बाबा गुरबख्श सिंह जी
बाबा गुरबख्श सिंह जी (Baba Gurbaksh Singh Ji) सिख इतिहास के एक महान योद्धा और शहीद (Great Warrior and Martyr) थे।
उनकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
जन्म और प्रारंभिक जीवन: उनका जन्म 10 अप्रैल 1688 को अमृतसर के पास गाँव लील में हुआ था। वह गुरु गोबिंद सिंह जी के समकालीन थे और 11 वर्ष की आयु में भाई मणी सिंह जी की प्रेरणा से उन्होंने अमृतपान किया था।
शिक्षा और सैन्य सेवा: उन्होंने बाबा दीप सिंह जी और भाई मणी सिंह जी के साथ समय बिताया, और वह एक कुशल विद्वान और योद्धा बने।
शहादत: वह मुख्य रूप से दिसंबर 1764 में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर की रक्षा के लिए अपनी शहादत के लिए जाने जाते हैं।
अहमद शाह अब्दाली ने जब हिंदुस्तान पर सातवाँ आक्रमण किया और अमृतसर पर हमला किया, तो बाबा गुरबख्श सिंह जी ने लगभग 30 सिखों के एक जत्थे का नेतृत्व किया।
उन्होंने अब्दाली की विशाल सेना (लगभग 30,000) के खिलाफ़ बहादुरी से लोहा लिया और श्री हरमंदिर साहिब की रक्षा करते हुए अंतिम सांस तक लड़ते रहे, जहाँ उन्होंने शहीदी प्राप्त की।
यादगार: उनकी शहादत की याद में गुरुद्वारा श्री शहीद गंज बाबा गुरबख्श सिंह श्री हरमंदिर साहिब परिसर में, श्री अकाल तख्त के पीछे स्थित है।
चरित्र: वह नीले बाणे (पारंपरिक सिख पोशाक) में रहते थे, अमृतवेले जागते थे, और अपने शरीर और दस्तार (पगड़ी) को सरबलोह (शुद्ध लोहा) के शस्त्रों और कवच से सजाते थे। वह अत्यंत निडर, धार्मिक और सम्माननीय संत-सिपाही के रूप में जाने जाते हैं।
वह सिखों के इतिहास में एक महान शहीद और संत-सिपाही (Saint-Soldier) के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्होंने धर्म और पवित्र स्थल की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
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सनातन धर्म से जुड़ी खास बातें
नमस्ते! सनातन धर्म (जिसे अक्सर हिंदू धर्म भी कहा जाता है) दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है और इसकी कई खास और महत्वपूर्ण बातें हैं।
यहाँ सनातन धर्म से जुड़ी कुछ प्रमुख और खास बातें दी गई हैं:
🕉️ मुख्य सिद्धांत और मान्यताएँ
अनादि और शाश्वत: "सनातन" का अर्थ है शाश्वत, जिसका न कोई आदि है और न ही कोई अंत। इसे किसी मनुष्य द्वारा स्थापित नहीं माना जाता, बल्कि इसे अनादि काल से चली आ रही जीवन पद्धति माना जाता है।
ब्रह्म (परम सत्य): यह माना जाता है कि एक ही परम सत्य है जिसे ब्रह्म कहा जाता है। यह निराकार और साकार दोनों रूपों में अभिव्यक्त होता है। सभी देवी-देवता इसी एक ब्रह्म के विभिन्न रूप या अभिव्यक्तियाँ हैं।
कर्म का सिद्धांत: यह मान्यता है कि व्यक्ति के कर्म (कार्य) ही उसका भविष्य तय करते हैं। अच्छे कर्म (सत्कर्म) शुभ परिणाम लाते हैं, जबकि बुरे कर्म (दुष्कर्म) दुःख और कष्ट का कारण बनते हैं।
पुनर्जन्म और मोक्ष: आत्मा को अमर माना जाता है, जो कर्मों के आधार पर एक शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करती है (पुनर्जन्म)। इस जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाना ही मोक्ष (परम लक्ष्य) कहलाता है।
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष (पुरुषार्थ): मनुष्य जीवन के चार मुख्य लक्ष्य माने गए हैं:
धर्म: नैतिक और धार्मिक कर्तव्य।
अर्थ: धन और समृद्धि।
काम: इच्छाओं और आनंद की पूर्ति।
मोक्ष: जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति।
📜 प्रमुख ग्रंथ और स्रोत
वेद: सनातन धर्म के सबसे प्राचीन और आधारभूत ग्रंथ। ये चार हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद।
उपनिषद्: वेदों का दार्शनिक भाग, जो ब्रह्म, आत्मा और मोक्ष के गूढ़ ज्ञान को समझाता है।
भगवद गीता: यह महाभारत का एक हिस्सा है और इसे सनातन धर्म का सार माना जाता है। यह कर्म, भक्ति, और ज्ञान योग का उपदेश देती है।
रामायण और महाभारत: ये दो महान महाकाव्य हैं, जो धर्म, न्याय और नैतिकता के आदर्शों को कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं।
