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#santrampal ji maharaj #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #godkabir #viral #जीने की राह
santrampal ji maharaj - संत कबीर - सुमिरन के बारे मे कुछ दोहे सुख में सुमिरन ना किया, दुःख में करते याद। कहे कबीरता दास की, कौन सुने फरियादIl करे, सुख में करे ना कोय। दुःख में सुमिरन सब  जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।। মুমিবল মুবন লমাযর ৯; মুভ্র ম   কত্তু না নীল] के तू पर बंद कर, भीतर के तू पट खोल।l बाहर कुछ सुमिरन माही। जप तप सयम साधना सब कबीर जाने भक्त जन, सुमिरन सम कछु नाही।l क्या भरोसा देह का, बिछड़ जाय क्षण माही। सांस सांस सुमिरन करो, और जतन कछु नाही।l ही भला, हरी का सुमिरन होय। थोड़ा जीना बरस का जीवना, लेखै धरे न कोय।l लाख सुमिरन से सुख होत़ है, सुमिरन से दुःख जाय। कहे कबीर सुमिरन किये, सांई   माही(भीतर) समाय।। करत भजन में भंग। कबीर क्षुधा(भूख) है कुतरी, वाकू टुकड़ा डाली के, सुमिरन 3TTII करू सांस सफल सो जानिये, जो सूमिरन में जाय। यूँ ही गए, करी करी बहुत उपाय।l ओर सांस संत कबीर - सुमिरन के बारे मे कुछ दोहे सुख में सुमिरन ना किया, दुःख में करते याद। कहे कबीरता दास की, कौन सुने फरियादIl करे, सुख में करे ना कोय। दुःख में सुमिरन सब  जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।। মুমিবল মুবন লমাযর ৯; মুভ্র ম   কত্তু না নীল] के तू पर बंद कर, भीतर के तू पट खोल।l बाहर कुछ सुमिरन माही। जप तप सयम साधना सब कबीर जाने भक्त जन, सुमिरन सम कछु नाही।l क्या भरोसा देह का, बिछड़ जाय क्षण माही। सांस सांस सुमिरन करो, और जतन कछु नाही।l ही भला, हरी का सुमिरन होय। थोड़ा जीना बरस का जीवना, लेखै धरे न कोय।l लाख सुमिरन से सुख होत़ है, सुमिरन से दुःख जाय। कहे कबीर सुमिरन किये, सांई   माही(भीतर) समाय।। करत भजन में भंग। कबीर क्षुधा(भूख) है कुतरी, वाकू टुकड़ा डाली के, सुमिरन 3TTII करू सांस सफल सो जानिये, जो सूमिरन में जाय। यूँ ही गए, करी करी बहुत उपाय।l ओर सांस - ShareChat

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