मन शांत हो जाए,
तो हालात भी अपने आप सुधरने लगते हैं।
🙏🚩 जय श्री हनुमान जी 🚩🙏
🌺🌺 शुभ संध्या वन्दन 🌺🌺 #🙏🏻हनुमान जी के भजन #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏🌺जय बजरंगबली🌺🙏 #🙏शुभ मंगलवार🌸 #🌙 गुड नाईट
#🙏शुभ मंगलवार🌸 चरण शरण में आए के, धरु तुम्हारा ध्यान।
संकट से रक्षा करो, हे महावीर हनुमान ।।
🌻!! जय श्री हनुमान !!🌻 #🙏🌺जय बजरंगबली🌺🙏 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏🏻हनुमान जी के भजन #जय श्री राम
#🌷शुभ सोमवार श्री मृत्युंजय महाकालेश्वर 🚩 #🔱हर हर महादेव #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏🌺जय बजरंगबली🌺🙏 #भोलेनाथ
#🌷शुभ सोमवार कैलाश के श्वेत शिखरों पर, प्रेम की ज्योति जलती है,
विरक्त योगी शिव में भी, पार्वती की आंच पिघलती है।
भस्म रमाए तन पर, मन में वैरागी भाव,
पर अर्धांगिनी संग, जीवन का अनुपम ठाँव।
डमरू की ताल में, तांडव का शोर है,
वहीं मृदु मुस्कान में, स्नेह का हर ओर है। #🔱हर हर महादेव #🕉️सनातन धर्म🚩
#🌷शुभ सोमवार ॐ हौं जुं स: मृत्युंजयाय नम:॥
हर हर महादेव🙏🏻 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🔱हर हर महादेव #भोलेनाथ #🙏जय भोलेनाथ🙏
॥ ॐ श्री सूर्य देवाय नमः ॥
रविवार के प्रातः वंदन
भगवान सूर्य की कृपा हम सभी पर बनी रहे 🙏
जय हो सूर्यदेव जी की 🙏🙏.
सुप्रभात सभी मित्रो क़ो 🙏🙏
शुभ रविवार 🙏🙏
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#🙏🙏 जय शनिदेव 🙏🙏 नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्वरम्॥
जो कर्म का न्याय करते हैं, वही भक्तों के रक्षक हैं।
जय श्री शनिदेव ! जय श्री बजरंगबली हनुमान 🙏🏻🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🪔शुभ शनिवार🙏 #jai shanidev #jai shanidev 🙏
#🌸शुभ शुक्रवार🙏 सुप्रभात 🙏
आपका दिन शुभ हो ।
जय माता दी 🙏🙏🚩
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🚩🚩🚩🚩🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #जय माता दी #🌺 जय माता दी 🌺 #मां
#🌷शुभ गुरुवार 🌟 Divine Couple Shri Lakshmi Narayana: The Eternal Source of Supreme Welfare, Power, Prosperity, and Salvation 🌟
जय हो लक्ष्मी नारायण! समस्त ब्रह्मांड का आधार, शक्ति और शांति का संगम, श्री लक्ष्मी नारायण का युगल स्वरूप परम कल्याणकारी है। यह दिव्य स्वरूप अविनाशी पुरुष और उनकी शाश्वत शक्ति/ईश्वरत्व के मिलन का प्रतीक है, जो जीवन के सभी आयामों—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—को संतुलित और सफल बनाता है। उनकी कृपा, महिमा, प्रताप, बल और भक्ति के फल को शब्दों में पूर्णतः व्यक्त करना असंभव है, तथापि उनके दिव्य गुणों का स्मरण करना ही समस्त मनोविकारों का निवारण है।
युगल स्वरूप की महिमा और अर्थ: श्री लक्ष्मी नारायण में, नारायण सृष्टि के पालनकर्ता और धर्म के मूर्तिमान स्वरूप हैं, वहीं लक्ष्मी जी ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, सौंदर्य और करुणा की देवी हैं। उनका एक साथ वास यह स्थापित करता है कि जहाँ धर्म, सत्य और मर्यादा होती है, वहीं समृद्धि और सुख चिरस्थायी होते हैं। यह युगल हमें सिखाता है कि भौतिकता और आध्यात्मिकता एक-दूसरे के पूरक हैं, शत्रु नहीं। उनका संयुक्त तेज समस्त नकारात्मकता को भस्म कर देता है, और उनके नाम का जाप मन को तत्काल शांति प्रदान करता है। उनकी महिमा का एक-एक कण वेदों और पुराणों में गूँजता है।