पुराण: इनमें देवी-देवताओं की कथाएँ, सृष्टि का वर्णन और धार्मिक विधान दिए गए हैं।
🙏 विविधता और सहिष्णुता
अनेकता में एकता: सनातन धर्म में देवताओं की पूजा के कई रूप हैं (जैसे शिव, विष्णु, शक्ति आदि), लेकिन सभी को एक ही परम शक्ति का रूप माना जाता है। यह विविधता को स्वीकार करता है।
पूजा की स्वतंत्रता: हर व्यक्ति को अपनी रुचि और समझ के अनुसार पूजा-पाठ, भजन, ध्यान, या योग का मार्ग चुनने की स्वतंत्रता है।
सहिष्णुता: इसमें सभी धर्मों के प्रति आदर और सम्मान का भाव सिखाया गया है। यह दुनिया के किसी भी व्यक्ति को अपने धार्मिक मार्ग पर चलने से नहीं रोकता।
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टंट्या मामा भील जी
टंट्या मामा भील जी भारतीय इतिहास के एक महान जननायक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें प्यार से टंट्या मामा भी कहा जाता है।
वास्तविक नाम: उनका वास्तविक नाम तांतिया था।
समुदाय: वह स्वदेशी आदिवासी समुदाय की भील जनजाति के सदस्य थे।
जन्म: उनका जन्म 1840 के आसपास तत्कालीन मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) के पूर्वी निमाड़ (खंडवा) की पंधाना तहसील के बड़ादा (बरदा) गाँव में हुआ था।
पहचान: उन्हें अक्सर "भारत का रॉबिनहुड" कहा जाता है, क्योंकि वे अंग्रेजी सरकार की संपत्ति और उनके समर्थक अमीरों को लूटकर उस धन को गरीबों और जरूरतमंदों में बाँट देते थे।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ: उन्होंने 1878 और 1889 के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। वह गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे और 12 वर्षों तक अंग्रेजों को चकमा देते रहे।
लोकप्रियता: आम जनता, खासकर आदिवासी और गरीब लोग, उन्हें एक रक्षक और मसीहा मानती थी, इसलिए उन्हें सम्मान और स्नेह से 'मामा' कहकर पुकारा जाता था।
बलिदान: उन्हें 4 दिसंबर 1889 को ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर जबलपुर जेल में फाँसी दे दी गई थी। उनका बलिदान दिवस हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है।
कर्मस्थली: उनकी कर्मस्थली इंदौर के पास पातालपानी में थी, जहाँ आज भी उनकी समाधि स्थापित है।
वह आदिवासी स्वाभिमान और ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के एक महान प्रतीक माने जाते हैं।
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भगवान श्री गुरु दत्तात्रेय जी
जय गुरुदेव! 🙏
भगवान श्री गुरु दत्तात्रेय जी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय देवता हैं, जिन्हें त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का संयुक्त अंश अवतार माना जाता है।
उनके बारे में कुछ मुख्य बातें यहाँ दी गई हैं:
जन्म: उनका जन्म महर्षि अत्रि और सती अनुसूया के यहाँ मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा (दत्तात्रेय जयंती) के दिन हुआ था।
स्वरूप: उन्हें प्रायः तीन मुख और छह भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है, जो त्रिदेवों की शक्तियों का प्रतीक है।
विशेषता: उन्हें आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत (जो संसार के बंधनों से मुक्त हो) और योग तथा ज्ञान का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता है। वे शीघ्र कृपा करने वाले देव माने जाते हैं।
गुरु: भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति और जीवों से ज्ञान प्राप्त किया था, इसलिए उनके 24 गुरु माने जाते हैं। इनमें पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, पक्षी (कबूतर, कुररी), जानवर (हाथी, अजगर), और मनुष्य (पिंगला वेश्या, बालक) शामिल हैं। यह दर्शाता है कि ज्ञान कहीं से भी मिले, उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।
दत्त संप्रदाय: पूरे भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र में दत्त संप्रदाय में उनकी उपासना गुरु के रूप में बड़े धूमधाम से की जाती है। उनके तीन प्रमुख ऐतिहासिक अवतार श्रीपाद श्रीवल्लभ, श्री नृसिंह सरस्वती, और मणिकप्रभु हुए।
