MATA VANKHANDI JAMMU KASHMIR
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#kalyug ka kalki #kalki #🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ
kalyug ka kalki - fava' सत्यमेव जयते जय अहिंसा शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  मानव के कर्तव्य को कहते है मानव धर्म मानव -मात्र का कर्तव्य है सत्कर्म और सेवा मानव के हृदय से बड़ा कोई धार्मिक स्थल नहीं কললিক মীতল अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है।ज्ञात रहे हमारे पूर्वजों ने अज्ञानतावश मानव के कर्तव्य को धर्म नाम देकर मानव धर्म की परिभाषा अवतारी महापुरूषों को ही बदल डाला।जिसके कारण मानव जगत केलोग के नाम पर अलग ्अलग जाति सम्प्रदाय बनाकर , धर्म के नाम पर अनेक महापुरूषों के  प्रकार के धार्मिक स्थल बनाकर , ईश्वर को जगह अवतारी नश्वर तन को भगवान मानकर उनकी सेवा पूजा करने लगे।जिसके कारण मानव सेवा और सत्कर्म रूपी अपने कर्तव्य को भूलकर धर्म के नाम पर में लड़ने लगे है जिसके कारण पर धर्म के प्रति ग्लानि बढ़ने धरती  आपस लगी है।ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव-्मात्र के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।जो इंसान कर्मभूमि पर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म  का पालन करता है, उसे किसी तरह के धर्मग्रंथ पढ़ने की जरूरत नहीं है और नहीं ईश्वर की सेवा , पूजा , पाठ करने की जरूरत है।जिस सत्कर्मी इंसान के हृदय में सृष्टि के जीव-्मात्र के प्रति दया, प्रेम व सेवा के भाव जागृत हो गए, तो समझों वो परमात्मा स्वरूप बन गया, उस इंसान के हृदय में ईश्वर का ही हो जाता है। ऐसे इंसान को परमात्मा स्वरूप कहा गया है प्राकट्य स्वतः मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी  बनों अपना मानवजीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए fava' सत्यमेव जयते जय अहिंसा शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  मानव के कर्तव्य को कहते है मानव धर्म मानव -मात्र का कर्तव्य है सत्कर्म और सेवा मानव के हृदय से बड़ा कोई धार्मिक स्थल नहीं কললিক মীতল अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है।ज्ञात रहे हमारे पूर्वजों ने अज्ञानतावश मानव के कर्तव्य को धर्म नाम देकर मानव धर्म की परिभाषा अवतारी महापुरूषों को ही बदल डाला।जिसके कारण मानव जगत केलोग के नाम पर अलग ्अलग जाति सम्प्रदाय बनाकर , धर्म के नाम पर अनेक महापुरूषों के  प्रकार के धार्मिक स्थल बनाकर , ईश्वर को जगह अवतारी नश्वर तन को भगवान मानकर उनकी सेवा पूजा करने लगे।जिसके कारण मानव सेवा और सत्कर्म रूपी अपने कर्तव्य को भूलकर धर्म के नाम पर में लड़ने लगे है जिसके कारण पर धर्म के प्रति ग्लानि बढ़ने धरती  आपस लगी है।ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव-्मात्र के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।जो इंसान कर्मभूमि पर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म  का पालन करता है, उसे किसी तरह के धर्मग्रंथ पढ़ने की जरूरत नहीं है और नहीं ईश्वर की सेवा , पूजा , पाठ करने की जरूरत है।जिस सत्कर्मी इंसान के हृदय में सृष्टि के जीव-्मात्र के प्रति दया, प्रेम व सेवा के भाव जागृत हो गए, तो समझों वो परमात्मा स्वरूप बन गया, उस इंसान के हृदय में ईश्वर का ही हो जाता है। ऐसे इंसान को परमात्मा स्वरूप कहा गया है प्राकट्य स्वतः मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी  बनों अपना मानवजीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए - ShareChat
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kalyug ka kalki - fava' सत्यमेव जयते जय अहिंसा शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  कर्मभूमि पर कर्मयोगी बनकर आयाहूँ एक दिन अकर्मी वनकर चला जाऊँगा| কললিক মীতল दर से जिसकी आया हूँ मैं , उसी के दर पर जाऊंगा | ना कुछ साथ लाया हू , ना कुछ लेकर जाऊँगा | धर्म अहिंसा विश्व धर्म हो, सब एक माने परमात्मा , एक ही नाम रहे प्रभु का, तुम्हें दे जाऊंगा | वो नाम दोस्तो मैं कर्मभूमि पर कर्मयोगी बनकर आया हूँ अकर्मी बनकर चला जाऊँगा | अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें fava' सत्यमेव जयते जय अहिंसा शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  कर्मभूमि पर कर्मयोगी बनकर आयाहूँ एक दिन अकर्मी वनकर चला जाऊँगा| কললিক মীতল दर से जिसकी आया हूँ मैं , उसी के दर पर जाऊंगा | ना कुछ साथ लाया हू , ना कुछ लेकर जाऊँगा | धर्म अहिंसा विश्व धर्म हो, सब एक माने परमात्मा , एक ही नाम रहे प्रभु का, तुम्हें दे जाऊंगा | वो नाम दोस्तो मैं कर्मभूमि पर कर्मयोगी बनकर आया हूँ अकर्मी बनकर चला जाऊँगा | अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat
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kalyug ka kalki - ऊँ विश्व शांति जय अहिंसा  सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  मानव हजारों जन्म लेकर भी , बाहरी मायावी जगत में , ईश्वर को नहीं पा सकता | chfcth Htt  ా 7ాాా आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं ईश्वरीय  ন্র सृष्टि अद्भुत रहस्यमय सृजन रहस्यमय ज्ञानानुसार सृष्टि के सभी जीव-्जीवात्मा परमात्मा सगुण  परब्रह्म के नश्वर व परिवर्तनशील मायावी रूप है। कर्मभूमि में सगुण फ पर मानव-्मात्र जीवात्मस्वरूप परमात्मा परब्रह्म का अवतार हैव आत्मस्वरूपता में निर्गुण प्रभु परमब्रह्म का वंशज अंशज हैं । निर्गुण प्रभु परमब्रह्म निर्गुण आत्मस्वरूपता में व सगुण परमात्मा परब्रह्म सगुण जीवात्मस्वरूपता में मानव तन के भीतर सदैव विद्यमान रहते है।विशाल ब्रह्माण्ड के विशाल  वैभव को जानने का व पाने का ज्ञान भी मानव तन के भीतर विद्यमान है।जो मानव को स्वयं के हृदय से मिल सकता है। जिसने स्वयं के भीतर आत्मा व जीवात्मा के भेद को विशाल ईश्वरीय वैभव को जान लिया उसका मानव जीवन सार्थकहो आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं  गया अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए ऊँ विश्व शांति जय अहिंसा  सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश  मानव हजारों जन्म लेकर भी , बाहरी मायावी जगत में , ईश्वर को नहीं पा सकता | chfcth Htt  ా 7ాాా आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं ईश्वरीय  ন্র सृष्टि अद्भुत रहस्यमय सृजन रहस्यमय ज्ञानानुसार सृष्टि के सभी जीव-्जीवात्मा परमात्मा सगुण  परब्रह्म के नश्वर व परिवर्तनशील मायावी रूप है। कर्मभूमि में सगुण फ पर मानव-्मात्र जीवात्मस्वरूप परमात्मा परब्रह्म का अवतार हैव आत्मस्वरूपता में निर्गुण प्रभु परमब्रह्म का वंशज अंशज हैं । निर्गुण प्रभु परमब्रह्म निर्गुण आत्मस्वरूपता में व सगुण परमात्मा परब्रह्म सगुण जीवात्मस्वरूपता में मानव तन के भीतर सदैव विद्यमान रहते है।विशाल ब्रह्माण्ड के विशाल  वैभव को जानने का व पाने का ज्ञान भी मानव तन के भीतर विद्यमान है।जो मानव को स्वयं के हृदय से मिल सकता है। जिसने स्वयं के भीतर आत्मा व जीवात्मा के भेद को विशाल ईश्वरीय वैभव को जान लिया उसका मानव जीवन सार्थकहो आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं  गया अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए - ShareChat
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kalyug ka kalki - ऊँ विश्व शांति जय अहिंसा  सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश मानव जीवन कर्म प्रधान है मानव को भगवान से मांगने पर नहीं स्वर्ग - सुख स्वयं के सत्कर्मो से मिलता है chfcth Htt कलाग मोरन सत्कर्मी इंस्ान को ईश्वर से कुष्ठ भी मांगने की जरूरत नही है , उसको बिना मांगे कर्मभूमि पर स्वर्ग - सुख मिल जाता है। अरे कर्मयोगी बंधुओं मरकर स्वर्ग किसने देरा ? कर्मभूमि पर सत्कर्मी बनों स्वर्ग - सुख पाओ। लिए अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें ऊँ विश्व शांति जय अहिंसा  सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश मानव जीवन कर्म प्रधान है मानव को भगवान से मांगने पर नहीं स्वर्ग - सुख स्वयं के सत्कर्मो से मिलता है chfcth Htt कलाग मोरन सत्कर्मी इंस्ान को ईश्वर से कुष्ठ भी मांगने की जरूरत नही है , उसको बिना मांगे कर्मभूमि पर स्वर्ग - सुख मिल जाता है। अरे कर्मयोगी बंधुओं मरकर स्वर्ग किसने देरा ? कर्मभूमि पर सत्कर्मी बनों स्वर्ग - सुख पाओ। लिए अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat
#🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #kalyug ka kalki #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ #kalki
🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 - ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते जय अहिंसा नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश कर्मभूमि पर सत्यमेव जपते का डंका तभी वजेगा जव अस्तात्य हमेशा के लिए पराजित हो जाएगा कल्कि साधक  केलात मोरन  अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार  कर्मभूमि पर सभी कर्मयोगियों के भीतर सत -असत की जंग चल रही है।ज्ञात रहे ईश्वर निराकार है और निराकार का कोई नाम नहीं होता  निर्गुण, निष्कलंक, निराकार प्रभु को किन्तु  मानव जगत के लोगों ने धर्मगुरू कर्मयोगी राम -कृष्ण , बोद्ध - महावीर के रूप में सगुण साकार कर्मयोगियों के नाम पर अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल मानकर उन बनाकर , उनकी मुर्तिया स्थापित कर धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के जाति, धर्म सम्प्रदाय बनाकर मानव ने मानव के बीच नफरत को कर्मभूमि पर निरंतर धर्म के प्रति  दीवारे खड़ी कर दी है।जिसके कारण  ग्लानि बढ़ने लगी है, जिसके कारण धरती पर पाप का बोझ बढ़ने लगा  है। अतः आज के विकास के युग में कलयुग को सतयुग में परिणित  करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए युगानुसार जाति, सम्प्रदाय व धार्मिक स्थल रहित नवीन विश्व धर्म  विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो कल्कि ज्ञान सागर ஈgரி कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ईश्वरीय ज्ञान ग्रहणकर ٤ चुकी बनों सुखी रहों।  अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं ।सत्कर्मी अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते जय अहिंसा नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश कर्मभूमि पर सत्यमेव जपते का डंका तभी वजेगा जव अस्तात्य हमेशा के लिए पराजित हो जाएगा कल्कि साधक  केलात मोरन  अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार  कर्मभूमि पर सभी कर्मयोगियों के भीतर सत -असत की जंग चल रही है।ज्ञात रहे ईश्वर निराकार है और निराकार का कोई नाम नहीं होता  निर्गुण, निष्कलंक, निराकार प्रभु को किन्तु  मानव जगत के लोगों ने धर्मगुरू कर्मयोगी राम -कृष्ण , बोद्ध - महावीर के रूप में सगुण साकार कर्मयोगियों के नाम पर अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल मानकर उन बनाकर , उनकी मुर्तिया स्थापित कर धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के जाति, धर्म सम्प्रदाय बनाकर मानव ने मानव के बीच नफरत को कर्मभूमि पर निरंतर धर्म के प्रति  दीवारे खड़ी कर दी है।जिसके कारण  ग्लानि बढ़ने लगी है, जिसके कारण धरती पर पाप का बोझ बढ़ने लगा  है। अतः आज के विकास के युग में कलयुग को सतयुग में परिणित  करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए युगानुसार जाति, सम्प्रदाय व धार्मिक स्थल रहित नवीन विश्व धर्म  विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो कल्कि ज्ञान सागर ஈgரி कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ईश्वरीय ज्ञान ग्रहणकर ٤ चुकी बनों सुखी रहों।  अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं ।सत्कर्मी अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए - ShareChat
https://youtube.com/watch?v=SYDPnyaI3cU&si=rRK6Jm7TJFYSW2DZ #kalyug ka kalki #kalki #🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ
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#🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #kalki #kalyug ka kalki #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ
🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 - ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते जय अहिंसा नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश रहना चाहते हो तो னி किसी से उम्मीद रखना छोड़ दो कल्कि साधक  केलात मोरन सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार अद्भुत   रहस्यमय सृष्टि कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है। मानव जैसे -जैसे कर्म करता है कर्मो के अनुसार परमात्मा सगुण परब्रह्म मानव जगत के लोगों को उसक एवं सृष्टि के जीव-्जीवात्माओं को निमित बनाकर उसको दुःख -सुख प्रदान करता है। ज्ञात रहे ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है।जो दिव्य महाशक्ति निर्गुण स्वरूप में निराकार , अजन्मा , अविनाशी है, सर्व शक्तिमान है, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का स्वामी है, वही दिव्य महाशक्ति सगुण में सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीवों का जन्मदाता , पालनहार बना हुआ स्वरूप  है, वहीं एक सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीवों का परम हितेषी है, जो सेवक सृष्टि के सभी जीवों की सेवा करता है, बदले में किसी से कुछ भी बनकर भी इंसान  संसार में बिना मतलब केकोई उम्मीद नहीं रखता ।इस সামানী किसीं का भला नहीं करता | इंसान के साथ जुड़े मतलबी सारे संसारी  रिश्ते कभी भी टूट सकते है, किन्तु ईश्वर इंसान से कभी एक पल के लिए जुदा नहीं होता , मानव का परम हितेषी बनकर सदैव आत्मस्वरूपता में साथ रहता है अपने परम हितेषी ईश्वर को जानों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते जय अहिंसा नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश रहना चाहते हो तो னி किसी से उम्मीद रखना छोड़ दो कल्कि साधक  केलात मोरन सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार अद्भुत   रहस्यमय सृष्टि कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है। मानव जैसे -जैसे कर्म करता है कर्मो के अनुसार परमात्मा सगुण परब्रह्म मानव जगत के लोगों को उसक एवं सृष्टि के जीव-्जीवात्माओं को निमित बनाकर उसको दुःख -सुख प्रदान करता है। ज्ञात रहे ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है।जो दिव्य महाशक्ति निर्गुण स्वरूप में निराकार , अजन्मा , अविनाशी है, सर्व शक्तिमान है, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का स्वामी है, वही दिव्य महाशक्ति सगुण में सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीवों का जन्मदाता , पालनहार बना हुआ स्वरूप  है, वहीं एक सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीवों का परम हितेषी है, जो सेवक सृष्टि के सभी जीवों की सेवा करता है, बदले में किसी से कुछ भी बनकर भी इंसान  संसार में बिना मतलब केकोई उम्मीद नहीं रखता ।इस সামানী किसीं का भला नहीं करता | इंसान के साथ जुड़े मतलबी सारे संसारी  रिश्ते कभी भी टूट सकते है, किन्तु ईश्वर इंसान से कभी एक पल के लिए जुदा नहीं होता , मानव का परम हितेषी बनकर सदैव आत्मस्वरूपता में साथ रहता है अपने परम हितेषी ईश्वर को जानों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए - ShareChat
https://youtube.com/watch?v=TVYncrC6XRM&si=M8-BXJRYswYBdycK #kalyug ka kalki #kalki #🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ
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kalyug ka kalki - सत्यमेव जयते जय अहिंसा ऊँ विश्व शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश प्रेम ही परमेश्वर है सबकी सेवा सबसे प्यार WIFITHIEG प्रभु ने प्रेम के लिए दुनिया बनाई है, नफरत के लिए नहीं  किन्तु के लोगों ने धर्म और ईश्वर के नाम पर अनेक मानव जगत प्रकार के धार्मिक स्थल, धर्मग्रंथ बनाकर अपने विश्व मानव परिवार के लोगों के बीच नफरते पैदा कर दी है। सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है व सत्कर्म और सेवा रूपी ज्ञान केलिए किसी प्रकार के धार्मिक स्थल की जरूरत नहीं है ईश्वर और धर्म का प्राकट्य मानव के हृदय से होता है। इंसान में ईश्वर व को पाने के लिए, नहीं ईश्वर से अपने धार्मिक स्थलों मन की मुरादे पुरी कराने के लिए मन्नतें मांगने जाता है और  प्रभु को खुश करने के लिए धार्मिक स्थलों में मुर्तियों पर पैसा  चढ़ाता है।जबकी मानव जीवन कर्म प्रधान है, मानव स्वयं ही स्वयं का भाग्य विधाता है। मानव जैसे कर्म करता है, वैसा  फल पाता है।