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#guruji #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #जीने की राह #viral #santrampal ji maharaj
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#santrampal ji maharaj #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #guruji #जीने की राह #viral
santrampal ji maharaj - संत रामपाल जी म्हाराज जी के सानिध्य में २०२६ के होने वाले समागम निर्वाण दिवस परमेश्वर 222829 u೯ಕ 2026 | Lo: बोध दिवस संत रामपाल जी महाराज १५ २६ १७ फरवरी २०२६ பாச3 बोधदिवस संत गरीबदास जी महाराज 26 27 28 mer 2026  பச प्रकट दिवस परमेश्वर कबीरसाहिब जी पाठः २७ २८ २९ जून २०२६ अवतरण दिवस संत रामपाल जी महाराज uro: 678 Fdan 2026 278 दिव्य धर्म यज्ञ दिवस u6: 23 24 25 Hrn 2026 31 संत रामपाल जी म्हाराज जी के सानिध्य में २०२६ के होने वाले समागम निर्वाण दिवस परमेश्वर 222829 u೯ಕ 2026 | Lo: बोध दिवस संत रामपाल जी महाराज १५ २६ १७ फरवरी २०२६ பாச3 बोधदिवस संत गरीबदास जी महाराज 26 27 28 mer 2026  பச प्रकट दिवस परमेश्वर कबीरसाहिब जी पाठः २७ २८ २९ जून २०२६ अवतरण दिवस संत रामपाल जी महाराज uro: 678 Fdan 2026 278 दिव्य धर्म यज्ञ दिवस u6: 23 24 25 Hrn 2026 31 - ShareChat
#जीने की राह #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #viral #guruji #santrampal ji maharaj
जीने की राह - पुत्र चार प्रकार के हो्तीे हैं पहला पुत्र :    लेनदार पुत्र, पिछले जन्म का लेनदार था, पुत्र होकर आ गया, अब उसे पढ़ाओ - लिखाओ , विवाह् कराओ उसका लेन देन पूरा होगा और बह चला। जायेगा  दुश्मन पुत्र, पिछले जन्म का SIS दुश्मन भी पुत्र होकर आ जाता है, पर दुःख देता है.. ऐसा पुत्र कदम कदम तीसरा पुत्र उदासीन पुत्र, ऐसा पुत्र 0 माँ बाप को ना सुख देता है ना दुःख, बस कहने को पुत्र होता है.॰! 46K चौथा पुत्र :- सेवक पुत्र, पिछले जन्म आपने किसी की सेवा की , बही आपकााडीत्व ऐसा पुत्र माँ बाप बनकर आ गयाा, को सुख देता हैं I! परिबार का नाम रोशन कत्तिहें सतू साहैेब 29 पुत्र चार प्रकार के हो्तीे हैं पहला पुत्र :    लेनदार पुत्र, पिछले जन्म का लेनदार था, पुत्र होकर आ गया, अब उसे पढ़ाओ - लिखाओ , विवाह् कराओ उसका लेन देन पूरा होगा और बह चला। जायेगा  दुश्मन पुत्र, पिछले जन्म का SIS दुश्मन भी पुत्र होकर आ जाता है, पर दुःख देता है.. ऐसा पुत्र कदम कदम तीसरा पुत्र उदासीन पुत्र, ऐसा पुत्र 0 माँ बाप को ना सुख देता है ना दुःख, बस कहने को पुत्र होता है.॰! 46K चौथा पुत्र :- सेवक पुत्र, पिछले जन्म आपने किसी की सेवा की , बही आपकााडीत्व ऐसा पुत्र माँ बाप बनकर आ गयाा, को सुख देता हैं I! परिबार का नाम रोशन कत्तिहें सतू साहैेब 29 - ShareChat
#जीने की राह #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #viral #guruji #santrampal ji maharaj
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santrampal ji maharaj - प्रभु ऋषि मुनींद्र जी हनुमान जी श्रीमद् आनन्द रामायण सारकाण्ड, सर्ग ९, श्लोक २८३ २९८ हनुमान जी सीता माता की अंगूठी लेकर आकाश मार्ग से वापास लौट रहे थे, तब जव उत्तर दिशा की ओर कुछ दूर आगे जाकर नीचे उतरे , तो वहीं पर उन्होंने एक 'श्री मुनि कुछ गर्व से मारूति ने कहा- हे मुनीश्वर ! मैं श्रीराम का काम  को विराजमान देखा। तब करके आ रहा हूँ। यहां मैं पानी पीने की इच्छा से आया हूँ। मुझे कोई जलाशय बताइये।  तब मुनि ने उन्हें तर्जनी अंगुल से जलाशय बता दिया। हनुमान अंगूठी  चूड़ामणि  নথা मे एक पत्र मुनि जी के पास रखकर उस तालाब में जल पीने गये। इतने बंदर ने आकर राम की मुद्रिका को मुनि जी के पास रखके कमंडल में डाल दिया। उधर से हनुमान जी  मुनि जी से पूछा कि मुद्रिका कहां भी आ पहुंचे।  तथा पत्र के विषय में उन्होने चूड़ामणि गयी? मुनि ने भौहों के संकेत से कमंडल दिखाया। जब हनुमान ने कमंडल में देखा तो उसमें श्रीराम की हजारों मुद्रिकाएं दिखाई दो। तब हनुमान ने आश्चर्यचकित होकर मुनि से पूछा  कि अंगूठियां कहां से आई। हे मुनि श्रेष्ठ ! आप यह भी कहिये कि इनमें से मेरी मुद्रिका कोननसी हे? मुनि ने उत्तर दिया कि॰ जब २ श्रीराम की आशा से हनुमान शंका में जाकर सीता का पता लगाता है ओर अंगूठी लेकर आता है, तबन्तब बंदर, उन्हें इस  कमंडल में डाल देते हें। वे ही ये सब हैं। इनमें से तुम अपनी अंगूठी खोज लो। मुनि जी  के इस वाक्य को सुनकर हनुमान का गर्व खर्व हो गया। तब उन्होंने कहा- हे मुनि ! यहां कितने रामचंद्र जी आये है? मुनि ने कहा- कमंडल में से अंगूठीयां निकालकर गिन लो।  हनुमान कमंडल से बारंबार अंगूठीयां बाहर निकालने लगे , परंतु अंत नहीं मिला। तब फिर से उन्हें कमंडल में भर दिया और मुनि को नमस्कार करके क्षणभर के लिए वे मन में विचार करने लगे कि॰ ओह! पहले मेरे जैसे सैकड़ों हनुमान जाकर सीता की खबर लेकर आये हें तो मेरी कोनसी गिनती हे। यह निश्चय करके वीर मारुति घमंड को त्याग कर दक्षिण मार्ग में जहां अंगद आदि वानर बैठे थे, वहां गये। प्रभु ऋषि मुनींद्र जी हनुमान जी श्रीमद् आनन्द रामायण सारकाण्ड, सर्ग ९, श्लोक २८३ २९८ हनुमान जी सीता माता की अंगूठी लेकर आकाश मार्ग से वापास लौट रहे थे, तब जव उत्तर दिशा की ओर कुछ दूर आगे जाकर नीचे उतरे , तो वहीं पर उन्होंने एक 'श्री मुनि कुछ गर्व से मारूति ने कहा- हे मुनीश्वर ! मैं श्रीराम का काम  को विराजमान देखा। तब करके आ रहा हूँ। यहां मैं पानी पीने की इच्छा से आया हूँ। मुझे कोई जलाशय बताइये।  