साथी: उनकी प्रतिमा में उन्हें अक्सर एक गाय (पृथ्वी और कामधेनु का प्रतीक) और उनके चारों ओर चार कुत्ते (चार वेदों का प्रतीक) के साथ देखा जाता है।
भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से तीनों देवों की पूजा का फल प्राप्त होता है।
क्या आप भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरुओं में से किसी के बारे में अधिक जानना चाहेंगे, या उनकी जन्म कथा के बारे में? #🆕 ताजा अपडेट #hindi khabar #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #aaj ki taaja khabar
भारतीय नौसेना दिवस
भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है।
यह दिन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना द्वारा 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' की सफलता को चिह्नित करने और नौसेना के वीर जवानों के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। 4 दिसंबर 1971 को, भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला कर उनके चार जहाजों को डुबो दिया था, जिसमें पीएनएस खैबर भी शामिल था।
यह दिवस नौसेना की उपलब्धियों और देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को याद करने का अवसर होता है।
क्या आप भारतीय नौसेना दिवस के इतिहास या इस वर्ष के समारोहों के बारे में और जानना चाहेंगे? #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #hindi khabar #🗞breaking news🗞 #🆕 ताजा अपडेट
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अरुंधति रॉय जी
सुज़ेना अरुंधति रॉय (Susanna Arundhati Roy) एक अंग्रेजी लेखिका और समाजसेवी हैं।
उनके बारे में कुछ मुख्य बातें:
जन्म: 24 नवंबर, 1961, शिलांग, मेघालय।
प्रसिद्ध कार्य: उनका पहला उपन्यास "द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स" (The God of Small Things) है, जिसके लिए उन्हें 1997 में बुकर पुरस्कार मिला था।
अन्य कार्य: उन्होंने कुछ फ़िल्मों में भी काम किया है और पटकथाएँ भी लिखी हैं।
सामाजिक सक्रियता: लेखन के अलावा, वह नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित भारत के कई जन-आंदोलनों में भी सक्रिय रही हैं और अमरीकी साम्राज्यवाद, परमाणु हथियारों की होड़, और मानवाधिकारों जैसे कई स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार खुलकर व्यक्त करती रही हैं।
क्या आप उनके किसी खास काम, उनकी सामाजिक गतिविधियों, या उनके जीवन के बारे में और जानना चाहेंगे? #🆕 ताजा अपडेट #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #hindi khabar
लाचित दिवस
निश्चित रूप से, लाचित दिवस असम (भारत) में हर साल 24 नवंबर को मनाया जाता है।
यह दिन अहोम साम्राज्य के महान सेनापति लाचित बोड़फुकन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
🌟 लाचित दिवस के मुख्य बिंदु:
तिथि: 24 नवंबर
किसकी याद में: वीर सेनापति लाचित बोड़फुकन (अहोम सेना के जनरल)।
महत्व:
यह दिन लाचित बोड़फुकन की वीरता, देशभक्ति और सैन्य पराक्रम को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है।
उन्होंने 1671 में सराईघाट की लड़ाई में राम सिंह प्रथम के नेतृत्व वाली विशाल मुगल सेना को पराजित किया था। यह जीत असमिया इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने मुगलों को कामरूप (गुवाहाटी) पर दोबारा कब्जा करने से रोका था।
पुरस्कार: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोरफुकन गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है, जिसे 'लाचित मेडल' भी कहा जाता है।
क्या आप लाचित बोड़फुकन के बारे में या सराईघाट की लड़ाई के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे? #hindi khabar #🗞breaking news🗞 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #aaj ki taaja khabar #🆕 ताजा अपडेट
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