♦️ शास्त्रों के विरुद्ध साधना?
मार्कंडेय पुराण, पेज 250-251 में रुचि ऋषि ने पितरों से स्पष्ट कहा कि श्राद्ध कर्म वेदों में अज्ञान का मार्ग बताया गया है। पितर स्वयं मानते हैं कि श्राद्ध-पिंडदान वेदों के अनुसार मूर्खों का कार्य है।
♦️ मोक्ष का मार्ग या पितर लोक का? गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार पितरों को पूजने वाले पितरों को ही प्राप्त होते हैं, परमात्मा को नहीं। यानी श्राद्ध से मुक्ति नहीं बल्कि श्राद्ध करने वाला स्वयं पितर बनता है।
♦️ अधूरा ज्ञान खतरनाक
क्या आपके धर्म गुरु जानते हैं कि विष्णु पुराण के तृतीय अंश, अध्याय 15 श्लोक 55-56 के अनुसार एक योगी (शास्त्र अनुकूल भक्ति करने वाला साधक) को भोजन कराना हज़ार ब्राह्मणों के श्राद्ध भोज से उत्तम है।
♦️ श्राद्ध का सच
मार्कंडेय पुराण, पेज 250-251 और गीता अध्याय 9 श्लोक 25 से प्रमाणित है कि श्राद्ध कर्म शास्त्र विरुद्ध साधना है, जिससे हमारे पूर्वजों की मुक्ति संभव नहीं।
♦️ क्या आपका श्राद्ध पितरों तक पहुँच रहा है?
मार्कंडेय पुराण पेज 250-251, वेदों के अनुसार श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि मूर्खों का कार्य बताता है। सच्ची विधि क्या है? जानने के लिए देखिए Factful Debates YouTube Channel.
♦️ शास्त्र विरुद्ध श्राद्ध!
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार, पितरों की पूजा करने वाले पितरों को ही प्राप्त होते हैं, उन्हें मोक्ष नहीं मिलता। शास्त्रानुकूल विधि जानें।
♦️ पिंडदान और तर्पण से मुक्ति नहीं। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 स्पष्ट करता है कि पितर पूजा से पितृ लोक मिलता है, मोक्ष नहीं। मोक्ष का सच्चा मार्ग जानें।
♦️ कौवा या कबूतर बना देने वाली पूजा बंद करें। कबीर साहेब कहते हैं, "जीवित बाप से लठ्ठम-लठ्ठा, मूवे गंग पहुँचईयाँ। जब आवै आसौज का महीना, कऊवा बाप बणईयाँ।।" जीवित माता-पिता का सम्मान करें और पितरों की मुक्ति का सही मार्ग जानें।
♦️ योगी की खोज करें, पितरों का उद्धार करें। विष्णु पुराण के तृतीय अंश, अध्याय 15 श्लोक 55-56 कहता है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल साधक) यजमान और पितरों सबका उद्धार कर सकता है।
♦️ गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में श्राद्ध व पिंड आदि कर्मकांड को गलत कहा है। मार्कण्डेय पुराण में भी प्रमाण है कि वेदों में पितर पूजा, भूत पूजा यानि श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि मूर्खों का कार्य बताया है। श्राद्ध करने की शास्त्र अनुकूल विधि जानने के लिए देखिए Factful Debates YouTube Channel.
♦️ जीवित की सेवा, मृत का उद्धार
संत गरीबदास जी महाराज के अनुसार, मृत्यु के बाद के कर्मकांड व्यर्थ हैं। पितरों की मुक्ति केवल शास्त्रानुकूल भक्ति से ही संभव है।
♦️पितर पूजा = पितर लोक
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार, जैसी पूजा वैसा लोक। अगर पितरों की पूजा करोगे तो पितृ योनि में जाओगे, मोक्ष नहीं होगा।
♦️संत रामपाल जी महाराज बताते हैं श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि। जिससे साधक स्वयं और उसके पूर्वज जो पितर या भूत बने हैं, सबका छुटकारा हो जाता है।
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