। यह शरीर अस्थायी है और तेरा जब शरीर अपना नहीं अंततः नष्ट हो जाएगा। है, तो सुंदरता या ताकत का घमंड क्यों?। चूँकि हमें अंत में परमात्मा में ही मिलना है॰ इसलिए 9UT चाहिए जीते जी उस प्रभु का सिमरनःभक्ति करना से मुक्त ताकि हमारी आत्मा जन्म मरण के चक्र होकर अपने स्रोत में मिल सके। ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों सेये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?। पांच तत को तनु रचिओ जानहु चतुर सुजाना जिह ते उपजिओ नानका लीन ताहि भै मानुत अर्थः बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे মীতা समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। परमात्मा का ही अंश है। जीवन हमारी आत्मा लगे का उद्देश्य इसी सत्य को पहचानना है। हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारा अंतिम गंतव्य वही परमात्मा है। यह शरीर अस्थायी है और तेरा जब शरीर अपना नहीं अंततः नष्ट हो जाएगा। है, तो सुंदरता या ताकत का घमंड क्यों?। चूँकि हमें अंत में परमात्मा में ही मिलना है॰ इसलिए 9UT चाहिए जीते जी उस प्रभु का सिमरनःभक्ति करना से मुक्त ताकि हमारी आत्मा जन्म मरण के चक्र होकर अपने स्रोत में मिल सके। ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों सेये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?। - ShareChat
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satnam waheguru ji - जौप्रानी ममढातिज्ै कौभ मोह अर्हकार कहुं नानक आपन तचै अडर्न ळेत उधाारा हे नानक जी कह भाई!़ जो मनुष्य अपने मीठा अंदर से माया की ममता त्यागता है, लोभ मोह और अहंकार को दूर करता है। यह मेरा है वह मेरा 0 है का भाव त्याग देता है और जो लोभ मोह और अहंकार को पूरी तरह से छोड़ देता है। जिस तरह det एक जलता हुआ दीपक दूसरे बुझे हुए दीपकों को जला सकता है उसी तरहएक विकार मुक्त भाणा इंसान दूसरों को भी सही राह दिखाता है और उन्हें परमात्मा से जोड़ता है। वहःस्वयं भी इस संसार समुंद्र से पार लांघ जाता है बल्कि वह अपने संपर्क में आने वाले अनेक अन्य लोगों काभी उद्धार कर देता है। जौप्रानी ममढातिज्ै कौभ मोह अर्हकार कहुं नानक आपन तचै अडर्न ळेत उधाारा हे नानक जी कह भाई!़ जो मनुष्य अपने मीठा अंदर से माया की ममता त्यागता है, लोभ मोह और अहंकार को दूर करता है। यह मेरा है वह मेरा 0 है का भाव त्याग देता है और जो लोभ मोह और अहंकार को पूरी तरह से छोड़ देता है। जिस तरह det एक जलता हुआ दीपक दूसरे बुझे हुए दीपकों को जला सकता है उसी तरहएक विकार मुक्त भाणा इंसान दूसरों को भी सही राह दिखाता है और उन्हें परमात्मा से जोड़ता है। वहःस्वयं भी इस संसार समुंद्र से पार लांघ जाता है बल्कि वह अपने संपर्क में आने वाले अनेक अन्य लोगों काभी उद्धार कर देता है। - ShareChat
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satnam waheguru ji - सचे रतेसैनिरमले सदासची सौइा० ऐथै घरिघरि ज्ापदै आगै ज्ुगि ज्ुगि परगड 8su हे भाई।जो मनुष्य सच्चे परमात्मा के মী নহা प्रेम रंग में रंगे हए हैंवे ही वास्तव में पवित्र भिखारी जीवन वाले होजाते हैं। उनकी शोभा हमेशा बनी रहती है। प्रभु केनाम और प्रेम में पूरी जिओ तरह लीन वे मनऔर आत्मा से पवित्र हा पहाडा जाते हैं। उन्हें संसारका कोई विकार मैला वाले नहीं कर सकता। ऐसे महापुरुषों का सम्मान ঝল केवल परलोक मेंही नहीं, बल्कि इस लोक जी संसारमेंभी होता है।वे घर्घर में जान और परलोक में भीवे युगों ्युगों तक विख्यात रहते हैं। उनकी महिमा समय की सीमाओं से परेहा जाती है। सचे रतेसैनिरमले सदासची सौइा० ऐथै घरिघरि ज्ापदै आगै ज्ुगि ज्ुगि परगड 8su हे भाई।जो मनुष्य सच्चे परमात्मा के মী নহা प्रेम रंग में रंगे हए हैंवे ही वास्तव में पवित्र भिखारी जीवन वाले होजाते हैं। उनकी शोभा हमेशा बनी रहती है। प्रभु केनाम और प्रेम में पूरी जिओ तरह लीन वे मनऔर आत्मा से पवित्र हा पहाडा जाते हैं। उन्हें संसारका कोई विकार मैला वाले नहीं कर सकता। ऐसे महापुरुषों का सम्मान ঝল केवल परलोक मेंही नहीं, बल्कि इस लोक जी संसारमेंभी होता है।वे घर्घर में जान और परलोक में भीवे युगों ्युगों तक विख्यात रहते हैं। उनकी महिमा समय की सीमाओं से परेहा जाती है। - ShareChat
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satnam waheguru ji - मेरी खामोशी लेगी बदला मेरा मतलबी अपने चाहने वालों से संबंध बनाने की जरूरत नही समझता अब मे बस एक परमात्मा से अच्छे संबंध बन जाए फिर किसी से अच्छे संबंध बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी कभी मुझको. !! जी हजूरी मुझसे किसी की होती नहीं मुझसे मेरे जैसे स्वभमानी इंसान अक्सर अकेला ही पाया जाता है क्योकिं मेरे संग रिश्तों को निभाने का इतना किसी मे दम नहा.. ! ! मुझको जिन्दगी मे दुख मिले वो मेरे भाग्य मे थे पर के होते आर्प जैसे मतलबी इंसान मिले सुखों यही असली मेरे दुखों का कारण है..!! भरम के रिश्तों से भरी हुई जिंदगी जी रहा था मैं की यह भी मेरा अपना है वह भी मेरा अपना है सच्चाई तो यह थी यहां जो भी मुझको अपना कहता था मैं सिर्फ अपने मतलब के पीछे मेरा থ[o मेरी खामोशी लेगी बदला मेरा मतलबी अपने चाहने वालों से संबंध बनाने की जरूरत नही समझता अब मे बस एक परमात्मा से अच्छे संबंध बन जाए फिर किसी से अच्छे संबंध बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी कभी मुझको. !! जी हजूरी मुझसे किसी की होती नहीं मुझसे मेरे जैसे स्वभमानी इंसान अक्सर अकेला ही पाया जाता है क्योकिं मेरे संग रिश्तों को निभाने का इतना किसी मे दम नहा.. ! ! मुझको जिन्दगी मे दुख मिले वो मेरे भाग्य मे थे पर के होते आर्प जैसे मतलबी इंसान मिले सुखों यही असली मेरे दुखों का कारण है..!! भरम के रिश्तों से भरी हुई जिंदगी जी रहा था मैं की यह भी मेरा अपना है वह भी मेरा अपना है सच्चाई तो यह थी यहां जो भी मुझको अपना कहता था मैं सिर्फ अपने मतलब के पीछे मेरा থ[o - ShareChat
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satnam waheguru ji - 94R٩ SHf हरन कलि मै हरि को नामु ग] निसि दिनु जौ नानक भजै सफल होहि तिह कामा०] कलियुग * में ईश्वर (हरि) का नाम ही भय का नाश करने वाला और ೯ 95! मीठा वाला है। हे नानक! जो मनुष्य रात दिन दुष्ट बुद्धि , अज्ञानता , पाप को ೯ೇ೯' प्रभु का भजन (सिमरन) करता ' लगे उसके सभी कार्य सफल होते है। में मनुष्य  कलियुग  कई तरह के डरों और विकारों से इस संसार विशेषकर घिरा रहता है। गुरु जी कहते हैं कि केवल परमात्मा का नाम ही समर्थ है I जो हमारे मन से हर प्रकार के डर भै को मिटा सकता है और हमारी खोटी बुद्धि को शुद्ध कर सकता है। जो व्यक्ति 'निसि दिनु' यानी रात और दुरमति ' दिन उस परमात्मा का सिमरन करता है, उसे जीवन का सही मार्ग मिल भाण जाता है। जब मन से डर निकल जाता है और बुद्धि निर्मल हो जाती है, तो उस भक्त के लोक और परलोक दोनों के कार्य सफल सिद्ध हो जाते हैं। उसका जीवन व्यर्थ नहीं जाता। 94R٩ SHf हरन कलि मै हरि को नामु ग] निसि दिनु जौ नानक भजै सफल होहि तिह कामा०] कलियुग * में ईश्वर (हरि) का नाम ही भय का नाश करने वाला और ೯ 95! मीठा वाला है। हे नानक! जो मनुष्य रात दिन दुष्ट बुद्धि , अज्ञानता , पाप को ೯ೇ೯' प्रभु का भजन (सिमरन) करता ' लगे उसके सभी कार्य सफल होते है। में मनुष्य  कलियुग  कई तरह के डरों और विकारों से इस संसार विशेषकर घिरा रहता है। गुरु जी कहते हैं कि केवल परमात्मा का नाम ही समर्थ है I जो हमारे मन से हर प्रकार के डर भै को मिटा सकता है और हमारी खोटी बुद्धि को शुद्ध कर सकता है। जो व्यक्ति 'निसि दिनु' यानी रात और दुरमति ' दिन उस परमात्मा का सिमरन करता है, उसे जीवन का सही मार्ग मिल भाण जाता है। जब मन से डर निकल जाता है और बुद्धि निर्मल हो जाती है, तो उस भक्त के लोक और परलोक दोनों के कार्य सफल सिद्ध हो जाते हैं। उसका जीवन व्यर्थ नहीं जाता। - ShareChat
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satnam waheguru ji - जीतूं दिहिजपीतेरा नाऊ दर्गह बैसण होवै थाउ[ दुरमति जाइाा जातुधु थावै ता गिऑन स्तन्नु मनिवसै आडा नदरिकरता सतिगुरु मिलै। प्रणवति नानकु भवजलुनखाा ೯ ೯9! जब तू अपने नाम की दात मुझे मीठा देता है॰ तभी मैंतेरा नाम जप सकता हूँ ನಾ और तेरी हजूरी में मुझे बैठने के fag जगह मिल सकती है।जिब तेरी रजा हो तब ही मेरी बुरी मति दूर॰हो सकती है॰ औरतेरा बख्शा हुआ श्रेष्ठ ज्ञान मेरे मन ٩٦ में आ के बस सकता है। बाबानानक विनती करते है कि जिस मनुष्य पर प्रभू 16' की नजरकरता हैउसे गुरू मिलता है॰ और वह संसार समुंद्रसे पारलांघ 347 81 जीतूं दिहिजपीतेरा नाऊ दर्गह बैसण होवै थाउ[ दुरमति जाइाा जातुधु थावै ता गिऑन स्तन्नु मनिवसै आडा नदरिकरता सतिगुरु मिलै। प्रणवति नानकु भवजलुनखाा ೯ ೯9! जब तू अपने नाम की दात मुझे मीठा देता है॰ तभी मैंतेरा नाम जप सकता हूँ ನಾ और तेरी हजूरी में मुझे बैठने के fag जगह मिल सकती है।जिब तेरी रजा हो तब ही मेरी बुरी मति दूर॰हो सकती है॰ औरतेरा बख्शा हुआ श्रेष्ठ ज्ञान मेरे मन ٩٦ में आ के बस सकता है। बाबानानक विनती करते है कि जिस मनुष्य पर प्रभू 16' की नजरकरता हैउसे गुरू मिलता है॰ और वह संसार समुंद्रसे पारलांघ 347 81 - ShareChat