रुकिए — मधुबनी सिर्फ रंग नहीं, यह मिथिला की ज़बान और पीढ़ियों की याद है! क्या जानते हैं कि मधुबनी आर्ट (Mithila art) का नाम इसी जिले से आया और यह परंपरा मुख्यतः महिलाएँ मिट्टी की दीवारों/फर्श पर उँगलियों, कूची, टहनी, निब-पेन व माचिस की तीली से बनाकर, प्राकृतिक रंग—हल्दी, नीला (indigo), पलाश, चावल-पेस्ट और गम अरबिक/बकरी के दूध जैसे बाइंडरों से तैयार करती थीं; इस कला को Geographical Indication का दर्जा भी मिला हुआ है। वैज्ञानिक विश्लेषण/तर्क: पारंपरिक पिगमेंट और चावल-पेस्ट/गम-बाइंडर सतह पर एक सूक्ष्म बाइंडिंग फिल्म बनाकर रंगों को मजबूती से चिपकाते हैं—इसलिए सूखी छाया और नमीयुक्त वातावरण से बचाव के साथ संरक्षण पर ये दीवार-कला लंबा समय तक बनी रहती है; वहीं तेज UV और आद्रता इन्हें फीका या क्षतिग्रस्त कर सकते हैं (यह एक स्रोत-आधारित विवेचना/निष्कर्ष है)। एक पंक्ति: 'हर रेखा एक कथा, हर रंग एक पूजा' — यही मधुबनी का मंत्र है। और ट्रेंडिंग अपडेट: कला के साथ-साथ अर्थव्यवस्था भी बदल रही है — मधुबनी जिला 2022 में बिहार का सबसे बड़ा मत्स्य (fish) उत्पादक जिला बन चुका है। धार्मिक और नैतिक दृष्टि से: देवी-देवताओं के पारंपरिक चित्रण का सम्मान करना सही है; लेकिन कलाकारों का श्रेय छीनना, लोकशिल्प का वेतनहीन शोषण या नकली-मार्केट के नाम पर उनकी मेहनत की बेअदबी करना गलत है — संरक्षण, उचित पहचान और आर्थिक मुआवजा दोनों ज़रूरी हैं। 🎨🪔🌾 #मधुबनी #MithilaArt #हस्तशिल्प #FolkArt #Bihar #रंगोंकीकहानी
@मधुबनी - मधुबनी न्यूज़ @मधुबनी-पंडौल न्यूज़ @M.L.C प्रतिनिधि मधुबनी @मधुबनी-बासोपट्टी न्यूज़ @मधुबनी-बेनीपट्टी न्यूज़ #मधुबनी #मिथिला ग्रुप मधुबनी #मधुबनी न्यूज़ #मधुबनी संग संग बिहार #मधुबनी न्यूज़