तब मुनि ने उन्हें तर्जनी अंगुल से जलाशय बता दिया। हनुमान अंगूठी  चूड़ामणि  নথা मे एक पत्र मुनि जी के पास रखकर उस तालाब में जल पीने गये। इतने बंदर ने आकर राम की मुद्रिका को मुनि जी के पास रखके कमंडल में डाल दिया। उधर से हनुमान जी  मुनि जी से पूछा कि मुद्रिका कहां भी आ पहुंचे।  तथा पत्र के विषय में उन्होने चूड़ामणि गयी? मुनि ने भौहों के संकेत से कमंडल दिखाया। जब हनुमान ने कमंडल में देखा तो उसमें श्रीराम की हजारों मुद्रिकाएं दिखाई दो। तब हनुमान ने आश्चर्यचकित होकर मुनि से पूछा  कि अंगूठियां कहां से आई। हे मुनि श्रेष्ठ ! आप यह भी कहिये कि इनमें से मेरी मुद्रिका कोननसी हे? मुनि ने उत्तर दिया कि॰ जब २ श्रीराम की आशा से हनुमान शंका में जाकर सीता का पता लगाता है ओर अंगूठी लेकर आता है, तबन्तब बंदर, उन्हें इस  कमंडल में डाल देते हें। वे ही ये सब हैं। इनमें से तुम अपनी अंगूठी खोज लो। मुनि जी  के इस वाक्य को सुनकर हनुमान का गर्व खर्व हो गया। तब उन्होंने कहा- हे मुनि ! यहां कितने रामचंद्र जी आये है? मुनि ने कहा- कमंडल में से अंगूठीयां निकालकर गिन लो।  हनुमान कमंडल से बारंबार अंगूठीयां बाहर निकालने लगे , परंतु अंत नहीं मिला। तब फिर से उन्हें कमंडल में भर दिया और मुनि को नमस्कार करके क्षणभर के लिए वे मन में विचार करने लगे कि॰ ओह! पहले मेरे जैसे सैकड़ों हनुमान जाकर सीता की खबर लेकर आये हें तो मेरी कोनसी गिनती हे। यह निश्चय करके वीर मारुति घमंड को त्याग कर दक्षिण मार्ग में जहां अंगद आदि वानर बैठे थे, वहां गये। - ShareChat
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जीने की राह - संत रामपाल जी म्हाराज जी के सानिध्य में २०२६ के होने वाले समागम निर्वाण दिवस परमेश्वर 222829 u೯ಕ 2026 | Lo: बोध दिवस संत रामपाल जी महाराज १५ २६ १७ फरवरी २०२६ பாச3 बोधदिवस संत गरीबदास जी महाराज 26 27 28 mer 2026  பச प्रकट दिवस परमेश्वर कबीरसाहिब जी पाठः २७ २८ २९ जून २०२६ अवतरण दिवस संत रामपाल जी महाराज uro: 678 Fdan 2026 278 दिव्य धर्म यज्ञ दिवस u6: 23 24 25 Hrn 2026 31 संत रामपाल जी म्हाराज जी के सानिध्य में २०२६ के होने वाले समागम निर्वाण दिवस परमेश्वर 222829 u೯ಕ 2026 | Lo: बोध दिवस संत रामपाल जी महाराज १५ २६ १७ फरवरी २०२६ பாச3 बोधदिवस संत गरीबदास जी महाराज 26 27 28 mer 2026  பச प्रकट दिवस परमेश्वर कबीरसाहिब जी पाठः २७ २८ २९ जून २०२६ अवतरण दिवस संत रामपाल जी महाराज uro: 678 Fdan 2026 278 दिव्य धर्म यज्ञ दिवस u6: 23 24 25 Hrn 2026 31 - ShareChat
