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हिन्दू संस्कृति और अध्यात्म की जानकारियाँ
दीवाली #पूजन विधि
पूजन विधि - ত্রিবালী দুতা-বিখি  दिवाली पर प्रदोष काल या संध्या पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्यादातर लोग इसी समय दिवाली पर पूजा करते हैं। इसलिए संध्या समय स्नान आदि से निर्वित्त होकर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीले रंग का नया वस्त्र बिछाएं। अब मुट्ठी भर चावल या अनाज के ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश में पवित्र जल, फूल, एक अक्षत, इलायची और चांदी का सुपारी, सिक्का डालें। अब कलेश के मुख को पांच आम के पत्तों से ढक दें। इसके बाद चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति स्थापित करें। प्रभु पंचामृत " का जलाभिषेक करें फिर गंगाजल और से स्नान कराएं। इसके बाद दोबारा पवित्र जल से जलाभिषेक करें। साफ कपड़े से मूर्ति को पोछकर चौकी पर स्थापित कर दें। अब गणेश जी को पीला चंदन और लक्ष्मी माता को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं। अब प्रभु को फल, पान के पत्ते, फूल, मिठाई, इलायची, अक्षत, अर्पित करें । गणेश जी को पीले फूलों की माला और लक्ष्मी माता को सुपारी गट्टे की माला पहनाएं। अब और घी का दीपक प्रज्वलित ধুণননী कमल करें। गणेश जी को लड्डुओं का और मां लक्ष्मी को खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूरी श्रद्धा के साथ पहले भगवान श्री गणेश की आरती करें फिर उसके बाद माता लक्ष्मी और कुबेर जी की आरती गाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें। ত্রিবালী দুতা-বিখি  दिवाली पर प्रदोष काल या संध्या पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्यादातर लोग इसी समय दिवाली पर पूजा करते हैं। इसलिए संध्या समय स्नान आदि से निर्वित्त होकर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीले रंग का नया वस्त्र बिछाएं। अब मुट्ठी भर चावल या अनाज के ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश में पवित्र जल, फूल, एक अक्षत, इलायची और चांदी का सुपारी, सिक्का डालें। अब कलेश के मुख को पांच आम के पत्तों से ढक दें। इसके बाद चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति स्थापित करें। प्रभु पंचामृत " का जलाभिषेक करें फिर गंगाजल और से स्नान कराएं। इसके बाद दोबारा पवित्र जल से जलाभिषेक करें। साफ कपड़े से मूर्ति को पोछकर चौकी पर स्थापित कर दें। अब गणेश जी को पीला चंदन और लक्ष्मी माता को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं। अब प्रभु को फल, पान के पत्ते, फूल, मिठाई, इलायची, अक्षत, अर्पित करें । गणेश जी को पीले फूलों की माला और लक्ष्मी माता को सुपारी गट्टे की माला पहनाएं। अब और घी का दीपक प्रज्वलित ধুণননী कमल करें। गणेश जी को लड्डुओं का और मां लक्ष्मी को खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूरी श्रद्धा के साथ पहले भगवान श्री गणेश की आरती करें फिर उसके बाद माता लक्ष्मी और कुबेर जी की आरती गाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें। - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - లిి @/10 20-10-25 दीपावली सोमवार कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है जिसमें कार्तिक माह की अमावस्या को मुख्य दीपावली पर्व होता है। की पूजा 7 इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश  की जाती है। प्रदोष  के अनुसार २० अक्टूबर को दिवाली मनाई जायेगी | काल हिंदू धर्म में दीपों के पर्व दीपावली को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना गया है, कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है जिसमें कार्तिक माह की अमावस्या को मुख्य दीपावली पर्व होता 81 इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जिस दिन मध्य रात्रि में निशीथ काल में अमावस्या तिथि हो उसी तिथि को दीपावली पूजन के लिए ग्रहण करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि २० अक्टूबर दोपहर ०३:४४ बजे से प्रारंभ होकर २१ अक्टूबर शाम ०५:५४ बजे तक रहने वाली है, प्रदोष काल और निशीत काल दोनों ही मुहूर्त २० अक्टूबर को पड़ रहे हैं। ब्रह्मपुराण के इस नियम के अनुसार दीवाली २० अक्टूबर को मनाना ही उचित होगा। లిి @/10 20-10-25 दीपावली सोमवार कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है जिसमें कार्तिक माह की अमावस्या को मुख्य दीपावली पर्व होता है। की पूजा 7 इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश  की जाती है। प्रदोष  के अनुसार २० अक्टूबर को दिवाली मनाई जायेगी | काल हिंदू धर्म में दीपों के पर्व दीपावली को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना गया है, कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है जिसमें कार्तिक माह की अमावस्या को मुख्य दीपावली पर्व होता 81 इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जिस दिन मध्य रात्रि में निशीथ काल में अमावस्या तिथि हो उसी तिथि को दीपावली पूजन के लिए ग्रहण करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि २० अक्टूबर दोपहर ०३:४४ बजे से प्रारंभ होकर २१ अक्टूबर शाम ०५:५४ बजे तक रहने वाली है, प्रदोष काल और निशीत काल दोनों ही मुहूर्त २० अक्टूबर को पड़ रहे हैं। ब्रह्मपुराण के इस नियम के अनुसार दीवाली २० अक्टूबर को मनाना ही उचित होगा। - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 20-10-25 श्वी कमला प्राकट्योत्सव सोमवार देवी कमला भाग्य, सम्मान और परोपकार की देवी हैं और सभी दिव्य गतिविधियों में ऊर्जा के रूप में उपस्थित रहती हैं। इन्हें श्री विष्णु की दिव्य शक्ति भी माना जाता है। समृद्धि की प्रतीक महाविद्या कमला की उपासना स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति तथा नारी-पुत्रादि के सौख्य के लिये की जाती है। ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं क्लीं ऊँ महालक्ष्म्यै নম देवी कमला भाग्य, सम्मान और परोपकार की देवी हैं और सभी दिव्य गतिविधियों में ऊर्जा के रूप में उपस्थित रहती हैं। इन्हें भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति भी माना जाता है। लक्ष्मी की प्राप्ति समृद्धि की प्रतीक महाविद्या कमला की उपासना नारी-पुत्रादि के सौख्य के लिये की जाती है। देवी कमला को लक्ष्मी तथा तथा षोडशी भी कहा जाता है। कनकधारा स्तोत्र और श्रीसूक्त का पाठ, कमलगट्टे की माला पर श्री मंत्र का जप, बिल्वपत्र तथा बिल्वफल के हवन से कमला महाविद्या की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 20-10-25 श्वी कमला प्राकट्योत्सव सोमवार देवी कमला भाग्य, सम्मान और परोपकार की देवी हैं और सभी दिव्य गतिविधियों में ऊर्जा के रूप में उपस्थित रहती हैं। इन्हें श्री विष्णु की दिव्य शक्ति भी माना जाता है। समृद्धि की प्रतीक महाविद्या कमला की उपासना स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति तथा नारी-पुत्रादि के सौख्य के लिये की जाती है। ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं क्लीं ऊँ महालक्ष्म्यै নম देवी कमला भाग्य, सम्मान और परोपकार की देवी हैं और सभी दिव्य गतिविधियों में ऊर्जा के रूप में उपस्थित रहती हैं। इन्हें भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति भी माना जाता है। लक्ष्मी की प्राप्ति समृद्धि की प्रतीक महाविद्या कमला की उपासना नारी-पुत्रादि के सौख्य के लिये की जाती है। देवी कमला को लक्ष्मी तथा तथा षोडशी भी कहा जाता है। कनकधारा स्तोत्र और श्रीसूक्त का पाठ, कमलगट्टे की माला पर श्री मंत्र का जप, बिल्वपत्र तथा बिल्वफल के हवन से कमला महाविद्या की विशेष कृपा प्राप्त होती है। - ShareChat
#व्रत एवं त्योहार
व्रत एवं त्योहार - पूजा से भरी थाली, चारों ओर ' खुशहाली। आओ मिलकर मनाएं, आज छोटी दिवाली। छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं पूजा से भरी थाली, चारों ओर ' खुशहाली। आओ मिलकर मनाएं, आज छोटी दिवाली। छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - बंगाल काली पूजा २०वा अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार बंगाल में निशिता काल में काली पूजा काली पूजा मुहूर्त पूजा सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ को chlel काली पूजा निशिता काल 23.18 24:08+ मिनट्स  अवधि - ०० घण्टे ५० अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २०, २०२५ को १५:४४ बजे अक्टूबर २१ , २०२५ को १७:५४ बजे अमावस्या तिथि समाप्त बंगाल काली पूजा २०वा अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार बंगाल में निशिता काल में काली पूजा काली पूजा मुहूर्त पूजा सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ को chlel काली पूजा निशिता काल 23.18 24:08+ मिनट्स  अवधि - ०० घण्टे ५० अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २०, २०२५ को १५:४४ बजे अक्टूबर २१ , २०२५ को १७:५४ बजे अमावस्या तिथि समाप्त - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - तमिल दीपावली 20ai अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार दिन सुबह  तमिल दीपावली के का शुभ स्नान तमिल दीपावली पर शुभ समय तमिल दीपावली सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ को दीपावली मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व - अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे से ०५:५९  अवधि - ०१ घण्टा १२ मिनट्स उत्तर भारत में दीपावली मंगलवार, अक्टूबर २१ , २०२५ को *ंदीपावली मुहूर्त जो आमतौर पर ब्रह्म मुहूर्त के साथ व्याप्त होता है वह तेल स्नान करने , नये कपड़े पहनने, मिट्टी के दीपक और पूजा के पटाखे जलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना তলান जाता है तिथि प्रारम्भ अक्टूबर १९, २०२५ को १३५१ बजे सथुर्दसी  अक्टूबर २०, २०२५ को १५ः४४ बजे तिथि समाप्त ப## तमिल दीपावली 20ai अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार दिन सुबह  तमिल दीपावली के का शुभ स्नान तमिल दीपावली पर शुभ समय तमिल दीपावली सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ को दीपावली मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व - अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे से ०५:५९  अवधि - ०१ घण्टा १२ मिनट्स उत्तर भारत में दीपावली मंगलवार, अक्टूबर २१ , २०२५ को *ंदीपावली मुहूर्त जो आमतौर पर ब्रह्म मुहूर्त के साथ व्याप्त होता है वह तेल स्नान करने , नये कपड़े पहनने, मिट्टी के दीपक और पूजा के पटाखे जलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना তলান जाता है तिथि प्रारम्भ अक्टूबर १९, २०२५ को १३५१ बजे सथुर्दसी  अक्टूबर २०, २०२५ को १५ः४४ बजे तिथि समाप्त ப## - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - अभ्यंग स्नान 20ai अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान मुहूर्त अभ्यंग स्नान सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ ಕ್ಾ೯ಿಗಿ : नरक अभ्यंग स्नान मुहूर्त - अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे से ०५:५९ মিনবে अवधि - ०१ घण्टा १२  चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय - नरक अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे और चतुर्दशी के दौरान अभ्यंग स्नान चन्द्रादय र्दशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर १९, २०२५  १३५१ बज र्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २०, २०२५ को १५ः४४ बजे अभ्यंग स्नान 20ai अक्टूबर २०२५ Monday सोमवार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान मुहूर्त अभ्यंग स्नान सोमवार, अक्टूबर २०, २०२५ ಕ್ಾ೯ಿಗಿ : नरक अभ्यंग स्नान मुहूर्त - अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे से ०५:५९ মিনবে अवधि - ०१ घण्टा १२  चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय - नरक अक्टूबर १९ को २८:४७+ बजे और चतुर्दशी के दौरान अभ्यंग स्नान चन्द्रादय र्दशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर १९, २०२५  १३५१ बज र्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २०, २०२५ को १५ः४४ बजे - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
