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#🙏सुविचार📿 #👍मोटिवेशनल कोट्स✌
🙏सुविचार📿 - विज्ञान ईश्वर को नहीं मानता, क्योंकि उसकी पहुंच केवल पदार्थों तक हैं, भावों तक नहीं, ईश्वर एक दिव्य भाव हैं और विज्ञान भावों तक नहीं पहुंच पाता, जहाँ विज्ञान का तर्क समाप्त होता है, वहीं से दिव्य भाव शुरू होता है, विज्ञान मस्तिष्क में है, और ईश्वर आत्मा में। विज्ञान ईश्वर को नहीं मानता, क्योंकि उसकी पहुंच केवल पदार्थों तक हैं, भावों तक नहीं, ईश्वर एक दिव्य भाव हैं और विज्ञान भावों तक नहीं पहुंच पाता, जहाँ विज्ञान का तर्क समाप्त होता है, वहीं से दिव्य भाव शुरू होता है, विज्ञान मस्तिष्क में है, और ईश्वर आत्मा में। - ShareChat
#Gita gyan ##🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏श्री कृष्ण वचन🌹🌼Krishna Geeta Gyan 🙏bhagvat gita 📖 #🌺 कृष्ण ज्ञान 🙏 गीता वचन 🌺 भक्ति 💕 राधा कृष्ण 🙏🙏 हरि बोल 🙏🙏 #lord shri krishna # gita gyan by bhagwan shri krishna
Gita gyan - Bhagavad Gita:  Chapter 16 Verse 5 दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता | मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोडसि पाण्डव | 5II दैवीय गुण मुक्ति की ओर ले जाते हैं जबकि आसुरी गुण निरन्तर बंधन का कारण होते हैं। हे अर्जुन! शोक मत करो क्योंकि तुम दैवीय के साथ जन्मे हो। गुणों Bhagavad Gita:  Chapter 16 Verse 5 दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता | मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोडसि पाण्डव | 5II दैवीय गुण मुक्ति की ओर ले जाते हैं जबकि आसुरी गुण निरन्तर बंधन का कारण होते हैं। हे अर्जुन! शोक मत करो क्योंकि तुम दैवीय के साथ जन्मे हो। गुणों - ShareChat
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#🙏सुविचार📿 #👍मोटिवेशनल कोट्स✌
🙏सुविचार📿 - हे प्रभु! दिया, आज जो भी लिए तेरा आभार। उसके जो रह गया, उस पर तेरा अधिकार। सब तेरा है, मैं भी तेरा हूँ। हे प्रभु! दिया, आज जो भी लिए तेरा आभार। उसके जो रह गया, उस पर तेरा अधिकार। सब तेरा है, मैं भी तेरा हूँ। - ShareChat
#Gita gyan ##🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏श्री कृष्ण वचन🌹🌼Krishna Geeta Gyan 🙏bhagvat gita 📖 #🌺 कृष्ण ज्ञान 🙏 गीता वचन 🌺 भक्ति 💕 राधा कृष्ण 🙏🙏 हरि बोल 🙏🙏 #lord shri krishna # gita gyan by bhagwan shri krishna
Gita gyan - Bhagavad Gita:_ Chapter 16,Verse 4 दम्भो दर्पोडभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च | अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् ।| 4|| हे पार्थ! पाखण्ड, दम्भ, अभिमान , क्रोध, निष्ठुरता और अज्ञानता आसुरी प्रकृति वाले लोगों के गुण हैं। Bhagavad Gita:_ Chapter 16,Verse 4 दम्भो दर्पोडभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च | अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् ।| 4|| हे पार्थ! पाखण्ड, दम्भ, अभिमान , क्रोध, निष्ठुरता और अज्ञानता आसुरी प्रकृति वाले लोगों के गुण हैं। - ShareChat
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🙏सुविचार📿 - सुकून इस बात का नहीं कि सब कुछ मिल गया, इस बात की है बल्कि खुशी মিলা, ক্ি তী वो बहुतों को नसीब नहीं। g हर पल के आपका आभार प्रभु। सुकून इस बात का नहीं कि सब कुछ मिल गया, इस बात की है बल्कि खुशी মিলা, ক্ি তী वो बहुतों को नसीब नहीं। g हर पल के आपका आभार प्रभु। - ShareChat
#Gita gyan ##🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏श्री कृष्ण वचन🌹🌼Krishna Geeta Gyan 🙏bhagvat gita 📖 #🌺 कृष्ण ज्ञान 🙏 गीता वचन 🌺 भक्ति 💕 राधा कृष्ण 🙏🙏 हरि बोल 🙏🙏 #lord shri krishna # gita gyan by bhagwan shri krishna
Gita gyan - Bhagavad Gita: | Chapter 16 Verse 1-3 श्रीभगवानुवाच | अभयं सत्त्वसंशुद्धि्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः | दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम् ।| 1|| शान्तिरपैशुनम्। अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम् ।| २|| दया शौचमद्रोहोनातिमानिता | तेजः क्षमा धृतिः भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत || ३|| परम पुरुषोत्तम भगवान् ने कहाः हे भरतवंशी ! निर्भयता , मन की शुद्धि में दृढ़ता , दान, इन्द्रियों अध्यात्मिक ज्ञान नियंत्रण , यज्ञों का अनुष्ठान करना , पर धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन , तपस्या और स्पष्टवादिता , अहिंसा , सत्यता , क्रोधहीनता , त्याग , शांतिप्रियता , दोषारोपण से मुक्त, सभी जीवों के प्रति लोभ से मुक्ति, भद्रता, करूणा का भाव लज्जा , स्थिरता , शक्ति, क्षमाशीलता , धैर्य, पवित्रता , शत्रुता के भाव से मुक्ति और प्रतिष्ठा की इच्छा से मुक्ति होना , ये से संपन्न लोगों के गुण Hfa प्रकृति हैं। Bhagavad Gita: | Chapter 16 Verse 1-3 श्रीभगवानुवाच | अभयं सत्त्वसंशुद्धि्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः | दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम् ।| 1|| शान्तिरपैशुनम्। अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम् ।| २|| दया शौचमद्रोहोनातिमानिता | तेजः क्षमा धृतिः भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत || ३|| परम पुरुषोत्तम भगवान् ने कहाः हे भरतवंशी ! निर्भयता , मन की शुद्धि में दृढ़ता , दान, इन्द्रियों अध्यात्मिक ज्ञान नियंत्रण , यज्ञों का अनुष्ठान करना , पर धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन , तपस्या और स्पष्टवादिता , अहिंसा , सत्यता , क्रोधहीनता , त्याग , शांतिप्रियता , दोषारोपण से मुक्त, सभी जीवों के प्रति लोभ से मुक्ति, भद्रता, करूणा का भाव लज्जा , स्थिरता , शक्ति, क्षमाशीलता , धैर्य, पवित्रता , शत्रुता के भाव से मुक्ति और प्रतिष्ठा की इच्छा से मुक्ति होना , ये से संपन्न लोगों के गुण Hfa प्रकृति हैं। - ShareChat
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🙏सुविचार📿 - शब्द महके तो लगाव तो घाव बहके eLeN शब्द महके तो लगाव तो घाव बहके eLeN - ShareChat