नारायण का प्रताप और बल: भगवान नारायण की महिमा अनंत है। वह समस्त चराचर जगत के आधार और नियंता हैं। उनका प्रताप इतना बलवान है कि उनके नाम का स्मरण मात्र ही समस्त पापों और कष्टों को नष्ट कर देता है। वे धर्म की स्थापना के लिए बार-बार अवतार लेते हैं, और उनकी कृपा से भक्त जीवन के सभी संकटों और भयों से मुक्त हो जाता है। उनके प्रमुख अस्त्र – शंख, चक्र, गदा और पद्म – क्रमशः पवित्रता, कालचक्र, शक्ति और विजय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन प्रतीकों का ध्यान हमें जीवन की बाधाओं को पार करने का बल देता है। उनकी शक्ति के सामने संसार की कोई भी विपदा कभी भी टिक नहीं सकती।
देवी लक्ष्मी की स्थिरता का रहस्य:
यद्यपि देवी लक्ष्मी को 'चंचला' कहा जाता है, नारायण के हृदय में वास करने के कारण वह स्थिर रहती हैं। यह आध्यात्मिक सत्य है कि सांसारिक धन अस्थिर है, किंतु यदि हमारा मन और जीवन नारायण को पूर्णतः समर्पित है, तो हमें केवल क्षणभंगुर धन ही नहीं, अपितु अक्षय सौभाग्य, सद्बुद्धि और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, जो वास्तविक समृद्धि है। यह भक्ति का वह फल है जो भौतिक अभावों से ऊपर उठकर आत्मा को सच्ची शांति और तृप्त करता है। उनकी कृपा से भक्त को केवल भौतिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि चरित्र, नैतिकता और सद्गुणों का धन भी मिलता है।
भक्ति का अतुलनीय फल और मोक्ष मार्ग:
श्री लक्ष्मी नारायण के युगल स्वरूप की पूर्ण समर्पण के साथ पूजा करने वाले भक्त को पुरुषार्थ चतुष्टय—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी भक्त के भौतिक अभावों को दूर करती हैं, जबकि नारायण जी उसकी आत्मा को आवागमन के चक्र से मुक्ति दिलाकर परमधाम प्रदान करते हैं। यह भक्ति केवल धन की कामना तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य 'भगवत्प्राप्ति' की ओर ले जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान ने स्वयं कहा है, "अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥" यह उनकी कृपा का प्रताप है कि वे भक्तों के योगक्षेम की जिम्मेदारी स्वयं लेते हैं। संसार की चिंता से मुक्त होकर प्रभु-स्मरण में लीन रहना ही इस भक्ति का सबसे महान फल है।
प्रेम, निष्ठा और संतुलन का आदर्श: लक्ष्मी-नारायण की जोड़ी प्रेम, निष्ठा और समर्पण का सर्वोच्च उदाहरण है। वे शक्ति और शक्तिमान, प्रकृति और पुरुष के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी उपासना हमें गृहस्थ जीवन में भी भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाना सिखाती है। उनका संयुक्त रूप बताता है कि गृहस्थ जीवन में भी मोक्ष प्राप्त करना संभव है, यदि हर कार्य को धर्म और ईश्वर को समर्पित करके किया जाए। उनका बल अलौकिक है।
शरणागति का फल:
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के चरणों में पूर्ण शरणागति का भाव रखने वाले भक्त को लक्ष्मी नारायण की असीम कृपा से जीवन सुख मिलता है। नारायण ने स्वयं कहा है कि जो एक बार भी मेरी शरण में आता है, मैं उसे सब भयों से मुक्त कर देता हूँ। यह उनकी कृपा का प्रताप और बल है कि भक्त संसार के सबसे बड़े भय—जन्म और मृत्यु के चक्र—से भी मुक्त हो जाता है।
प्रतिदिन 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय' और 'ओम् महालक्ष्म्यै नमः' मंत्रों का जाप करने से दोनों लोकों में सुख और शांति निश्चित है। वे ही आदि और अंत हैं, समस्त आनंद के स्रोत हैं।
ॐ नमो नारायण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
जय श्रीहरि विष्णु
गोविंदा
🚩🙏🚩🙏🚩🙏 #श्री हरि ##श्री हरि #जै श्री हरि #श्री हरिकथा
#🌷शुभ बुधवार शुभ आरती दर्शन श्री गणेशाय नमः 🌹🙏 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌺 श्री गणेश #🙏गणेश आरती😇 #जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, भगवान गणेश की आरती












