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#धर्म
धर्म - चार वण : ब्राह्मण क्षात्रिय वैश्य शूद्र। भेद। चार निति : साम दाम दंड चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद यजुर्वेद अथर्ववेद| चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन पुत्री| ATUT चार युग : सतयुग द्वापर युग cISTI चार समय : सुबह दोपहर, शाम रात। 4 मेनका  चार अप्सरा : उर्वशी रंभा নিলীনসা | বিনা शिक्षक चार गुरु : माता 9 आध्यात्मिक गुरु। प्राणी : जलचर थलचर, नभचर चार उभयचर। चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।  ओम्कार् अकार् उकार चार वाणी : मकार। ब्रह्मचर्य ग्रहस्थ वानप्रस्थ चार आश्रम : TIHI चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य चोष्य। पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ काम, मोक्ष। चार चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व घन। चार वण : ब्राह्मण क्षात्रिय वैश्य शूद्र। भेद। चार निति : साम दाम दंड चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद यजुर्वेद अथर्ववेद| चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन पुत्री| ATUT चार युग : सतयुग द्वापर युग cISTI चार समय : सुबह दोपहर, शाम रात। 4 मेनका  चार अप्सरा : उर्वशी रंभा নিলীনসা | বিনা शिक्षक चार गुरु : माता 9 आध्यात्मिक गुरु। प्राणी : जलचर थलचर, नभचर चार उभयचर। चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।  ओम्कार् अकार् उकार चार वाणी : मकार। ब्रह्मचर्य ग्रहस्थ वानप्रस्थ चार आश्रम : TIHI चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य चोष्य। पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ काम, मोक्ष। चार चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व घन। - ShareChat

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