सत्कर्मी बनों सुखी रहो " अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें सत्यमेव जयते जय अहिंसा ऊँ विश्व शांति नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश प्रेम ही परमेश्वर है सबकी सेवा सबसे प्यार WIFITHIEG प्रभु ने प्रेम के लिए दुनिया बनाई है, नफरत के लिए नहीं  किन्तु के लोगों ने धर्म और ईश्वर के नाम पर अनेक मानव जगत प्रकार के धार्मिक स्थल, धर्मग्रंथ बनाकर अपने विश्व मानव परिवार के लोगों के बीच नफरते पैदा कर दी है। सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है व सत्कर्म और सेवा रूपी ज्ञान केलिए किसी प्रकार के धार्मिक स्थल की जरूरत नहीं है ईश्वर और धर्म का प्राकट्य मानव के हृदय से होता है। इंसान में ईश्वर व को पाने के लिए, नहीं ईश्वर से अपने धार्मिक स्थलों मन की मुरादे पुरी कराने के लिए मन्नतें मांगने जाता है और  प्रभु को खुश करने के लिए धार्मिक स्थलों में मुर्तियों पर पैसा  चढ़ाता है।जबकी मानव जीवन कर्म प्रधान है, मानव स्वयं ही स्वयं का भाग्य विधाता है। मानव जैसे कर्म करता है, वैसा  फल पाता है।सत्कर्मी बनों सुखी रहो " अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat
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kalyug ka kalki - ऊँ विश्व शांति अहिंसा सत्यमेव जयते जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश मानव जीवन को सार्थक बनाना है तो जाति सम्प्रदायवाद छोडो जन -्जन से नाता जोडो WIFITHIEG अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार सृष्टि के  सभी देवी - देवता वमानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है।कर्मभूमि पर  मानव सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी  है। ज्ञात रहे सृष्टि के सभी जीव-्जीवात्मा सगुण परमात्मा परब्रह्म के । कर्मभूमि पर कर्मयोगी को अपना मानव जीवन सार्थक मायावी रूप है स्वयं के सत्यस्वरूप को जानने की जरूरत है । कर्मभूमि पर লিব बनाने के कर्मयोगी के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है।किन्तु  मानव जगत के लोगों ने अज्ञानतावश धर्म के नाम पर अपने विश्व मानव परिवार के बीच अनेक प्रकार के जाति - सम्प्रदाय बना दिये है। जिसके कर्मभूमि पर धर्म के प्रति ग्लानि बढ़ने लगी हैं । कर्मभूमि पर जो कारण लोग अपने विश्व मानव परिवार के लोगों के बीच धर्म और ईश्वर के नाम  पर अनेक प्रकार के जाति सम्प्रदाय बनाकर आपस में लड़ रहे है।वो प्रकृति और परमात्मा के सबसे बड़े दुश्मन है, जिनके कारण धरती पर पाप का बोझ बढ़कर कभी भी महाविनाश हो सकता है।ज्ञात रहे प्रकृति और  परमात्मा के नियमों को तोड़ने वाले प्रकृति और परमात्मा की मार से कभी बच नहीं सकते ।सत्कर्मी बनों सुखी रहों। अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें ऊँ विश्व शांति अहिंसा सत्यमेव जयते जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश मानव जीवन को सार्थक बनाना है तो जाति सम्प्रदायवाद छोडो जन -्जन से नाता जोडो WIFITHIEG अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार सृष्टि के  सभी देवी - देवता वमानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है।कर्मभूमि पर  मानव सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी  है। ज्ञात रहे सृष्टि के सभी जीव-्जीवात्मा सगुण परमात्मा परब्रह्म के । कर्मभूमि पर कर्मयोगी को अपना मानव जीवन सार्थक मायावी रूप है स्वयं के सत्यस्वरूप को जानने की जरूरत है । कर्मभूमि पर লিব बनाने के कर्मयोगी के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है।किन्तु  मानव जगत के लोगों ने अज्ञानतावश धर्म के नाम पर अपने विश्व मानव परिवार के बीच अनेक प्रकार के जाति - सम्प्रदाय बना दिये है। जिसके कर्मभूमि पर धर्म के प्रति ग्लानि बढ़ने लगी हैं । कर्मभूमि पर जो कारण लोग अपने विश्व मानव परिवार के लोगों के बीच धर्म और ईश्वर के नाम  पर अनेक प्रकार के जाति सम्प्रदाय बनाकर आपस में लड़ रहे है।वो प्रकृति और परमात्मा के सबसे बड़े दुश्मन है, जिनके कारण धरती पर पाप का बोझ बढ़कर कभी भी महाविनाश हो सकता है।ज्ञात रहे प्रकृति और  परमात्मा के नियमों को तोड़ने वाले प्रकृति और परमात्मा की मार से कभी बच नहीं सकते ।सत्कर्मी बनों सुखी रहों। अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat