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#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - अर्थः परमात्मा की महिमा भावार्थः पाताल से लेकर आकाश मीठा गुरु साहिब समझा रहे हैं तक फैली हुई है।वेदों ने भी ढूंढने से प्रभु की महिमा ললযী कि प्रभु की महिमा अनंत का पता नहीं लगाया।वेदों है और वेदों ने भी इसकी ने एक स्वर में कहा है कि प्रभु की महिमा अनंत है। गहराई को नहीं पाया। प्रभु सारे वेद एक जुबान हो के महिमा को समझने के भाणा कहते हैंl पातालों के नीचे লিভ ' ढूंढने से भी नहीं और भी लाखों पाताल हैं मिलता, लेकिन प्रभु की और आकाशों के ऊपर और भी लाखों आकाश कृपा से ही इसका अनुभव बेअंत ऋषी मुनी जिगत के किया जा सकता हैl आखिरी छोर को ढूँढढूँढ के थक गए हैं पर ढूँढ नहीं H$l अर्थः परमात्मा की महिमा भावार्थः पाताल से लेकर आकाश मीठा गुरु साहिब समझा रहे हैं तक फैली हुई है।वेदों ने भी ढूंढने से प्रभु की महिमा ললযী कि प्रभु की महिमा अनंत का पता नहीं लगाया।वेदों है और वेदों ने भी इसकी ने एक स्वर में कहा है कि प्रभु की महिमा अनंत है। गहराई को नहीं पाया। प्रभु सारे वेद एक जुबान हो के महिमा को समझने के भाणा कहते हैंl पातालों के नीचे লিভ ' ढूंढने से भी नहीं और भी लाखों पाताल हैं मिलता, लेकिन प्रभु की और आकाशों के ऊपर और भी लाखों आकाश कृपा से ही इसका अनुभव बेअंत ऋषी मुनी जिगत के किया जा सकता हैl आखिरी छोर को ढूँढढूँढ के थक गए हैं पर ढूँढ नहीं H$l - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - जिन हरि जन संतिगुर g तिन संगति पाई मसतकि लिखिआ Refaigge3 {িন্তট্য हरिरसु सतर्संगति पाइआ मिलि जिन नानक মম্তুভেসামি] हे भाई!जिन जीवों को बाबा नानक जी कह! धन्य ৯ মযা তিষ ম ufa' की संगति प्राप्त हुई मे तेरा बैठने से प्रभू के नाम का है, उनके माथे पर धुर से ही भिखारी आनन्द मिलता है॰ जिहाँ जिओ गुरमुखों को मिलने से हृदय प्रभु के नाम की लिखाई परमात्मा का नाम आ लिखी गई है।जिन ' पहाडा प्रभू के है। सत्संगत की बसता वाले सेवकों को गुरू की संगति में महिमा अपरंपार है, जहां प्रभु का नाम प्रकाशित होता बाबा बैठना नसीब हुआ है, को प्रभु  है और जीवों ' जी के समझो उनके माथे पर नाम का प्रकाश मिलता है। धुर से ही भाग्यशाली लेख लिखे हुए हैं। जिन हरि जन संतिगुर g तिन संगति पाई मसतकि लिखिआ Refaigge3 {িন্তট্য हरिरसु सतर्संगति पाइआ मिलि जिन नानक মম্তুভেসামি] हे भाई!जिन जीवों को बाबा नानक जी कह! धन्य ৯ মযা তিষ ম ufa' की संगति प्राप्त हुई मे तेरा बैठने से प्रभू के नाम का है, उनके माथे पर धुर से ही भिखारी आनन्द मिलता है॰ जिहाँ जिओ गुरमुखों को मिलने से हृदय प्रभु के नाम की लिखाई परमात्मा का नाम आ लिखी गई है।जिन ' पहाडा प्रभू के है। सत्संगत की बसता वाले सेवकों को गुरू की संगति में महिमा अपरंपार है, जहां प्रभु का नाम प्रकाशित होता बाबा बैठना नसीब हुआ है, को प्रभु  है और जीवों ' जी के समझो उनके माथे पर नाम का प्रकाश मिलता है। धुर से ही भाग्यशाली लेख लिखे हुए हैं। - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana #Eek Tu Hi Guru Ji
