MUKESH Nagar
ShareChat
click to see wallet page
@mukeshkhujner
mukeshkhujner
MUKESH Nagar
@mukeshkhujner
व्यस्त रहें, मस्त रहें
#☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार ##भगवद गीता🙏🕉️
☝ मेरे विचार - [ಕಳ 01 কায কী अधिकता से কনহান নাল व्यक्ति॰ कभी कोई बड़ा कार्य नर्ही कर सकते। N [ಕಳ 01 কায কী अधिकता से কনহান নাল व्यक्ति॰ कभी कोई बड़ा कार्य नर्ही कर सकते। N - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार #मित्र #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - दिसंबर 2 विश्व एड्स दिवस (World AIDS Duy) सीमा सुरक्षा बल स्थापना दिवस Border Security Force Raising Day fc HాIే6 నాాా Day Nagaland Statehood MN दिसंबर 2 विश्व एड्स दिवस (World AIDS Duy) सीमा सुरक्षा बल स्थापना दिवस Border Security Force Raising Day fc HాIే6 నాాా Day Nagaland Statehood MN - ShareChat
#Bhagvad Geeta ka Gyaan #🙏 प्रेरणादायक विचार ##भगवद गीता🙏🕉️ #☝ मेरे विचार #❤️जीवन की सीख
Bhagvad Geeta ka Gyaan - 01 बिन जले भभूति नहीं दिषाम्वर और बिन चले अनुभूति नहीं , और खामी खूवी दोनों ही होती हैं हर इंसान में जो तराशता है उसे खूवी जो तलाशता है उसे खामी नजर आती है। MN 01 बिन जले भभूति नहीं दिषाम्वर और बिन चले अनुभूति नहीं , और खामी खूवी दोनों ही होती हैं हर इंसान में जो तराशता है उसे खूवी जो तलाशता है उसे खामी नजर आती है। MN - ShareChat
#❤️जीवन की सीख ##भगवद गीता🙏🕉️ #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #Bhagvad Geeta ka Gyaan
❤️जीवन की सीख - नेहाभिक्रमनाशोउस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।I इस कर्मयोगमें आरम्भका अर्थात् बीजका नाश नहीं है और उलटा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोगरूप धर्मका थोड़ा-सा भी साधन जन्म- मृत्युरूप महान् भयसे रक्षा कर लेता है II ४० Il व्यवसायात्मिका   बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोउव्यवसायिनाम् ।।  हे अर्जुन! इस कर्मयोगमें निश्चयात्मिका बुद्धि एक ही होती है; किन्तु अस्थिर विचारवाले विवेकहीन मनुष्योंकी बुद्धियाँ निश्चय ही बहुत भेदोंवाली  সন্ধাস और अनन्त होती हैं Il ४१ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार नेहाभिक्रमनाशोउस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।I इस कर्मयोगमें आरम्भका अर्थात् बीजका नाश नहीं है और उलटा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोगरूप धर्मका थोड़ा-सा भी साधन जन्म- मृत्युरूप महान् भयसे रक्षा कर लेता है II ४० Il व्यवसायात्मिका   बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोउव्यवसायिनाम् ।।  हे अर्जुन! इस कर्मयोगमें निश्चयात्मिका बुद्धि एक ही होती है; किन्तु अस्थिर विचारवाले विवेकहीन मनुष्योंकी बुद्धियाँ निश्चय ही बहुत भेदोंवाली  সন্ধাস और अनन्त होती हैं Il ४१ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 ##भगवद गीता🙏🕉️ #☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - 304990 जो लोग जीवन में িংনী কী ওনকী erafea & आधार पर महत्व नर्ही देते है वो हर #ತನಷ {నై9గౌ पाते हैं। ٨٨٨ 304990 जो लोग जीवन में িংনী কী ওনকী erafea & आधार पर महत्व नर्ही देते है वो हर #ತನಷ {నై9గౌ पाते हैं। ٨٨٨ - ShareChat
#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार ##भगवद गीता🙏🕉️ #❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔
☝ मेरे विचार - 30 जिन्होने समय पर नवभ्बर  साथ दिया, डन रिश्तों की कद्र समय से भी ज्यादा करनी चाहिए। )0 30 जिन्होने समय पर नवभ्बर  साथ दिया, डन रिश्तों की कद्र समय से भी ज्यादा करनी चाहिए। )0 - ShareChat
##भगवद गीता🙏🕉️ #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार
#भगवद गीता🙏🕉️ - हतो वाप्राप्स्यसि स्वर्गंजित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः II तू युद्धमें मारा जाकर स्वर्गको प्राप्त होगा या तो अथवा संग्राममें जीतकर पृथ्वीका राज्य भोगेगा तू युद्धके लिये निश्चय करके इस कारण हे अर्जुन ! खडा हाजा II ३७ |l सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि II जय-पराजय लाभ-्हानि और सुख-दुःखको समान लिये तैयार हो जा; इस समझकर, उसके बाद युद्धके प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको नहीं प्राप्त होगा II ३८ II एषा तेउभिहिता साङ्ख्ये बुद्धि्योंगे त्विमां शरृणु | यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि I।  युक्तो बुद्ध्या यह  बुद्धि तेरे लिये  ज्ञानयोगके१ ೯   "* विषयमें कही गयी और अब तू इसको कर्मयोगके२ विषयमें सुन-जिस बुद्धिसे युक्त हुआ तू कर्मोंके बन्धनको   भलीभाँति त्याग देगा अर्थात् सर्वथा శాా ఐగా కTGTTTII 38 Il श्लोक ३ की टिप्पणीमें इसका विस्तार १-२ अध्याय 3 देखना   चाहिये। श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार हतो वाप्राप्स्यसि स्वर्गंजित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः II तू युद्धमें मारा जाकर स्वर्गको प्राप्त होगा या तो अथवा संग्राममें जीतकर पृथ्वीका राज्य भोगेगा तू युद्धके लिये निश्चय करके इस कारण हे अर्जुन ! खडा हाजा II ३७ |l सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि II जय-पराजय लाभ-्हानि और सुख-दुःखको समान लिये तैयार हो जा; इस समझकर, उसके बाद युद्धके प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको नहीं प्राप्त होगा II ३८ II एषा तेउभिहिता साङ्ख्ये बुद्धि्योंगे त्विमां शरृणु | यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि I।  युक्तो बुद्ध्या यह  बुद्धि तेरे लिये  ज्ञानयोगके१ ೯   "* विषयमें कही गयी और अब तू इसको कर्मयोगके२ विषयमें सुन-जिस बुद्धिसे युक्त हुआ तू कर्मोंके बन्धनको   भलीभाँति त्याग देगा अर्थात् सर्वथा శాా ఐగా కTGTTTII 38 Il श्लोक ३ की टिप्पणीमें इसका विस्तार १-२ अध्याय 3 देखना   चाहिये। श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
##भगवद गीता🙏🕉️ #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔
#भगवद गीता🙏🕉️ - 29reeck स्वयं के अनियंत्रित विचार हमारे सबसे बड़े दुश्मन है। वैचारिक नियंत्रण भी एक तपरया है। కెలా qqeలT # अनुकूलता रखें। ٨٨ 29reeck स्वयं के अनियंत्रित विचार हमारे सबसे बड़े दुश्मन है। वैचारिक नियंत्रण भी एक तपरया है। కెలా qqeలT # अनुकूलता रखें। ٨٨ - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार ##भगवद गीता🙏🕉️
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - 29 निवम्बर नारज़् होना और रूठना, में बह्ुत 2,, বিংন अहम मगर, हमारे बिना किसी की जिंदगी ठहर जायेगी 2,, ٤ ٤٠٨ ٤١٤٠ )0 29 निवम्बर नारज़् होना और रूठना, में बह्ुत 2,, বিংন अहम मगर, हमारे बिना किसी की जिंदगी ठहर जायेगी 2,, ٤ ٤٠٨ ٤١٤٠ )0 - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #भगवद गीता अध्यन 📖 #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩
भगवद गीता के सभी श्लोक - अकीर्ति भूतानि चापि ೫ಗಾೆೆ तेउव्ययाम्| আরান্মীনি- सम्भावितस्य र्मरणादतिरिच्यते तथा सब लोग तेरी बहुत कालतक रहनेवाली अपकीर्तिका भी कथन करेंगे और माननीय पुरुषके लिये अपकीर्ति मरणसे भी बढ़कर है Il ३४ Il भयाद्रणादुपरतं   मंस्यन्ते Tೆ महारथाः | येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।I  और जिनकी दृष्टिमें तू पहले बहुत सम्मानित लघुताको प्राप्त होगा, वे महारथीलोग होकर अब तुझे भयके कारण हटा हुआ मानेंगे II ३५ Il युद्धसे बहून्वदिष्यन्ति तवाहिताः अवाच्यवादांश्च निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।I  तेरे वैरीलोग तेरे सामर्थ्यको निन्दा करते हुए तुझे बहुत-से न कहने योग्य वचन भी कहेंगे; उससे अधिक दुःख और क्या होगा ? II ३६ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार अकीर्ति भूतानि चापि ೫ಗಾೆೆ तेउव्ययाम्| আরান্মীনি- सम्भावितस्य र्मरणादतिरिच्यते तथा सब लोग तेरी बहुत कालतक रहनेवाली अपकीर्तिका भी कथन करेंगे और माननीय पुरुषके लिये अपकीर्ति मरणसे भी बढ़कर है Il ३४ Il भयाद्रणादुपरतं   मंस्यन्ते Tೆ महारथाः | येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।I  और जिनकी दृष्टिमें तू पहले बहुत सम्मानित लघुताको प्राप्त होगा, वे महारथीलोग होकर अब तुझे भयके कारण हटा हुआ मानेंगे II ३५ Il युद्धसे बहून्वदिष्यन्ति तवाहिताः अवाच्यवादांश्च निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।I  तेरे वैरीलोग तेरे सामर्थ्यको निन्दा करते हुए तुझे बहुत-से न कहने योग्य वचन भी कहेंगे; उससे अधिक दुःख और क्या होगा ? II ३६ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat