Suryawanshi
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@anku231996
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Suryawanshi
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मनात असणारं सगळंच नशिबात नसत..!🤍💯
#💓 मोहब्बत दिल से 💕🥹
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#💓 मोहब्बत दिल से ...❤️‍🩹
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00:25
## 🙏राम कृष्ण हरी 🙏🚩🚩
# - ०३ ऑक्टो २०२५ पाशाकशा एकाद्शी निनिल शर्वाना नंगलमय शुभेच्छा. ! ०३ ऑक्टो २०२५ पाशाकशा एकाद्शी निनिल शर्वाना नंगलमय शुभेच्छा. ! - ShareChat
## माँ सिद्धिदात्री — नवमी, माँ दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप माँ सिद्धिदात्री की समर्पित है। माता का यह स्वरूप पूर्णता का प्रतीक है जिसने अपने हाथों में खिला हुआ कमल, गदा, शंख और चक्र धारण किया हुआ है, गदा अज्ञानता को दूर करता है और खिला हुआ कमल पूर्णता को परिभाषित करता है और शंख विजय का प्रतीक है अर्थात मां सिद्धिदात्री हमें सिखाती है कि जब हमारे अंदर ज्ञान का प्रकाश भरता है और अज्ञानता का अंधकार मिट जाता है तो हमारे सारे काम और इच्छाएं स्वत: ही पूर्ण होने लगती है और हमारी विजय निश्चित हो जाती है। माँ सिद्धिदात्री जो सभी प्रकार की सिद्धियाँ और शक्तियाँ प्रदान करती है. वे 'सिद्धि'(अलौकिक शक्तियाँ) और 'दात्री'(दान करने वाली) शब्द से बनी हैं, और उनकी पूजा से साधक सभी सांसारिक और आध्यात्मिक इच्छाओं से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। जय माँ सिद्धिदात्री🙏🌸
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00:45
## महागौरी — "अष्टमी की आराध्या, शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक।🌸🙏 महागौरी देवी दुर्गा का आठवां और सबसे शांत रूप है, जिनका नाम उनके गोरे रंग के कारण पड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन भगवान शिव ने गंगा के पवित्र जल से स्नान कराकर उन्हें फिर से उज्ज्वल और गौरवर्ण रूप में बदल दिया। तभी से वे महागौरी के नाम से जानी जाती हैं और उनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। जय माँ महागौरी🙏🌸
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01:06
## माँ कालरात्रि — माँ कालरात्रि का रूप भले ही भयानक प्रतीक का होता है, लेकिन वे भक्तों के लिए असीम करुणामयी और कल्याणकारी हैं। उनके काले वर्ण से यह संदेश मिलता है कि अंधकार और भय से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए। जय माँ कालरात्रि 🌸🙏
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01:04
## माँ कात्यायनी — दृष्टों का नाश करने वाली और धर्म की रक्षा रक्षा करने वाली शक्तिरूपा।🌺🙏 नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी को समर्पित है। माता के इस रूप को सफलता और यश का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने अपनी पुत्री के रूप में माँ भगवती को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उन्हें कात्यायनी नाम से जाना जाने लगा. जब महिषासुर का तीनों लोकों पर अत्याचार बढ़ा तब माँ कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया। जय माँ कात्यायनी🌸🙏
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01:07