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#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - १४, कार्तिक कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी Panchang] 20 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत अकटूबर २०२५ सोमवार वाराणसी, भारत नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, काली पूजा, आडल योग पञ्चक रहित मुहूर्त एवं उदय लग्न आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त लिए पञ्चक रहित मुहूर्त 377717چ २ तुला - अक्टूबर १९ को २९ ५०+ बजे से ०८ः०६  चोर पञ्चक - ०५ ५९ से ०8:०६ 7 থুণ্স মুচুন - 08:06 স 10:23  %$- 08:06 #10:23 रोग पञ्चक - १०:२३ धनु - १०:२३ से १२:२८ 12.28 থুল্ মুমুন - 12:28 # 14:13  #47- 12:28 #14:13 मृत्यु पञ्चक - १४:१३ स १५:४४ ^ 5#-14:13#15:44 ) #7-15:44717:12 पञ्चक - १५:४४ 15:44 gT9 శగ్గగ - 15.44 # 17.12 0 #q-17.12718.50  मृत्यु पञ्चक - १७:१२ से १८५० ४  वृषभ - १८ ५० से २० ४७ अग्नि पञ्चक - १८:५० 20:17 [ ಗga- 20 47 23:01 शुभ मुहूर्त - २०:१७ 20:47 9   ব্রন্ধ- 23:01 25:19+ 23:01 रज पञ्चक - २०:४७ 0 86-25:19+ 27:33+ থুল্স মুমুন - 23:01 25:19+ 1ட $~[-27:33+ 29:46+ चोर पञ्चक - २५:१९+ 27:33+ থুল্ মুমুন - 27:33+ 29:46+ रोग पञ्चक - २९:४६+ 29:59+ १४, कार्तिक कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी Panchang] 20 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत अकटूबर २०२५ सोमवार वाराणसी, भारत नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, काली पूजा, आडल योग पञ्चक रहित मुहूर्त एवं उदय लग्न आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त लिए पञ्चक रहित मुहूर्त 377717چ २ तुला - अक्टूबर १९ को २९ ५०+ बजे से ०८ः०६  चोर पञ्चक - ०५ ५९ से ०8:०६ 7 থুণ্স মুচুন - 08:06 স 10:23  %$- 08:06 #10:23 रोग पञ्चक - १०:२३ धनु - १०:२३ से १२:२८ 12.28 থুল্ মুমুন - 12:28 # 14:13  #47- 12:28 #14:13 मृत्यु पञ्चक - १४:१३ स १५:४४ ^ 5#-14:13#15:44 ) #7-15:44717:12 पञ्चक - १५:४४ 15:44 gT9 శగ్గగ - 15.44 # 17.12 0 #q-17.12718.50  मृत्यु पञ्चक - १७:१२ से १८५० ४  वृषभ - १८ ५० से २० ४७ अग्नि पञ्चक - १८:५० 20:17 [ ಗga- 20 47 23:01 शुभ मुहूर्त - २०:१७ 20:47 9   ব্রন্ধ- 23:01 25:19+ 23:01 रज पञ्चक - २०:४७ 0 86-25:19+ 27:33+ থুল্স মুমুন - 23:01 25:19+ 1ட $~[-27:33+ 29:46+ चोर पञ्चक - २५:१९+ 27:33+ থুল্ মুমুন - 27:33+ 29:46+ रोग पञ्चक - २९:४६+ 29:59+ - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 6 % @ 19-10-25 नरक चतुर्दशी रविवार पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई  के कृष्ण " कार्तिक माह जाती है, इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण, यमराज और हनुमान जी की पूजा ` की जाती है। नरक पर यमराज के निमित्त दीपदान चतुर्दशी और प्रार्थना करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है। इसे रूप चौदस, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल स्नान करने और सायंकाल यमराज के नाम से दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख ्समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि ११ अक्टूबर को दोपहर ०१ कार्तिक माह मिनट पर शुरू हो रही है, जो २० अक्टूबर को दोपहर ०३ बजकर ५१ बजकर ४४ मिनट पर समाप्त होगी। इस वर्ष अभ्यंग स्नान २० अक्टूबर को सूर्योदय से पहले किया जायेगा एवं यम दीपक ११ और २० अक्टूबर दोनों ही दिन भी जलाया जा सकता है। 6 % @ 19-10-25 नरक चतुर्दशी रविवार पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई  के कृष्ण " कार्तिक माह जाती है, इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण, यमराज और हनुमान जी की पूजा ` की जाती है। नरक पर यमराज के निमित्त दीपदान चतुर्दशी और प्रार्थना करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है। इसे रूप चौदस, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल स्नान करने और सायंकाल यमराज के नाम से दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख ्समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि ११ अक्टूबर को दोपहर ०१ कार्तिक माह मिनट पर शुरू हो रही है, जो २० अक्टूबर को दोपहर ०३ बजकर ५१ बजकर ४४ मिनट पर समाप्त होगी। इस वर्ष अभ्यंग स्नान २० अक्टूबर को सूर्योदय से पहले किया जायेगा एवं यम दीपक ११ और २० अक्टूबर दोनों ही दिन भी जलाया जा सकता है। - ShareChat