रुको! 🛕 बाबा केदारनाथ के बारे में एक ऐसा सच जो श्रद्धा और विज्ञान दोनों को झकझोर देगा: उच्च हिमालय की ऊँचाई ~3583–3584 मीटर पर स्थित यह प्राचीन ज्योतिर्लिङ्ग (Kedarnath) न सिर्फ पौराणिक कथाओं में पांडवों और आदि शंकराचार्य से जुड़ा है बल्कि आध्यात्मिक और भौतिक कारणों का अनोखा संगम भी दिखाता है — 2013 के भयानक फ्लड में एक विशाल बोल्डर (भिम शिला) और मंदिर की पारंपरिक ग्रेनाइट स्लैब-निर्माण तकनीक ने मंदिर को बहती परस्थिति से बचाया, जिससे यह 'चित्तचक्र' के साथ-साथ भौतिक-इंजीनियरिंग के चमत्कार जैसा दिखाई पड़ा; वैज्ञानिक विश्लेषण बताता है कि क्लाउडबर्स्ट और ग्लेशियर-जल का अचानक बहाव (अत्यधिक वर्षा + हिम पिघलन) ने नदी मार्ग बदल दिया जबकि भू-भौतिक अवरोधों और पुनर्निर्माण—IGBC Platinum प्रमाणित फ्लड-प्रूफ मास्टरप्लान—ने दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए वैधानिक उपाय सुझाए हैं, इसलिए श्रद्धा की खुशनुमा व्याख्या सही मानते हुए भी इतिहास और भूविज्ञान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ✨ “Atman is an ever-present Reality. Yet, because of ignorance it is not realised.” — (आदि शंकराचार्य का सार), जो यहाँ के आराम और आत्म-ज्ञान की अनुभूति को वैज्ञानिक-तर्क के साथ जोड़ता है; और नई चर्चा में एक विशाल 12.9 किमी Sonprayag–Kedarnath ropeway (≈₹4,081 करोड़, 3S टेक्नोलॉजी) शामिल है जो यात्री समय घटाकर लगभग 36 मिनट कर देगा — यह विकास पर सवाल (पर्यावरणीय असर) और सुविधा (सुरक्षा/प्रवेश) के दोनों पहलुओं पर तर्क-वितर्क को जन्म देता है। 🧭🔬🙏 #बाबाकेदारनाथ #KedarnathDham #Shiva #Himalaya #SpiritualScience
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