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#Bible Study #⛪प्रार्थना, ⛪ईशु ख्रिस्ती नमन, ⛪ईशु वचन, ⛪पवित्र बाईबल #hindi bible study #biblevachan #Jesus is coming #bible
Bible Study - @Daily Bread] परमेश्वर की प्रेमदया जो परमेश्वर की दया से अनजान होते है और उसकी सही पहचान नहीं रखते, वे परमेश्वर के खिलाफ जाकर आचरण करते है और भी प्रेम नहीं रख पाते है। इस कारण মনুষ্পী ম  वे अविश्वास की ही दशा में होते है। इसलिए भलेही वे परमेश्वर के लिए ही आवेशी होकर परन्तु उनके काम बिना समझबुद्धी से किए गए होते हैं और केवल बाह्य काम करे, धर्माचरण के लिए होते हैं, जिनका परमेश्वर के पास कोई फल नहीं| क्योंकि वे सच्ची के द्वारा " धार्मिकता में नहीं चलते। तथा कोई भी अपने कामों परमेश्वर के सम्मुख धर्मी नहीं ठहर सकता। प्रेरित पौलूस भी इसी गलतफ़हमी में था, जब वह अपने आप को परमेश्वर के लिए आवेशी जानकर प्रभु मसीह येशू की कलीसिया का सताव कर रहा था। परन्तु जब प्रभु येशू की दयादृष्टि उसपर हुई, तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह पहले निन्दा की दशा में था। परन्तु प्रभु येशू अविश्वास ? करनेवाला , सतानेवाला, अन्धेर करनेवाला और मसीह येशू में है, बहुतायत से हुआ और का अनुग्रह उसपर विश्वास और प्रेम के साथ जो उसकी प्रेमदया में बना रहा, तो पौलुस प्रभु येशू मसीह का सच्चा अनुग्रह में, 463 उपासक और विश्वासयोग्य सेवक ठहरा (१तीमथी १:१५)| इसलिए पौलुस पवित्र आत्मा के द्वारा तीमथी की पत्री में कहता है कि जो खरी बातें तुने मुझसे सुनी है, उन को उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह येशू में है, अपना आदर्श बनाकर रख और पवित्र जो हम में बसा हुआ है, उसके द्वारा इस अच्छी धरोहर की रखवाली कर आत्मा (२तीमथी१ :१३ १४) | अर्थात पौलुस प्रभु की प्रेमदया का स्मरण रखकर उसमें बने रहने के लिए कहता हैः क्योंकि तब ही हम पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलते हुए प्रभु येशू मसीह के प्रेम में और विश्वास में बढ़ते रहेंगे और तब ही हमें अपने गलतियों का, अपने अपराध का एहसास होता है। इसलिए पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर पौलुस ने कहा कि यह बात के योग्य है कि प्रभु येशू मसीह पापियों का उद्धार करने के सत्य और हर प्रकार से मानने  लिए जगत में आया, जिन में सब से बड़़ा पापी मैं हूँ (२तीमथी१:१५)१ @Daily Bread] परमेश्वर की प्रेमदया जो परमेश्वर की दया से अनजान होते है और उसकी सही पहचान नहीं रखते, वे परमेश्वर के खिलाफ जाकर आचरण करते है और भी प्रेम नहीं रख पाते है। इस कारण মনুষ্পী ম  वे अविश्वास की ही दशा में होते है। इसलिए भलेही वे परमेश्वर के लिए ही आवेशी होकर परन्तु उनके काम बिना समझबुद्धी से किए गए होते हैं और केवल बाह्य काम करे, धर्माचरण के लिए होते हैं, जिनका परमेश्वर के पास कोई फल नहीं| क्योंकि वे सच्ची के द्वारा " धार्मिकता में नहीं चलते। तथा कोई भी अपने कामों परमेश्वर के सम्मुख धर्मी नहीं ठहर सकता। प्रेरित पौलूस भी इसी गलतफ़हमी में था, जब वह अपने आप को परमेश्वर के लिए आवेशी जानकर प्रभु मसीह येशू की कलीसिया का सताव कर रहा था। परन्तु जब प्रभु येशू की दयादृष्टि उसपर हुई, तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह पहले निन्दा की दशा में था। परन्तु प्रभु येशू अविश्वास ? करनेवाला , सतानेवाला, अन्धेर करनेवाला और मसीह येशू में है, बहुतायत से हुआ और का अनुग्रह उसपर विश्वास और प्रेम के साथ जो उसकी प्रेमदया में बना रहा, तो पौलुस प्रभु येशू मसीह का सच्चा अनुग्रह में, 463 उपासक और विश्वासयोग्य सेवक ठहरा (१तीमथी १:१५)| इसलिए पौलुस पवित्र आत्मा के द्वारा तीमथी की पत्री में कहता है कि जो खरी बातें तुने मुझसे सुनी है, उन को उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह येशू में है, अपना आदर्श बनाकर रख और पवित्र जो हम में बसा हुआ है, उसके द्वारा इस अच्छी धरोहर की रखवाली कर आत्मा (२तीमथी१ :१३ १४) | अर्थात पौलुस प्रभु की प्रेमदया का स्मरण रखकर उसमें बने रहने के लिए कहता हैः क्योंकि तब ही हम पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलते हुए प्रभु येशू मसीह के प्रेम में और विश्वास में बढ़ते रहेंगे और तब ही हमें अपने गलतियों का, अपने अपराध का एहसास होता है। इसलिए पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर पौलुस ने कहा कि यह बात के योग्य है कि प्रभु येशू मसीह पापियों का उद्धार करने के सत्य और हर प्रकार से मानने  लिए जगत में आया, जिन में सब से बड़़ा पापी मैं हूँ (२तीमथी१:१५)१ - ShareChat

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