satnam waheguru ji - # खामोशी लेगी बदला मेरा veations  वफादारी छोड़ दी मैने सभी के प्रति क्योंकि दुनियां वाले की हुई एक ग़लती पर हजारों वफाएं भूल जाते है..! ! मेरी खामोशी और .@ शांत रहना मेरी आदत है tterstck बाकी कौन कहां तक साथ देगा मेरा सब कुछ जानता हूं॰.!! आज में भले ही چ अकेला हूं पर झुकने वहम को छोड़ दिया है क्योंकि साथ खड़ा हर शख्स जादूगर है पता ही नहीं लगने देता के साथ दे रहा है या साथ रहकर धोखा दे रहा में कभी 8..!! 4ஈ$ हाथों भी नहीं रोया रुलाते ते वह लोग है जिन्हें हम जिन्दगी समझ बैठे थे..!! सभी के साथ अच्छा करने के बाद भी कुछ   इज्जत हासिल नहीं होती जैसे अधिक मिलने पर कपड़े भी पसंद करने मुश्किल हो जाते 8..!! # खामोशी लेगी बदला मेरा veations  वफादारी छोड़ दी मैने सभी के प्रति क्योंकि दुनियां वाले की हुई एक ग़लती पर हजारों वफाएं भूल जाते है..! ! मेरी खामोशी और .@ शांत रहना मेरी आदत है tterstck बाकी कौन कहां तक साथ देगा मेरा सब कुछ जानता हूं॰.!! आज में भले ही چ अकेला हूं पर झुकने वहम को छोड़ दिया है क्योंकि साथ खड़ा हर शख्स जादूगर है पता ही नहीं लगने देता के साथ दे रहा है या साथ रहकर धोखा दे रहा में कभी 8..!! 4ஈ$ हाथों भी नहीं रोया रुलाते ते वह लोग है जिन्हें हम जिन्दगी समझ बैठे थे..!! सभी के साथ अच्छा करने के बाद भी कुछ   इज्जत हासिल नहीं होती जैसे अधिक मिलने पर कपड़े भी पसंद करने मुश्किल हो जाते 8..!! - ShareChat
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satnam waheguru ji - प्रभ की आगिआ आतम हितावै Il जीवन मुकति सोऊ कहावैIl अर्थः जो मनुष्य प्रभू की रजा को मन में ম নয मीठा करके मानता है, वही जीते जी मुक्त लिए ' भिखारी कहलाता है।उसके ೩T खुशी एक समान ही है॰ उसे सदा आनंद है जिओ क्योंकि उसके हृदय में प्रभू चरणों से विछोड़ा नहीं है। सोना और मिट्टी भी उस 46TST लिए ' मनुष्य के बराबर हैं भाव, सोना देख के वह लोभ में नहीं फंसता, अमृत व I लिए ' कड़वा विष भी उसके एक जैसा है। किसी से आदरभरा व्यावहार हो अथवा बाबा लिए अहंकार का उस मनुष्य के एक जी समान है॰ कंगाल और शहनशाह भी उसकी नजर में बराबर हैं। प्रभ की आगिआ आतम हितावै Il जीवन मुकति सोऊ कहावैIl अर्थः जो मनुष्य प्रभू की रजा को मन में ম নয मीठा करके मानता है, वही जीते जी मुक्त लिए ' भिखारी कहलाता है।उसके ೩T खुशी एक समान ही है॰ उसे सदा आनंद है जिओ क्योंकि उसके हृदय में प्रभू चरणों से विछोड़ा नहीं है। सोना और मिट्टी भी उस 46TST लिए ' मनुष्य के बराबर हैं भाव, सोना देख के वह लोभ में नहीं फंसता, अमृत व I लिए ' कड़वा विष भी उसके एक जैसा है। किसी से आदरभरा व्यावहार हो अथवा बाबा लिए अहंकार का उस मनुष्य के एक जी समान है॰ कंगाल और शहनशाह भी उसकी नजर में बराबर हैं। - ShareChat
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satnam waheguru ji - बूझै देखै करै बिबेक।।आपहि एक आपहि अनेक।। मीठा लगे तेरा भाणा हे भाई।प्रभू स्वयं ही एक हे और स्वयं ही अनेक रूप धारण किए हुए हे।सब कुछ समझता हैदेखता है और पहचानता है। जो कुछ उसने बनाया है अपनी মীতা ম ননায়া ৪; মন জীবী/ के अंग संग भी हे और सबसे अलग भी है। बूझै देखै करै बिबेक।।आपहि एक आपहि अनेक।। मीठा लगे तेरा भाणा हे भाई।प्रभू स्वयं ही एक हे और स्वयं ही अनेक रूप धारण किए हुए हे।सब कुछ समझता हैदेखता है और पहचानता है। जो कुछ उसने बनाया है अपनी মীতা ম ননায়া ৪; মন জীবী/ के अंग संग भी हे और सबसे अलग भी है। - ShareChat
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satnam waheguru ji - 1 खामोशी लेेगी बदला मेरा समय रहते एक बात तो समझ आ ही॰गई कि कोई किसी की अच्छाई नहीं देखता जिसको जहां फायदा दिखता है वह उसी का पानी भरता है..!! विश्वास अबउसी पर करता हूं जिनकी बातों में मिठास भले नाहो पर दिल से अच्छै हो परंतु जो मुंह पर अच्छैे और पीठ पर वार करै वह भला कभी किसी के हुए नहीं  !! रिश्तों के रहते अगर में अपनों का तो यह ना 1 आदर करता ক্িমী ব্ূা समझ लेना गुलाम हूं अगर सिर पर बिठा सकता हूं तो मुंह के बल गिरा भी सकता हूं..!! पीठ पीछे कोई मेरी निंदा भी करता है तो फिक्र नहीं करता क्योंकि परछाइयां कभी भी शरीर से जीत नहीं पाती..!! 1 खामोशी लेेगी बदला मेरा समय रहते एक बात तो समझ आ ही॰गई कि कोई किसी की अच्छाई नहीं देखता जिसको जहां फायदा दिखता है वह उसी का पानी भरता है..!! विश्वास अबउसी पर करता हूं जिनकी बातों में मिठास भले नाहो पर दिल से अच्छै हो परंतु जो मुंह पर अच्छैे और पीठ पर वार करै वह भला कभी किसी के हुए नहीं  !! रिश्तों के रहते अगर में अपनों का तो यह ना 1 आदर करता ক্িমী ব্ূা समझ लेना गुलाम हूं अगर सिर पर बिठा सकता हूं तो मुंह के बल गिरा भी सकता हूं..!! पीठ पीछे कोई मेरी निंदा भी करता है तो फिक्र नहीं करता क्योंकि परछाइयां कभी भी शरीर से जीत नहीं पाती..!! - ShareChat
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satnam waheguru ji - fazi गुर प्रीति न ऊपजै भाई मनमुखि दूजै भाइ।तुह कुटहि मनमुख कख करहि भाई [g 4 74s| मनुष्य की उन क्रियाओं से हे भाई! गुरू के बिना मनुष्य #ಕ[ कुछ भी हासिल नहीं होता प्यार पैदा नहीं 7?71 का जैसे फोक में से कुछ नहीं होता, अपने मन के पीछे लगे   निकलता।मनमुख जीव की चलने वाले मनुष्य प्रभू को छोड़ के माया के प्यार में धार्मिक क्रियाएं व्यर्थ हैं, जब तेरा ग्रस्त रहते हैं।अपने मन के ೩g೯' की शरण में dc पीछे चलने वाले मनुष्य जो आकर प्रभु के प्रति प्रेम नहीं QIUIT भी धार्मिक काम करते हैं उत्पन्न करते। वह जैसे फॅक ही कूटते हैं और वह सभी व्यर्थ ही हैं। fazi गुर प्रीति न ऊपजै भाई मनमुखि दूजै भाइ।तुह कुटहि मनमुख कख करहि भाई [g 4 74s| मनुष्य की उन क्रियाओं से हे भाई! गुरू के बिना मनुष्य #ಕ[ कुछ भी हासिल नहीं होता प्यार पैदा नहीं 7?71 का जैसे फोक में से कुछ नहीं होता, अपने मन के पीछे लगे   निकलता।मनमुख जीव की चलने वाले मनुष्य प्रभू को छोड़ के माया के प्यार में धार्मिक क्रियाएं व्यर्थ हैं, जब तेरा ग्रस्त रहते हैं।अपने मन के ೩g೯' की शरण में dc पीछे चलने वाले मनुष्य जो आकर प्रभु के प्रति प्रेम नहीं QIUIT भी धार्मिक काम करते हैं उत्पन्न करते। वह जैसे फॅक ही कूटते हैं और वह सभी व्यर्थ ही हैं। - ShareChat