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santrampal ji maharaj - Supreme Godl प्रमाण सहित in Hinduism] पूर्ण गहा झवीर साहेव जी  परम 3{3/ 6 মুল (সন্ত) परेशर பmm 15 orlma: 11 " nul 7] 16-17 आशय 1 JIK got m अदरगिहा अर्यत নলা = 3IPI IRu (IIIIUT)  BRI3uf 5R = ERIu (TITITIET) ಶ್ಲಿ 17 Yae गष्य LIUI) er (rgy ٧ ٥ ٢ JITI 0 0ua Supreme Godl प्रमाण सहित in Hinduism] पूर्ण गहा झवीर साहेव जी  परम 3{3/ 6 মুল (সন্ত) परेशर பmm 15 orlma: 11 " nul 7] 16-17 आशय 1 JIK got m अदरगिहा अर्यत নলা = 3IPI IRu (IIIIUT)  BRI3uf 5R = ERIu (TITITIET) ಶ್ಲಿ 17 Yae गष्य LIUI) er (rgy ٧ ٥ ٢ JITI 0 0ua - ShareChat
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जीने की राह - देवव्रता   देवान्पितृन्यान्ति   पितृव्रताः মানি भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोउपि माम् ।। २५  पितृनः यान्ति, पितृव्रताः , यान्ति देवव्रताः, देवान भूतानि, यान्ति भूतेज्याः, यान्ति, मद्याजिनः, अपि, माम् II २५ aTuT aా FT % f प्राप्त होते हेॅं देवताओंको মালি देवव्रताः पूजनेवाले (সাঁ) देवान् देवताओंको मेरा पूजन  मद्याजिनः प्राप्त होते यान्ति करनेवाले भक्त पितरोंको ٩٢ मुझको fudadT: पूजनेवाले  अपि ೩ पितृन् पितरोंको प्राप्त होते हैं। ( इसीलिये मेरे प्राप्त होते हैॅ॰ মালি याान्त भूतोंको " भूतेज्याः भक्तोंका  पूजनेवाले पुनर्ज भूतोंको  नहों होता।  পুনানি पन्न पुष्पादिको खानेके लिये भगवानूको प्रतिज्ञा 0 [ भक्तिपूर्वक अर्पण किये हुए देवव्रता   देवान्पितृन्यान्ति   पितृव्रताः মানি भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोउपि माम् ।। २५  पितृनः यान्ति, पितृव्रताः , यान्ति देवव्रताः, देवान भूतानि, यान्ति भूतेज्याः, यान्ति, मद्याजिनः, अपि, माम् II २५ aTuT aా FT % f प्राप्त होते हेॅं देवताओंको মালি देवव्रताः पूजनेवाले (সাঁ) देवान् देवताओंको मेरा पूजन  मद्याजिनः प्राप्त होते यान्ति करनेवाले भक्त पितरोंको ٩٢ मुझको fudadT: पूजनेवाले  अपि ೩ पितृन् पितरोंको प्राप्त होते हैं। ( इसीलिये मेरे प्राप्त होते हैॅ॰ মালি याान्त भूतोंको " भूतेज्याः भक्तोंका  पूजनेवाले पुनर्ज भूतोंको  नहों होता।  পুনানি पन्न पुष्पादिको खानेके लिये भगवानूको प्रतिज्ञा 0 [ भक्तिपूर्वक अर्पण किये हुए - ShareChat
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जीने की राह - बोले   देवी ! यद भगवान   शकर विण्णु प्रकट हुए हैं तो उनके T' महाभाग बाद उत्पन्न होनेबाले ब्रह्मा भी ही बालक तुम्हारे हुए। फिर मैं तगोगुणी लीला करनेवाला शकर संतान नहीं हुआ - अर्थात् मुझे भी तुम्हारी व्या हो। शिवे ! उत्पत्नर   करनेवाली तुम्हीं सम्पूर्ण संसारको सृष्टि करेगें तुम बड़ी चतुर हो। बोले   देवी ! यद भगवान   शकर विण्णु प्रकट हुए हैं तो उनके T' महाभाग बाद उत्पन्न होनेबाले ब्रह्मा भी ही बालक तुम्हारे हुए। फिर मैं तगोगुणी लीला करनेवाला शकर संतान नहीं हुआ - अर्थात् मुझे भी तुम्हारी व्या हो। शिवे ! उत्पत्नर   करनेवाली तुम्हीं सम्पूर्ण संसारको सृष्टि करेगें तुम बड़ी चतुर हो। - ShareChat